Chanakya Niti : ये तीन दोष व्यक्ति के विकास को रोकते हैं, बुद्धि को दूषित करते हैं, जानें यहाँ

Chanakya Niti
चाणक्य ( Acharya Chanakya ) ने कुछ ऐसे दोषों का उल्लेख किया है जो किसी की बुद्धि को खराब करते हैं और जीवन को बर्बाद कर देते हैं। आइए जानते हैं क्या हैं वो दोष।
Chanakya Niti: अहंकार
अहंकार मनुष्य को पतन के मार्ग पर ले जाता है। अभिमानी व्यक्ति स्वयं को सर्वोच्च मानता है। जब व्यक्ति में अहंकार का भाव होता है तो उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। अहंकार में रहने वाला व्यक्ति सही गलत का न्याय करने में असमर्थ होता है और खुद को चोट पहुँचाता है। अभिमान एक व्यक्ति को समाज से अलग करता है क्योंकि अभिमानी लोगों के आसपास रहना कोई पसंद नहीं करता है। चाणक्य ( Acharya Chanakya ) कहते हैं कि पद, धन आदि का अभिमान अस्थायी होता है। जब अहंकार टूट जाता है, तो व्यक्ति कहीं नहीं होता।
लालच
लालच व्यक्ति की बुद्धि के विकास को रोकता है। कुछ पाने की ललक उसे इतना लालची बना देती है कि उसकी सोचने और समझने की क्षमता क्षीण हो जाती है। लालची व्यक्ति हमेशा दूसरे व्यक्ति का फायदा उठाने के अवसर की तलाश में रहता है। लालच के जाल में फंसा व्यक्ति अच्छे-बुरे की पहचान नहीं कर पाता। आप लालच में कभी सफल नहीं होंगे।
काम
वासना में लिप्त व्यक्ति कभी भी अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता है। यह एक ऐसा दोष है जो यदि किसी व्यक्ति पर हावी हो जाए तो वह शरीर के साथ-साथ बुद्धि को भी नष्ट कर देता है। काम के मोह में व्यक्ति की सोचने और समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है।
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