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पीएमटी-13 घोटाले में बड़ा खुलासा: CBI ने कार्रवाई करने चीफ सेक्रेटरी को लिखा पत्र; पूर्व चेयरमैन और बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो.थापक समेत 5 के नाम भेजे Digital Education Portal

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  • CBI Wrote A Letter To The Chief Secretary To Take Action; Sent The Names Of 5 Including Former Chairman And VC Of Bundelkhand University Prof. Thapak

पीएमटी-2013 घोटाले के मामले में सीबीआई ने एडमिशन एंड फी रेगुलेटरी कमेटी (AFRC) के तत्कालीन अध्यक्ष और सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई के लिए के लिए मध्यप्रदेश के चीफ सेक्रेटरी का पत्र लिखा है। एमपी-पीएमटी-2013 की काउंसलिंग के दौरान 6 प्राइवेट मेडिमल कॉलेजों ने एमबीबीएस की स्टेट कोटे की सीट पर उम्मीदवारों को मनमर्जी से एडमिशन दिए गए थे। काउंसलिंग के दौरान इस मामले की शिकायत होने के बाद भी एडमिशन एंड फी रेगुलेटरी कमेटी ने कार्रवाई नहीं की। वहीं विश्वविद्यालयों को इन छात्रों की परीक्षा कराने और रिजल्ट घोषित करने के लिए कहा। सीबीआई ने जांच में कमेटी के संचालन में खामियां पाई। इन्होंने अपने दायित्वों को निभाने में शासकीय कर्तव्यों का पालन नहीं किया गया।

तत्कालीन कमेटी पर कार्रवाई करने के लिए सीबीआई ने सेल्फ चीफ सेक्रेटरी को एक सेल्फ कंटेंड नोट भी भेजा है। इसमें AFRC के तत्कालीन चेयरमैन व महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. टीआर थापक और चार अन्य सदस्यों के नाम शामिल हैं। तत्कालीन सदस्यों मे लॉ डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी डॉ. आरके वर्मा, तत्कालीन डीएमई डॉ.एसएस कुशवाह, टेक्निकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के तत्कालीन डायरेक्टर आशीष डोंगरे, हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट के एडिशनल डायरेक्टर एनसी टेकाम थे।

सीबीआई द्वारा भेजे गए सेल्फ कंटेंड नोट में कमेटी द्वारा की चूकों का विवरण दिया गया है। सीबीआई ने चीफ सेक्रेटरी से कहा है कि इनके खिलाफ उचित कार्रवाई ( ऐसी र्कारवाई जो ठीक समझा जाए) की जाए। इन पर कार्रवाई कर सीबीआई ऑफिस को सूचना भेजी जाए। सीबीआई के पत्र के आधार पर राज्य शासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है। एएफआरसी के नोडल डिपार्टमेंट तकनीकी शिक्षा विभाग ने एफआरसी ने जानकारी मांगी गई है।

जानबूझकर दी गलत जानकारी, खाली सीटें अपात्रों से भरीं

जांच इस बात का खुलासा हुआ कि एमपी-पीएमटी 2013 की ऑनलाइन काउंसलिंग में राज्य के 6 प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों ने एडमिशन और स्टेट कोटे की एक्चुअल वैकेंट सीट की जानबूझकर बार-बार गलत जानकारी दी गई। इन खाली सीटों पर कॉलेजों अपात्र उम्मीदवारों को प्रवेश की अंतिम तारीख में अनियमित रूप से दाखिला दिया। गलत जानकारी देने वाले कॉलेजों में पीपुल्स कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेस एंड रिसर्च सेंटर भोपाल, चिरायु मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल भोपाल, एनएल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल भोपाल, इंडेक्स मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर इंदौर, श्री अरबिंदो मेडिकल कॉलेज एंड पीजी इंस्टीट्यूट इंदौर, आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज उज्जैन के नाम शामिल हैं।

