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मेडिकल क्षेत्र के लिए बड़ी खबर: 'नेशनल मेडिकल कमीशन' ने ली 'मेडिकल काउंसलि ऑफ इंडिया' की जगह
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मेडिकल क्षेत्र के लिए बड़ी खबर: ‘नेशनल मेडिकल कमीशन’ ने ली ‘मेडिकल काउंसलि ऑफ इंडिया’ की जगह

नई दिल्ली. राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (National Medical Commission, एनएमसी) अस्तित्व में आ गया. इसने भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (Medical Council of India, एमसीआई) की जगह ली है. इसे देश के चिकित्सा शिक्षा संस्थानों और चिकित्सा पेशेवरों के नियमन के लिए नीतियां बनाने का अधिकार है.

64 वर्ष पुराना भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम समाप्त
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इसी के साथ करीब 64 वर्ष पुराना भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) अधिनियम समाप्त हो गया है तथा नियुक्ति किए गए ‘बोर्ड ऑफ गवर्नर्स'(बीओजी) भी अब भंग हो गया है. मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ” केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग के साथ ही चार स्वायत्त बोर्डो के गठन के जरिए चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार किए हैं.

डॉ. सुरेश चंद्र शर्मा आयोग अध्यक्ष नियुक्त बयान में कहा गया है, ” इसी के साथ दशकों पुराना भारतीय चिकित्सा परिषद निरस्त हो गया है.” बृहस्पतिवार को जारी गजट अधिसूचना के मुताबिक, दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में ईएनटी विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. सुरेश चंद्र शर्मा को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.

शुक्रवार से शुरू हो रहा उनका कार्यकाल तीन साल का होगा. वहीं एमसीआई के ‘बोर्ड ऑफ गवर्नर्स’ के महासचिव रहे राकेश कुमार वत्स आयोग के सचिव होंगे.

चिकित्सा क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आठ अगस्त 2019 को चिकित्सा क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलावों की शुरुआत करने वाले राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) कानून को मंजूरी दे दी थी और इसे उसी दिन प्रकाशित कर दिया गया था.

एमसीआई की जगह एनएमसी का गठन
अधिसूचना के मुताबिक, अधिनियम के तहत घोटालों का दंश झेलने वाले एमसीआई की जगह एक एनएमसी का गठन किया जाना था.

एनएमसी अधिनियम के तहत चार स्वायत्त बोर्ड- स्नातक पूर्व चिकित्सा शिक्षा बोर्ड (यूजीएमईबी), परास्नातक चिकित्सा शिक्षा बोर्ड (पीजीएमईबी), चिकित्सा मूल्यांकन एवं रेटिंग बोर्ड और एथिक्स एवं चिकित्सा पंजीकरण बोर्ड को भी गठित कर दिया गया है और यह शुक्रवार से अस्तित्व में आ गए हैं.

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बदलाव से चिकित्सा शिक्षा में पारदर्शी, गुणात्मक और जवाबदेह व्यवस्था होगी
बयान में कहा गया है, “यह ऐतिहासिक बदलाव चिकित्सा शिक्षा को एक पारदर्शी, गुणात्मक और जवाबदेह व्यवस्था की तरफ ले जाएगी. जो बुनियादी बदलाव हुए हैं, उसके तहत नियामक “योग्यता के आधार पर अब चयनित ‘ किया जाएगा जबकि पहले नियामक का ‘चुनाव’ होता था.

मंत्रालय ने कहा कि ईमानदार, पेशेवर और अनुभवी लोगों को चिकित्सा क्षेत्र में और बदलाव करने का जिम्मा दिया गया है. एनएमसी में एक अध्यक्ष, 10 पदेन सदस्य और 22 अंशकालिक सदस्य शामिल हैं.

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MBBS में बीते छह साल में सीटों की संख्या करीब 48 फीसदी बढ़ी
एनएमसी, डॉ वी के पॉल के अधीन बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा शुरू किए गए सुधारों को आगे बढ़ाएगा. मंत्रालय ने बयान में कहा कि एमबीबीएस में बीते छह साल में सीटों की संख्या करीब 48 फीसदी बढ़ी है. 2014 में 54,000 सीटें होती थीं जो 2020 में 80,000 हो गई हैं. परास्नातक सीटें भी 79 प्रतिशत बढ़ी हैं. यह 24,000 से बढ़कर 54,000 हो गई हैं.

निजी चिकित्सा कॉलेजों में फीस को लेकर दिशा-निर्देश
एनएमसी के तहत, वे एमबीबीएस के बाद अंतिम वर्ष की साझी परीक्षा (एनईएक्सटी — राष्ट्रीय एग्जिट टेस्ट) के लिए तौर तरीकों पर काम करेंगे जो पंजीकरण एवं परास्नातक में प्रवेश परीक्षा, दोनों के लिए काम आएगा. इसके अलावा, निजी चिकित्सा कॉलेजों में फीस को लेकर दिशा-निर्देश तैयार करेगा. एनएमसी अधिनियम 2019 को संसद ने अगस्त 2019 में पारित किया था.

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