जबलपुर:- मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में साफ किया कि प्रवेश के लिए दूसरे विषय के छात्र से तुलना नहीं की जा सकती। यह अनुचित है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय यादव व जस्टिस राजीव कुमार दुबे की युगलपीठ ने इस मत के साथ एमएड में प्रवेश के इच्छुक शिक्षक की याचिका खारिज कर दी। शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चचाई जिला रीवा के शिक्षक बृजेश तिवारी ने यह याचिका दायर कर कहा कि उसने 65.4 प्रतिशत अंकों से बीएड परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इसके बावजूद रीवा शिक्षण कॉलेज में उसे एमएड में प्रवेश नहीं दिया गया।
अधिवक्ता ज्ञानेंद्र पटेल ने दलील दी कि बीएड में याचिकाकर्ता से कम 65.27 प्रतिशत अंक लाने वाली शहडोल की संपूर्णा शुक्ला को प्रवेश दे दिया गया। राज्य सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता आशीष आनन्द बर्नार्ड ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता ने जीवविज्ञान में बीएड किया
जबकि अनावेदक संपूर्णा शुक्ला ने अंग्रेजी साहित्य में बीएड किया। संपूर्णा को अंग्रेजी साहित्य विषय के लिए एमएड में प्रवेश दिया गया। जबकि जीवविज्ञान विषय मे 69.36 प्रतिशत अंक पाने वाली स्मृति शुक्ला को प्रवेश दिया गया, जिसके अंक याचिकाकर्ता से अधिक हैं। हाई कोर्ट ने इस तर्क को रिकॉर्ड पर लेते हुए याचिका खारिज कर दी।