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ओबीसी को आरक्षण दिलाने के लिए अब पुनर्विचार याचिका दायर करेगी कांग्रेस Digital Education Portal

ओबीसी आरक्षण के लिए कांग्रेस को दोषी ठहराए जाने के बाद कांग्रेस ने स्पष्ट की रणनीति

ओबीसी को आरक्षण दिलाने के लिए अब पुनर्विचार याचिका दायर करेगी कांग्रेसभोपाल त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर मामला राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप में उलझता जा रहा है। भाजपा द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का आरक्षण खत्म किए जाने के लिए कांग्रेस को दोषी ठहराया जा रहा है। कांग्रेस इसके जवाब में पुनर्विचार याचिका (रिव्यू पिटिशन) दायर कर रही है। इसमें आरक्षण प्रक्रिया में संविधान के प्रविधानों का पालन नहीं करने और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण समाप्त करने के विषय को उठाया जाएगा।

दरअसल, पंचायत चुनाव को लेकर जितनी भी याचिकाएं दायर की गई थीं, उनमें अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण का विषय ही नहीं था। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा ओबीसी के लिए आरक्षित पदों को सामान्य में मर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही का सीधा संवाद जारी किया

दरअसल, कांग्रेस को ओबीसी के खिलाफ खड़ा किए जाने के बाद पार्टी के विधिक विभाग ने सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही का सीधा संवाद जारी किया है और दावा किया है कि कांग्रेस की ओर से आरक्षण का मुद्दा नहीं उठाया गया।

तन्खा का तर्क था…

सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा ने तर्क दिया था कि 21 नवंबर 2021 को अध्यादेश जारी किया गया था। हम उसके खिलाफ उच्च न्यायालय गए और मुख्य न्यायाधीश के सामने बात रखी, लेकिन सुनवाई की तारीख नहीं बदली गई। अध्यादेश में रोटेशन निर्धारण 243 सी और डी को रद कर दिया गया है। रोटेशन की कार्यवाही को 2019-2020 में पूरा किया गया था। इसे इस आधार पर रद कर दिया कि यह एक वर्ष से अधिक पुराना है। अध्यादेश कहता है कि हम अब श्रेणी और स्थिति को बहाल करते हैं, जो 2014 में अस्तित्व में था।

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यह कहा सुप्रीम कोर्ट ने…

तन्खा के तर्क पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुख्य मामला उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है। हम आपको उसमें संशोधन करने की अनुमति देंगे और फिर अगर चुनाव आगे बढ़ते हैं तो याचिका के निपटारे के बाद ही परिणाम घोषित होने देंगे, यही हम कहेंगे। हमने महाराष्ट्र चुनाव को भी किनारे कर दिया था। हम कह रहे हैं कि आपका मुख्य मामला उच्च न्यायालय के समक्ष सूचीबद्ध है।

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– राज्य चुनाव आयोग के अधिवक्ता सिद्धार्थ सेठ और कार्तिक सेठ से सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव पर रोक लगाने की इच्छा व्यक्त करते हुए महाराष्ट्र मामले का हवाला दिया और कहा कि हम जो कह रहे हैं, उसकी जिम्मेदारी आप लें। ट्रिपल टेस्ट पूर्ति के बिना ओबीसी आरक्षण नहीं हो सकता। यदि ऐसा हो रहा है तो आप उसे ठीक करें। जो महाराष्ट्र मामले में हुआ था, आपको भी करना चाहिए। अपनी कार्रवाई को तुरंत ठीक करें। राज्य जो कह रहा है, उस पर मत जाओ। जो कानून है, उस पर चलो । यदि आप अपने आप को ठीक नहीं करते हैं तो हम आपको अवमानना में डालेंगे।

– आपने सही कहा, करदाताओं का पैसा नाली में चला जाता है। चुनाव खतरे में पड़ जाएगा। हम सरकारी खजाने के पैसे को लेकर भ्रम नहीं चाहते हैं। हम नहीं चाहते कि राज्य निर्वाचन आयोग किसी और के इशारे पर कुछ करे।

(सुप्रीम कोर्ट लाइव से लिया गया विवरण)

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