educationEducational News

ग्वालियर में विजयराजे सिंधिया गर्ल्स कॉलेज की जमीन का मामला: 5 लोगों ने किया दावा; कोर्ट ने कहा- एक भी साक्ष्य ऐसा नहीं, जिससे मालिकाना हक साबित हो Digital Education Portal

[ad_1]

फाइल फोटो - dainik bhaskar

फाइल फोटो

ग्वालियर में लड़कियों के दूसरे सबसे बड़े कॉलेज विजयाराजे सिंधिया गर्ल्स कॉलेज मुरार की करोड़ों रुपए की ढाई बीघा जमीन पर अपना मालिकाना हक बताते हुए पांच लोगों ने कोर्ट में दावा किया था, पर कोर्ट ने यह दावा खारिज कर दिया है। पांच लोगों के दावे में एक भी दस्तावेज ऐसा नहीं था जो जमीन पर उनका मालिकाना हक साबित करता हो।

कोर्ट ने खसरे में की गई प्रविष्टियों को भी असत्य मानते हुए उनके दावे को खारिज कर दिया। न्यायालय के इस फैसले से कॉलेज प्रबंधन को बड़ी राहत मिली है। मुरार में 27 हैक्टेयर जमीन पर संचालित विजयाराजे सिंधिया गर्ल्स कॉलेज की जमीन पर इस मुकदमें के अलावा कुछ और लोगों की भी नजर रही है। मुरार क्षेत्र के सबसे बड़े इस कॉलेज की जमीन का व्यावसायिक उपयोग करने की मांग भी उठती रही है जिसका छात्राएं विरोध करती रही हैं। न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनने के बाद महाविद्यालय की ढाई बीघा जमीन पर किए गए मालिकाना हक के दावे को खारिज कर दिया।
यह है मामला
मानिकराव भोंसले, विजय सिंह जाधव, विक्रम जाधव और नीलम ने वीआरजी कॉलेज की जमीन के सर्वे क्रमांक 1846 व 1847 को अपनी बताते हुए व्यवहार न्यायालय में यह दावा पेश किया था। दावा करने वालों का कहना था कि यह जमीन उन्हें पुतली बाई से विरासत में मिली थी। वर्ष 2015 में उन्होंने इस जमीन के सीमांकन के लिए आवेदन किया था तब पता चला कि जमीन शिक्षा विभाग के कब्जे में है। दावा करने वालों का तर्क है कि दोनों सर्वे क्रमांक की जमीन कृषि भूमि के रूप में दर्ज है। इस जमीन की नोइयत नहीं बदली है। उनकी जमीन पर शासन ने अतिक्रमण कर लिया है। उन्होंने न्यायालय में वाद प्रस्तुत कर बाउण्ड्रीवाल को हटाकर उनकी जमीन पर उन्हें कब्जा दिलाए जाने की मांग की थी।
कॉलेज प्रबंधन का कहना
इस मामले में कोर्ट में कॉलेज की ओर से अधिवक्ता पीसी चांदिल एवं मनीष शर्मा का कहना था कि यहां 1963 से शासकीय कन्या महाविद्यालय संचालित है। कॉलेज के लिए शासन ने 27 एकड़ जमीन आवंटित की थी। जिस जमीन पर वादीगण ने दावा किया है वहां कॉलेज की बाउंड्रीवाल बनी हुई है तथा जिस सर्वे नंबर पर दावा किया जा रहा है उस पर क्लास रूम सहित कॉलेज के अन्य भवन बने हुए हैं। खसरे में जमीन की जो प्रविष्टियां दिखाई गई है वे गलत है। महाविद्यालय की ओर से यह भी कहा गया कि वादीगण यह नहीं बता पाएं हैं कि यह जमीन उनकी है, वे जमीन पर अपने मालिकाना हक संबंधी कोई भी दस्तावेज पेश नहीं कर पाए हैं।

पहले दोनों सर्वे नंबर की जमीन को घोषित किया गया था निजी
इससे पहले इस कॉलेज की जमीन को लेकर मानिकराव भौंसले ने SDM कोर्ट मुरार ने मानिकराव के पक्ष में फैसला दिया था। इसके बाद कॉलेज की जमीन का नामांतरण भी कर दिया गया था। SDM कोर्ट द्वारा इस जमीन को निजी घोषित किए जाने के बाद कॉलेज ने हाईकोर्ट में याचिका पेश की थी। दोनों सर्वे नंबरों को निजी घोषित करने के खिलाफ कॉलेज ने संभाागायुक्त के यहां अपील की थी जिस पर कॉलेज को स्थगन मिल गया था।

खबरें और भी हैं…

हमारे द्वारा प्रकाशित समस्त प्रकार के रोजगार एवं अन्य खबरें संबंधित विभाग की वेबसाइट से प्राप्त की जाती है। कृपया किसी प्रकार के रोजगार या खबर की सत्यता की जांच के लिए संबंधित विभाग की वेबसाइट विजिट करें | अपना मोबाइल नंबर या अन्य कोई व्यक्तिगत जानकारी किसी को भी शेयर न करे ! किसी भी रोजगार के लिए व्यक्तिगत जानकारी नहीं मांगी जाती हैं ! डिजिटल एजुकेशन पोर्टल किसी भी खबर या रोजगार के लिए जवाबदेह नहीं होगा .

Join whatsapp for latest update

Team Digital Education Portal

शैक्षणिक समाचारों एवं सरकारी नौकरी की ताजा अपडेट प्राप्त करने के लिए फॉलो करें

Follow Us on Telegram
@digitaleducationportal
@govtnaukary

Join telegram

Follow Us on Facebook
@digitaleducationportal @10th12thPassGovenmentJobIndia

Follow Us on Whatsapp
@DigiEduPortal
@govtjobalert

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Please Close Ad Blocker

हमारी साइट पर विज्ञापन दिखाने की अनुमति दें लगता है कि आप विज्ञापन रोकने वाला सॉफ़्टवेयर इस्तेमाल कर रहे हैं. कृपया इसे बंद करें|