नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को CBSE की पिछले साल जून की मार्क्स इंप्रूवमेंट पॉलिसी में दी गई उस शर्त को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि बाद की परीक्षा में प्राप्त अंकों को कक्षा 12 के छात्रों के मूल्यांकन के लिए अंतिम माना जाएगा. कोर्ट के इस फैसले से छात्रों को बड़ी राहत मिली है क्योंकि अब
इंप्रूवमेंट एग्जाम में मिले नंबर्स को फाइनल नहीं माना जाएगा.
बेहतर नंबर्स को चुनने का ऑप्शन
जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की बैंच ने कहा कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) अंतिम परिणाम की घोषणा के लिये प्रतिभागी को अंतिम शैक्षणिक वर्ष में किसी विषय में प्राप्त दो अंकों में से बेहतर को स्वीकार करने का ऑप्शन देगा.
न्यायालय पिछले साल सीबीएसई की ओर से क्लास 12 के अंकों में सुधार के लिये आयोजित परीक्षा में शामिल हुए कुछ छात्रों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. शीर्ष अदालत ने कहा कि 17 जून, 2021 की पॉलिसी के खंड-28 में प्रावधान के बारे में शिकायत की गई है जिसमें कहा गया है कि इस नीति के अनुसार, इंप्रूवमेंट एग्जाम में हासिल अंकों को आखिरी माना जाएगा.
‘इंप्रूवमेंट एग्जाम के अंक फाइनल नहीं’
बैंच ने कहा, ‘इस के परिणामस्वरूप, हमें खंड-28 में उल्लेखित उस शर्त विशेष को खारिज करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि बाद की परीक्षा में मिले अंकों को अंतिम माना जाएगा.’ न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की शिकायत है कि यह शर्त पिछली नीति को हटाकर जोड़ी गई है, जहां एक विषय में एक उम्मीदवार द्वारा हासिल किए गए दो अंकों में से बेहतर को परिणाम की अंतिम घोषणा में रखा जाना था.
कोर्ट ने कहा कि सीबीएसई की पहले की पॉलिसी को हटाने के लिये कोई औचित्य नहीं बताया गया. सीबीएसई के पिछले साल 12वीं के बोर्ड के इम्तिहान महामारी के कारण रद्द कर दिए गए थे. याचिका निस्तारित करते हुए बैंच ने कहा कि उस नीति को अपनाए जाने की जरूरत थी क्योंकि छात्रों की ओर से चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना किया जा रहा है और यह अपने आप में उस प्रावधान को न्यायोचित ठहराता है जो छात्रों के लिए ज्यादा अनुकूल हो.
शुरुआत में, सीबीएसई के वकील ने कहा कि इन छात्रों का मूल्यांकन इंप्रूवमेंट एग्जाम के अनुसार किया गया है, और अब वे नीति का लाभ नहीं उठा सकते हैं. बैंच ने कहा, ‘यह आपको कैसे प्रभावित करता है? हमें औचित्य दें, ऐसा क्यों संभव नहीं है.’
दाखिले में हो सकती थी दिक्कत
सुप्रीम कोर्ट 11 छात्रों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्हें सीबीएसई ने 30:30:40 की मूल्यांकन नीति के आधार पर मूल परिणामों में उत्तीर्ण घोषित किया था और बाद में उन्हें पिछले साल अगस्त-सितंबर में आयोजित इंप्रूवमेंट एग्जाम में शामिल होने की इजाजत दी गई थी.
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पिछले महीने मामले की सुनवाई करते हुए, शीर्ष अदालत ने कहा था कि सीबीएसई को उन छात्रों की समस्या पर विचार करना चाहिए, जो पिछले साल 12वीं कक्षा में इंप्रूवमेंट एग्जाम में शामिल हुए थे लेकिन उन्हें कम अंक मिले, क्योंकि यह उच्च अध्ययन के लिये उन्हें मिले प्रवेश को प्रभावित करेगा. न्यायालय ने कहा था कि इंप्रूवमेंट एग्जाम में बैठने वाले छात्रों ने अपने मूल परिणामों के आधार पर प्रवेश लिया है और इसमें कोई खलल नहीं डालना चाहिए.
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