सहकारिता भारत का मूल भाव है। सबके मंगल और कल्याण तथा वसुधैव कुटुम्बक का भाव ही सहकारिता है।
भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में कृषकों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण देने हेतु सहकारी बैंकों को 800 करोड़ की राशि का अंतरण कर किसानों को शुभकामनाएं दी।
जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत काम करने वाले मजदूरों की मजदूरी भी अटकी हुई है। वहीं मटेरियल का भुगतान भी सप्लायर्स को नहीं हो पाया है। जिला पंचायत से मिली जानकारी के अनुसार यह आंकड़ा 19 करोड़ रुपए तक है। क्योंकि कैश सेंट्रल गर्वमेंट नहीं आने के कारण निर्माण पर असर पड़ रहा है।
नोटबंदी का असर रेलवे डिपार्टमेंट में देखा गया है। नवंबर में नोटबंदी के चलते सिर्फ दो रैक की नांदगांव आए, जबकि दिसंबर में अब यह संख्या एक पर ही अटकी हुई है। दूसरी तरफ यहां से रैक जाने का खाता भी नहीं खुला है। बताया गया कि एक रैक पर रेलवे को 42 बोगियों की मालगाड़ी से तकरीबन 60 लाख रुपए की इनकम होती है।
सोसाइटियों में मिलर्स धान की लोडिंग करा रहे हैं। नोटबंदी के कारण पहले तो चेक से भुगतान करने की बात आई। केंद्रों में रोजी करने वाले मजदूर इसके लिए राजी नहीं हुए। उन्होंने काम नहीं रोका, बीच का रास्ता निकाल लिया कि मिलर्स उन्हें धीरे-धीरे करके भुगतान करेंगे। राजेश वर्मा ने बताया कि हर दिन करीब 4 हजार टन उठाव हो रहा।
सहकारी बैंक को शहरी सोसाइटियों को हर दिन 25 से 30 लाख रुपए का भुगतान करना है, लेकिन रोजाना बैंक को मिल रहे हैं 5 से 7 लाख। यानी अधिकारी किसानों को 7 लाख तक का पेमेंट कर पा रहे हैं। यह नोटबंदी का ही असर है। क्योंकि किसानों को नए नोट देने हैं। मतलब 2 हजार के। या उनके खातों में 100-100 के नोट डालने पड़ेंगे।