खतरे में नौकरी एवं स्कूल: शिवराज बनाएंगे आउटसोर्स कार्पोरेशन, 20-50 लागू कर होगी छंटनी, संघ चलाएगा शिक्षा केंद्र
भोपाल। सिंधिया-शिवराज सिंह मिलने के बाद सबसे बड़ा हमला नौकरियों एवं नौकरियों की उम्मीद लगाए लोगों पर होने वाला है। वैश्विक महामारी कोरोना में सरकार की ओर से आ रही खबरें लोगों से शिक्षा, स्वास्थ्य एवं नौकरी छीन लेने जैसी हैं। ताजा आदेश 20-25 फार्मूला कड़ाई से लागू करने का आया है, जिसे मीडिया ने बड़ी खबर बना कर लोगों से सचेत रहने को कहा है। इस आदेश का मतलब है जिसने 20 साल नौकरी कर ली है या जिसकी उम्र 50 साल हो चुकी है, उसकी छंटनी निश्चित। इस आदेश से पहले राज्य शिक्षा केंद्र का आदेश प्रदेश में 12,876 स्कूल बंद करने का था। इन दोनों ही आदेशों के आगे-पीछे भाजपा नेताओं एवं संघ प्रमुख के बयान आए। नेताओं के बयान शिक्षकों को अपमानित करने वाले थे वहीं संघ प्रमुख मोहन भागवत का ऐलान स्कूली शिक्षा अपने हाथ में लेकर मोहल्लों एवं गांव में शिक्षा केंद्र चलाने का था। बीते 10 दिन में एक के बाद एक घट रही इन घटनाओं का आपस में कुछ रिश्ता है? इस पर अलग से लिखेंगे, फिलहाल इतना ही कि कमलनाथ सरकार को गिराकर सत्ता में आए शिवराज सिंह से शिक्षा, स्कूल एवं नौकरी बचानी सभी की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
शिवराज 20-50 की तैयारी में, सरकारी कर्मचारी होंगे बाहर!
सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने 20-50 के फॉर्मूले का आदेश जारी कर दिया है. इसमें कहा गया है कि 20 साल की नौकरी और 50 साल की उम्र पार कर चुके कर्मचारियों का परफॉर्मेंस कड़ाई से चेक किया जाएगा। शिवराज सरकार 20-50 के फॉर्मूले पर अमल करने जा रही है. वो 20 साल की नौकरी और 50 साल की उम्र पार कर चुके कर्मचारियों पर सख्ती के मूड में है। खराब परफॉर्म और मेडिकली अनफिट कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी है यानि उन्हें नौकरी से बाहर किया जाएगा है। ऐसे कर्मचारियों के पास 20 साल की नौकरी के बाद खुद रिटायरमेंट लेने का ऑप्शन रहेगा। अगर कर्मचारी खुद रिटायरमेंट नहीं लेते हैं तो 25 साल की नौकरी पूरी होते ही सरकार मेडिकल चेकअप करा कर कर्मचारियों को बाहर कर देगी। शिवराज सरकार कोरोना महामारी के दौरान बिगड़ी राज्य की वित्तीय व्यवस्था के बाद कर्मचारियों से जुड़े 20-50 के फॉर्मूले पर सख्त दिख रही है. सीआर का नंबर गणित भी विभाग ने बदला है. बदले हुए गणित के हिसाब से कर्मचारी के नौकरी ज्वॉइन करने से लेकर 20 साल तक के उसके सीआर के अंक जोड़कर ही उसके कामकाज यानि परफॉर्मेंस का आंकलन होगा. यदि 50 नंबर से कम आए तो कर्मचारी की नौकरी खतरे में होगी. सीआर में 50 या उससे ऊपर नंबर लाने वाले सभी कर्मचारी सुरक्षित रहेंगे. अभी तक 3 साल की ष्टक्र को ही परफॉर्मेंस में जोड़ा जाता था. इसे बढ़ाकर 20 साल कर दिया गया है.
बनेगा आउटसोर्स कार्पोरेशन, खत्म होगा आरक्षण एवं स्थाई नौकरी
प्रदेश के मुख्यमंत्री आत्मनिर्भरत भारत के मंथन में व्यस्त हैं। शिवराज सिंह की अध्यक्षता में आत्मनिर्भर मप्र को लेकर आयोजित किए गए वेबीनार में उन्होंने कहा कि मप्र में आउटसोर्स कार्पोरेशन बनाएंगे और इसके जरिए ही सरकारी विभागों में भर्तियां की जाएंगी। मुख्यमंत्री की इस दो टूक घोषणा में भविष्य के मप्र की तस्वीर छिपी है, जिसमें प्रदेश के युवाओं को सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी और आउटसोर्स कार्पोरेशन से जो नौकरियां मिलेंगी उनमें दलित, आदिवासी एवं पिछड़े वर्ग के लिए किसी तरह का आरक्षण नहीं होगा। इस मुख्यमंत्री शिवराज सिंह प्रदेश से सरकारी नौकरी एवं आरक्षण दोनों को एक साथ खत्म करने की तरफ जा चुके हैं, आउटसोर्स कार्पोरेशन इसी दिशा में उनका बड़ा फैसला है। इस फैसले से सरकार युवाओं को रोजगार देने की बजाए उनके लिए रोजगार के अवसर पूरी तरह खत्म कर देगी। सरकार 20-25 का फार्मूला लागू कर पहले छंटनी करेगी और उसके बाद आउटसोर्स कार्पोरेशन के जरिए ठेके पर नौकरियां देगी, जिसमें न न्यूनतम वेतन होगा और न ही काम के घंटे निर्धारित रहेंगे। यानि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह मप्र में कर्मचारियों के शोषण की नई प्रथा शुरू करने जा रहे हैं।
आरएसएस गांव एवं मोहल्लों में चलाएगा शिक्षा केंद्र,
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवतजी दो दिवसीय दौरे पर भोपाल पहुंचे, जहां उन्होंने संघ के सेवा कार्यों की समीक्षा की। उनके दौरे से पहले स्कूली शिक्षा एवं शिक्षकों के बारे में ताबड़तोड़ बयान आए और इसके बाद संघ प्रमुख ने गांव एवं मोहल्लों में शिक्षा केंद्र चलाने का ऐलान किया, जिसमें रिटायर्ड शिक्षकों की सेवाएं लिए जाने की बात कही। यह सेवाकार्य संघ के स्वयंसेवक कोरोना काल में पटरी से उतर चुकी शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए करेगी। जब गांव, मोहल्लों एवं बस्तियों में शिक्षा केंद्र खुल जाएंगे, तब सरकारी स्कूलों का क्या होगा? संघ प्रमुख के अनुसार कोरोना काल में स्कूली शिक्षा बुरी तरह से प्रभावित हुई है, वह पूरी तरह पटरी से उतर चुकी है, इसलिए संघ के स्वयंसेवकों को इस क्षेत्र में सेवाकार्य करने की जरूरत है, इसके लिए गांव एवं मोहल्लों में शिक्षा केंद्र चलाने की जरूरत है, जिसमें रिटायर्ड स्कूली शिक्षक एवं कालेज के प्रोफेसरों की सेवाएं लिए जाने का जिक्र है।