नई दिल्ली. सीबीएसई ने विवाद बढ़ने के बाद 10वीं कक्षा के अंग्रेजी प्रश्नपत्र में से कुछ प्रश्नों को हटाने का ऐलान किया है. साथ ही सभी छात्रों के लिए एक खुशखबरी भी है. बोर्ड के
निर्देश पर छात्रों के इन प्रश्नों को लेकर कोई भी अंक नहीं कटेंगे.
क्या था पूरा मामला
प्रश्नपत्र को लेकर पक्ष विपक्ष समेत कई महिला संगठनों ने इस विवाद पर मोर्चा खोला था. लगभग सभी ने अंग्रेजी की इस परीक्षा में महिलाओं को लेकर लिखे गए एक पैराग्राफ पर सख्त आपत्ति जताई थी. इसी संदर्भ में सीबीएसई ने विवादों पर पूर्णविराम लगाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं.
CBSE के पेपर का महिलाओं पर वो आपत्तिजनक सवाल जिसे लेकर संसद में हुआ हंगामा
सीबीएसई (CBSE) की 10वीं क्लास के Question Paper में लिखा हुआ है कि भारतीय परिवारों में महिलाओं को मिलने वाली आजादी से घर का माहौल खराब हो रहा है और अगर महिलाएं अपने घर में पति का प्रभुत्व स्वीकार ना करें तो वो अपने बच्चों से कभी सम्मान नहीं पा सकती. सोमवार को दिनभर इस सवाल पर विवाद होता रहा और विरोध के बाद CBSE ने इस सवाल को अपने प्रश्न पत्र से डिलीट कर दिया. आज हम देश की 65 करोड़ महिलाओं के लिए इस विचारधारा का पुरजोर विरोध करेंगे और आपको बताएंगे कि जिस परिवार में महिलाओं को बराबरी का दर्जा नहीं मिलता, उस परिवार का भविष्य भी उज्जवल नहीं है.
CBSE के पेपर में आपत्तिजनक सवाल
बता दें कि CBSE की 10वीं क्लास के Question Paper में Comprehension Passage के पहले पैरा में लिखा है कि ‘महिलाओं की आजादी ने बच्चों पर माता-पिता के अधिकार को समाप्त कर दिया है.’ फिर इसी में आगे ये भी लिखा है कि ‘महिलाएं अपने पति के प्रभुत्व को स्वीकार करके ही अपने बच्चों से सम्मान पा सकती हैं’ यानी अगर महिलाएं अपने पति के प्रभुत्व को स्वीकार नहीं करेंगी तो उन्हें अपने बच्चों से भी सम्मान नहीं मिलेगा.
महिलाओं को बराबरी मिलने से पुरुषों का प्रभाव हुआ कम?
इसमें ये भी लिखा है कि महिलाओं को स्वतंत्रता मिलना अनेक तरह की सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं का प्रमुख कारण है. एक और बड़ी बात इसमें ये लिखी गई है कि पहले महिलाएं अपने बच्चों को डराने के लिए ये कहती थीं कि पापा आ गए तो वो उन्हें बहुत मारेंगे यानी महिलाएं बच्चों को उनके पिता के नाम से डराती थीं. लेकिन आज पुरुषों का प्रभाव कम होने से ये डर भी बच्चों में खत्म हो गया है. मतलब इस पूरी बात का भाव ये है कि महिलाओं को बराबरी मिलने से पुरुषों का प्रभाव कम हुआ है और इससे बच्चों पर माता-पिता के अधिकार सीमित हुए हैं.
सीबीएसई के निर्देश
जिन सवालों को महिलाओं के लिए अपमानजनक बताया जा रहा था बोर्ड ने उनको हटाने का फैसला किया है. साथ ही इस प्रश्न के लिए सभी छात्रों को पूरे अंक देने के निर्देश जारी किए गए हैं. आपको बता दें कि सोनिया गांधी ने भी बोर्ड और शिक्षा मंत्रालय से प्रश्नपत्र को तत्काल वापस लेने की बात कही थी.
सीबीएसई ने एक बयान में कहा कि 11 दिसंबर को आयोजित सीबीएसई की 10वीं की फर्स्ट-टर्म की परीक्षा के अंग्रेजी प्रश्नपत्र के एक सेट को लेकर कुछ अभिभावकों और छात्रों की मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है, जिसमें कहा गया है कि यह परिवार के प्रति लैंगिक रूढ़िवादिता को बढ़ावा देते हैं. इसके बाद सीबीएसई ने इस मामले को विषय के विशेषज्ञों के पास भेज दिया था.
महिलाओं के लेकर विवादित बात
प्रश्नपत्र में ‘महिलाओं की आजादी ने बच्चों पर माता-पिता के अधिकार को खत्म कर दिया’ और ‘अपने पति के तौर-तरीके को स्वीकार करके ही एक मां अपने से छोटों से सम्मान पा सकती है’, इस तरह के वाक्यों का विरोध जताया गया था. जिसके बाद सोशल मीडिया पर सीबीएसई के विरोध में हैशटैग की लहर शुरू हो गई.
विशेषज्ञों की प्रतीक्रिया
सीबीएसई ने सलाह लेने के लिए प्रश्नपत्र को विशेषज्ञों के पास भेजा था. विशेषज्ञों का कहना है, ‘इस सवाल के लिए सभी संबंधित छात्रों को पूरे अंक दिए जाएंगे. एकरूपता और समानता सुनिश्चित करने के लिए, प्रश्न पत्र के सभी सेट के नंबर एक के लिए छात्रों को पूर्ण अंक भी दिए जाएंगे.’
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