कोरोना वैक्सीन को लेकर ताजा अपडेट जल्द मिल सकती है भारत सहित दुनिया भर के देशों को जल्द मिल सकेगी खुराक, Oxford यूनिवर्सिटी सहित कई कंपनियां ने की आर्थिक मदद की घोषणा
कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार करने के लिए दुनियाभर में 200 से ज्यादा प्रोजेक्ट पर काम हो रहा है, जिनमें से 21 से ज्यादा वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल में है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च पर तैयार हुआ वैक्सीन भी इन्हीं में से एक है। यह वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल के आखिरी दौर में है और भारत में इसे कोविशील्ड नाम से लॉन्च करने जा रही अग्रणी वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के दावे के मुताबिक जल्द ही यह लोगों के लिए उपलब्ध होगी। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के अलावा कंपनी नोवावैक्स की वैक्सीन का भी उत्पादन करेगी। भारत और निम्न आय वाले देशों के लिए इन दोनों वैक्सीन के 100 मिलियन यानी 10 करोड़ खुराक के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए शुक्रवार को बहुत बड़ी साझेदारी हुई है।
दरअसल, कुछ दिन पहले तक यह स्पष्ट नहीं था कि कोरोना वायरस की इस वैक्सीन के प्रोडक्शन की फंडिंग कहां-कहां से आएगी। लेकिन शुक्रवार को इस बारे में कंपनी की ओर से एक अहम जानकारी दी गई। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने शुक्रवार को कहा कि बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और गावी(Gavi) के साथ बड़ी साझेदारी हुई है। गावी(Gavi) का उद्देश्य पब्लिक प्राइवेट ग्लोबल हेल्थ पार्टनरशिप के तहत गरीब देशों में टीकाकरण अभियान को समर्थन और सहयोग करना है। यह बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन का हिस्सा है।
दरअसल, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को दो वैक्सीन (ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और नोवावैक्स की वैक्सीन) के उत्पादन में साझेदारी के तहत करीब 150 मिलियन डॉलर की मदद करेगी। साझेदारी की शर्त के अनुसार, पुणे स्थित इस कंपनी को प्रति खुराक तीन डॉलर लागत आ सकती है। समझौते के तहत, सीरम इंस्टीट्यूट को गेट्स फाउंडेशन द्वारा वैक्सीन एलायंस के माध्यम से यह मदद प्राप्त होगी।
भारत और निम्न आय वाले देशों के लिए कोरोना वैक्सीन की 100 मिलियन खुराक तैयार करने और इसके वितरण में तेजी लाने के लिए यह साझेदारी की गई है। बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन अपने स्ट्रेटेजिक इन्वेस्टमेंट फंड का उपयोग करते हुए, सीरम इंस्टीट्यूट को अपफ्रंट कैपिटल देगा ताकि उन्हें वैक्सीन की उत्पादन क्षमता बढ़ाने में मदद मिल सके। एक बार वैक्सीन फाइनल हो कि इसका उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा। खबरों के मुताबिक, साल 2021 की पहली छमाही में भारत और अन्य देशों में वितरण के लिए बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाएगा।
सीरम इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला का कहना है कि अधिकतम टीकाकरण कवरेज सुनिश्चित करने और महामारी को रोकने के लिए, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि दुनिया के सबसे दूरदराज और सबसे गरीब देशों में सस्ती इलाज और कोरोना निवारक उपायों की पहुंच हो। इस साझेदारी के जरिए हम इस भयानक बीमारी से लाखों लोगों के जीवन को बचाने के लिए अपने निरंतर प्रयासों को पूरा करने की कोशिश में हैं। एस्ट्राजेनेका और नोवावैक्स की वैक्सीन का उत्पादन इन्हीं प्रयासों का हिस्सा है।