MPPSC-2019 का परिणाम निरस्त, अब क्या होगा?: प्री का रिजल्ट दोबारा बनेगा, सफल कैंडिडेट्स को देना होगा मैन्स; 11 हजार अभ्यर्थियों को फायदा Digital Education Portal
जबलपुर हाईकोर्ट ने MPPSC-2019 के प्री और मैन्स का रिजल्ट निरस्त कर दिया है। मामला संशोधित नियम 17 फरवरी 2020 से जुड़ा है, जिसे हाईकोर्ट ने असंवैधानिक बताया है। इसके साथ ही कोर्ट ने पुराने नियम के आधार पर प्री का रिजल्ट दोबारा तैयार करने का आदेश दिया है। जिसके बाद अब प्रारंभिक परीक्षा (Preliminary exam) का परिणाम नए सिरे से जारी होगा और इसमें सफल अभ्यर्थियों के लिए फिर से मुख्य परीक्षा (Main exam) का आयोजन किया जाएगा। इस परीक्षा में शामिल अन्य कैंडिडेट्स का क्या होगा, वे क्या करेंगे? हाईकोर्ट के आदेश से किसे नुकसान हुआ और किसे फायदा? एक्सप्लेनर में पढ़िए सभी सवालों के जवाब
हाईकोर्ट के फैसले का क्या असर होगा
सीनियर एडवोकेट रामेश्वर सिंह ठाकुर के मुताबिक पुराने नियम में प्रावधान है कि आरक्षित वर्ग (अनुसूचित जाति-जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं EWS) के ऐसे कैंडिडेट्स, जिन्होंने जनरल कैटेगरी के निर्धारित कट ऑफ के बराबर या उनसे अधिक मार्क्स हासिल किए हैं, वो जनरल कैटेगरी में माने जाएंगे। उनके बाहर निकलने से जो रिक्त सीट होती हैं, उस पर उसी आरक्षित अभ्यर्थी को मौका मिल जाएगा।
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किसका फायदा, किसका नुकसान
हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रारंभिक परीक्षा (पुराने रिजल्ट के अनुसार) में सफल और मुख्य परीक्षा दे चुके कई कैंडिडेट बाहर हो जाएंगे। खासकर सामान्य वर्ग वाले कैंडिडेट्स को नुकसान होगा। अब नए सिरे से पुराने नियम के आधार पर रिजल्ट जारी होगा, तो करीब 700 छात्रों को मुख्य परीक्षा में बैठने का मौका मिलेगा, इनमें कई ऐसे भी होंगे जो पुरानी व्यवस्था में बाहर हो गए थे।
वहीं, 1 से 6 मार्क्स की कमी से बाहर हो गए आरक्षित वर्ग के छात्रों को भी मैन एग्जाम में शामिल होने का मौका मिलेगा। पुराने नियम के आधार पर प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट घोषित होगा तो 11 हजार से अधिक कैंडिडेट्स को नए सिरे से मेरिट लिस्ट में आने का मौका मिलेगा।
अब गेंद MPPSC के पाले में
हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब गेंद MPPSC के पाले में है। उसे प्रीलिम्स का रिजल्ट नए सिरे से पुराने नियम के अनुसार घोषित कर मैन्स एग्जाम जल्द कराना होगा। मामला हाईकोर्ट में चले जाने से पहले से ही दो साल से चयन अटका पड़ा है। हालांकि अब MPPSC-2020 के रिजल्ट को लेकर फंसे पेंच को भी ये आदेश रास्ता दिखाएगा।
ओवरएज हो चुके कैंडिडेट्स के लिए मौका
मैन्स के लिए करीब 11 हजार से अधिक कैंडिडेट्स को बुलाया जाएगा। ऐसे कैंडिडेट्स जो अब ओवरएज हो चुके हैं, उन्हें पुरानी उम्र के आधार पर ही मैन्स में बैठने का मौका मिलेगा। हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार एक आदेश निकालकर पुराने रिजल्ट को निरस्त करने की अधिसूचना जारी करनी पड़ेगी।
डिवीजन बेंच के 89 पेज के फैसले में क्या है?
जबलपुर हाईकोर्ट में एक साथ 58 याचिकाओं पर सुनवाई चल रही थी। हाईकोर्ट ने 31 मार्च को ही सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। नए आदेश में संशोधन को शून्य कर दिया गया। MPPSC काे निर्देशित किया गया कि 2015 के नियम के अनुसार प्रारंभिक परीक्षा का फिर रिजल्ट घोषित करो। अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर के मुताबिक आदेश से मुख्य परीक्षा का रिजल्ट स्वत: निरस्त हो गया। अब नए रिजल्ट के अनुसार मैन्स एग्जाम और फिर इंटरव्यू होंगे।
सरकार के संशोधन में हो गई थी बड़ी चूक
राज्य सरकार ने MPPSC-2019 एग्जाम के बाद MPPSC आरक्षण अधिनियम-2015 में संशोधन कर दिया था। 17 फरवरी 2020 को जारी संशोधित नियम के प्रावधान में जोड़ दिया गया कि जनरल कैटेगरी की मेरिट लिस्ट में आरक्षित वर्ग के कैंडिडेट्स को शामिल नहीं किया जाएगा। इस वजह से संवैधानिक संकट खड़ा हो गया। आरक्षण की कुल सीमा 113% पहुंच गई। जनरल कैटेगरी के लिए 40%, ओबीसी के लिए 27%, एसटी-एससी वर्ग के लिए क्रमश: 16% व 20% और EWS के लिए 10% रिजर्वेशन हो गया था।
याचिका का आधार बना रिजर्वेशन
नए नियमों से रिजर्वेशन की तय सीमा का उल्लंघन हो रहा था। ये इंदिरा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना थी। इसी काे आधार बनाकर 58 कैंडिडेट्स ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका के जरिए MPPSC-2019 के रिजल्ट को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। एडवोकेट रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह ने आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4 (4) और संशोधन 17 फरवरी 2020 सहित रिजल्ट को चुनौती दी थी।
सरकार पहले ही वापस ले चुकी है संशोधन
मध्यप्रदेश राज्य सेवा परीक्षा नियम-2015 में किए गए संशोधन को राज्य सरकार ने 20 दिसंबर 2021 की सुनवाई के बाद 22 दिसंबर को वापस ले लिया था। रिजल्ट नए संशोधन के अनुसार ही जारी कर दिया था। इस कारण सरकार को अभी किसी नए संशोधन की जरूरत नहीं होगी। पहले से ही पुराना प्रावधान अमल में आ चुका है।
एग्जाम में तीन लाख कैंडिडेट्स हुए थे शामिल
MPPSC-2019 के प्री-एग्जाम में करीब तीन लाख कैंडिडेट्स शामिल हुए थे। परीक्षा कुल 587 पदों के लिए कराई गई थी। इनमें SDM, DSP जैसे प्रमुख पद भी शामिल थे। प्रारंभिक परीक्षा के बाद मुख्य परीक्षा के लिए पद की तुलना में 20 गुना कैंडिडेट्स को मौका दिया गया। इसके बाद इंटरव्यू के लिए तीन गुना कैंडिडेट्स को बुलाया जाता। फिर फाइनल सिलेक्शन का रिजल्ट जारी होता।
MPPSC-2019 के प्री और मेन के परिणाम निरस्त:587 पदों पर भर्ती के लिए हुए थे एग्जाम, कोर्ट ने कहा- नए नियम गलत, पुराने से बनाएं रिजल्ट
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