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काउंसलिंग के दौरान आनंद राय ने की थी शिकायत
व्हीसल ब्लोअर आनंद राय ने काउंसलिंग के दौरान ही कॉलेजों द्वारा अपनाई गई इस माल-प्रैक्टिस की जानकारी अपनी शिकायत में दी थी। इसमें एक सीट को 25 से 50 लाख रुपए में अपात्र उम्मीदवार को एडमिशन देेने की बात कही थी। सीबीआई की जांच में खुलासा हुआ है कि इसके बाद भी एएफआरसी ने इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं की। मेडिकल कॉलेजों द्वारा की जा रही इस अनियमितता को जारी रखने की अनुमति दी। मेडिकल कॉलेजों द्वारा दिए गए अनियमित प्रवेश पर तत्कालीन एडमिशन फीस रेगुलेटरी कमेटी के संचालन में खामियां पाई गईं। कमेटी के अपने शासकीय कर्तव्यों के पालन करने में चूक पाई गई।

अपात्र उम्मीदवारों को अनुचित तरीके से किया रेगुलर –

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अपात्र उम्मीदवारों के संबंध में कमेटी ने विश्वविद्यालयों को यह पत्र भी जारी किया कि इनकी परीक्षा ली जाए और उनका परिणाम भी घोषित किया जाए। सीबीआई ने जांच में पाया कि कमेटी द्वारा इस तरह अपात्र उम्मीदवारों को रेगुलर कराना अनुचित माना है। इसके लिए सीबीआई ने संबंधित विश्वविद्यालयों के अधिकारियों से पूछताछ भी थी। इसमें यूनिवर्सिटी के अधिकारियों की ओर से बताया कि एएफआरसी के कहने पर इन उम्मीदवारों का नामांकन कर परीक्षा कराई गई।

डीएमई ने कमेटी को नहीं दी जानकारी –

सीबीआई ने जांच में पाया कि 2009 से 2012 तक के एडमिशन संबंधी जानकारी डीएमई से मांगी गई, लेकिन डीएमई ने एडमिशन एंड फी रेगुलेटरी कमेटी को डाटा इंफोर्मेशन उपलब्ध नहीं कराई। जबकि डीएमई खुद कमेटी के सदस्य हैं। सीबीआई ने कहा कि डीएमई द्वारा एएफआरसी को जानकारी उपलब्ध नहीं कराना अपने आप में संदिग्ध है।

जानबूझकर खाली रखीं फिर अपनी पसंद के 196 उम्मीदवारों को एडमिशन दिए –

सीबीआई ने चीफ सेक्रेटरी को बताया है किजांच में इस बात का खुलासा हुआ कि डीएमई द्वारा रेफर किए गए उम्मीदवारों में से अंतिम रूप में 171 ने दाखिला लिया। इसमें चिरायु मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल एंड हास्पिटल में 21, पीपुल्स कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेस एंड रिसर्च सेंटर में 15, एलएन मेडिकल कॉलेज में 21, इंडेक्स मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में 6, आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में 56, श्री अरबिंदो मेडिकल कॉलेज एंड पीजी इंस्टीट्यूट में 52 एडमिशन हुए। कॉलेजों द्वारा स्टेट कोटे की 378 में से 207 सीट जानबूझकर खाली रखी गईं।

इन 207 उम्मीदवारों को जो सीट अलाॅट की गई थी उस पर उनके द्वारा पहली, दूसरी, तीसरी और चौथे राउंड की काउंसलिंग में से किसी भी काउंसलिंग में एडमिशन नहीं लिया और यह सीट खाली रहीं। इन 207 सीट खाली रहने की सूचना मेडिकल कॉलेजों द्वारा डीएमई को नहीं दी गई। इसके बाद एडमिशन प्रक्रिया का उल्लंघन कर काॅलेजों ने अपनी पसंद के उम्मीदवारों को एडमिशन देकर अंतिम तारीख में 196 सीट भर दी गई।

हमने कॉलेजों पर लगाया था जुर्माना –

एएफआरसी के तत्कालीन चेयरमैन प्रो.टीआर थापक का कहना है कि जब यह गड़बड़ी हुई तो मैं विक्रम विश्वविद्यालय मे कुलपति था। एएफआरसी में बाद में चेयनमैन बना। चेयरमैन बनने के बाद स्टेट कोटे की सीट पर मनमर्जी से एडमिशन देने के मामले में हमने प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों पर जुर्माने की कार्रवाई थी। इस दौरान आरजीपीवी के वर्तमान कुलपति प्रो. सुनील कुमार एएफआरसी के ओएसडी थे। आप उनसे भी पूछ सकते हैं।

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