राज्य सरकार 20:50 फॉर्मूले को लेकर एक बार फिर सख्त हो गई है। सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभाग, निगम मंडल, कमिश्नर, कलेक्टर से चार दिसंबर तक कर्मचारियों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट मांगी है।
इस रिपोर्ट के आधार पर उन अधिकारियों-कर्मचारियों को नौकरी से बाहर किया जा सकेगा, जो लापरवाही बरतते हैं, अनियमितता करते हैं या फिर ईमानदारी से अपनी ड्यूटी नहीं कर रहे हैं। इसके लिए परफॉर्मेंस के आधार पर कर्मचारी को अंक दिए जाते हैं। जिसके 50 से कम अंक आएंगे। उसकी नौकरी खतरे में होगी।
केंद्र सरकार के इस नियम पर वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने तेज़ी से काम किया था। दो आइएएस और एक-एक आइपीएस- आइएफएस को परफॉर्मेंस रिपोर्ट खराब होने के कारण अनिवार्य सेवानिवृत्ति भी दी गई है, पर चुनाव के बाद से इस पर काम नहीं हो पाया था। अब फिर सरकार के रडार पर ऐसे अधिकारी और कर्मचारी आ गए हैं। सरकार 15 दिसंबर के बाद ऐसे कर्मचारियों के स्वास्थ्य की जांच भी कराएगी, जो बार-बार बीमार होते हैं। सरकार ने ऐसे कर्मचारियों को 20 साल की सेवा पूरी होने पर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का विकल्प दिया है। 1. सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों से अनिवार्य रूप से तय समय सीमा में रिपोर्ट मांगी है। दो साल से ठंडे बस्ते में पड़ा यह मामला एक बार फिर इसलिए गरमा गया क्योंकि हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों- कर्मचारियों की मैदानी पदस्थापना परफॉर्मेंस के आधार पर करने के लिए कहा है।
ये है 20:50 फॉर्मूला
20:50 फॉर्मूला वास्तव में केंद्र सरकार का है। जिस पर राज्य सरकार ने भी नियम बनाए हैं। इसके तहत काम में लापरवाही करने, अनियमितता करने, गोपनीय चरित्रावली खराब हो या स्वास्थ्य कारणों से काम करने में सक्षम न हो। ऐसे अधिकारी या कर्मचारी को 20 साल की सेवा और 50 साल की उम्र पूरी होने पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा सकती है। हालांकि इसके लिए बनाई गई छानबीन समिति संबंधित कर्मचारी के परफॉर्मस का आकलन करती है। समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार कर्मचारी को हटाने का निर्णय लेती है।
ऐसे तैयार होगा रिजल्ट
परफॉर्मेंस का आकलन गोपनीय चरित्रावली में तय श्रेणियों के आधार पर किया जाएगा। यदि किसी कर्मचारी को गोपनीय चरित्रावली में लगातार के श्रेणी मिलती है, तो उसके 20 साल में 100 अंकहो जाएंगे, लेकिन गऔर घ श्रेणी वाले कर्मचारी कार्रवाई के दायरे में आ जाएंगे।
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