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शॉक की घटना नासा के मुताबिक साल 2020 के अंत में लोगों के लिए एक और घटना सामने आने वाली हैं

शॉक की घटना नासा साल 2020 में एक के बाद एक कई तरह की मुसीबतें लोगों के सामने आती जा रही है। कोरोना महामारी ने लोगों की जिंदगी में वो भूचाल ला दिया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। इस बीच अंतरिक्ष में  भी कई तरह की घटनाएं देखने को मिल रही है। यह साल लोगों के लिए कई तरह से शॉक लेकर आया।

साल 2020 में एक के बाद एक कई तरह की मुसीबतें लोगों के सामने आती जा रही है। कोरोना महामारी ने लोगों की जिंदगी में वो भूचाल ला दिया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। इस बीच अंतरिक्ष में  भी कई तरह की घटनाएं देखने को मिल रही है। यह साल लोगों के लिए कई तरह से शॉक लेकर आया।
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शॉक की घटना नासा अब एक नई घटना नासा के सामने आई है, नासा के मुताबिक इस साल अक्टूबर के महीने से आसमान में लोगों को चांद के अलावा एक मिनीमून भी नजर आएगा।

इसे लोग आसमान में अगले साल मई तक देख पाएंगे। ये मिनीमून तेजी से पृथ्वी की ग्रेविटी की और आ रहा है और अब अगले कई महीने यही फंसकर रहेगा। इस कारण लोगों को आसमान में दो चांद नजर आएंगे।

अब एक नई घटना नासा के सामने आई है, नासा के मुताबिक इस साल अक्टूबर के महीने से आसमान में लोगों को चांद के अलावा एक मिनीमून भी नजर आएगा। इसे लोग आसमान में अगले साल मई तक देख पाएंगे। ये मिनीमून तेजी से पृथ्वी की ग्रेविटी की और आ रहा है और अब अगले कई महीने यही फंसकर रहेगा। इस कारण लोगों को आसमान में दो चांद नजर आएंगे।
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नासा के JPL ने बताया कि पृथ्वी की तरह एस्टेरोइड 2020 SO तेजी से आ रहा है। ये इस साल अक्टूबर से अगले साल के मई महीने तक आसमान के लिए मिनीमून बनेगा। हालांकि इसे लेकर एस्ट्रोलॉजर्स में थोड़ा मतभेद है। कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये कोई एस्टेरोइड नहीं है। बल्कि ये इंसान का बनाया कोई सैटेलाइट का मलबा है।

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नासा के एक साइंटिस्ट के मुताबिक, जिस टुकड़े को लोग एस्टेरोइड बता रहे हैं वो असल में 1966 में लांच हुए एक रॉकेट का हिस्सा है। टॉनी डन जो कि एक एस्ट्रोलॉजर है, ने डेलीमेल को बताया कि इस मलबे की डेंसिटी काफी ज्यादा है। इसके पृथ्वी तक आने में सोलर रेडिएशन प्रेशर का भी अहम योगदान है।

नासा के एक साइंटिस्ट के मुताबिक, जिस टुकड़े को लोग एस्टेरोइड बता रहे हैं वो असल में 1966 में लांच हुए एक रॉकेट का हिस्सा है। टॉनी डन जो कि एक एस्ट्रोलॉजर है, ने डेलीमेल को बताया कि इस मलबे की डेंसिटी काफी ज्यादा है। इसके पृथ्वी तक आने में सोलर रेडिएशन प्रेशर का भी अहम योगदान है।
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अब तक के इतिहास के मुताबिक, पृथ्वी पर दो मिनीमून रिकॉर्ड किये गए हैं। एक जहां इसी साल फरवरी 2020 में था जबकि दूसरा 2006 में। ये दोनों ही एस्टेरोइड थे।  लेकिन इस बार वाले मिनीमून को स्पेस जंक भी कहा जा रहा है। अभी तक की जानकारी के मुताबिक, ये 12 से 46 फीट लंबी है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, एस्टेरोइड 2020 की वेलोसिटी अपोलो एस्टेरोइड से काफी कम है।

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फरवरी में ही नासा ने इसे डिटेक्ट कर लिया था। अब ये तेजी से पृथ्वी की तरफ बढ़ रही है और अगले महीने से लेकर मई 2021 तक आसमान में लोगों को दिखाई देगी। 

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