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जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने पर्यावरण विज्ञान व शिक्षा पर ऑनलाइन रिफ्रेशर कोर्स शुरू

जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने पर्यावरण विज्ञान व शिक्षा पर ऑनलाइन रिफ्रेशर कोर्स शुरू नई दिल्ली| जामिया मिल्लिया इस्लामिया के यूजीसी-मानव संसाधन विकास केंद्र (एचआरडीसी) और भूगोल विभाग ने संयुक्त रूप से, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के शिक्षकों के लिए दो सप्ताह का ऑनलाइन पर्यावरण विज्ञान और शिक्षा रिफ्रेशर कोर्स शुरू कर दिया है। गूगल मीट से चलाए जा रहे इस कोर्स में जामिया सहित विभिन्न काॅलेजों और विश्वविद्यालयों के 100 से ज़्यादा फैकल्टी मेंबर हिस्सा ले रहे हैं।

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भारत और विदेशों के विभिन्न विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और संस्थानों के प्रतिष्ठित रिसोर्स पर्सन और एक्सपर्ट इस पाठ्यक्रम के दौरान, इसमें हिस्सा लेने वालों को अपनी विशेषज्ञ राए देंगे। जामिया की कुलपति, प्रो नजमा अख्तर इसके उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि थीं।

इसमें यूआईजीसी-एचआरडीसी, जामिया के निदेशक प्रो अनीसुर रहमान, भूगोल विभाग प्रमुख, प्रोफेसर मैरी ताहिर और अन्य विभागों तथा अन्य कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। प्रो अनीसुर रहमान के स्वागत भाषण से उद्घाटन सत्र की शुरूआत हुई। मुख्य अतिथि, अन्य गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों का स्वागत करने के बाद उन्होंने रिफ्रेशर कोर्स के बारे में जानकारी दी।

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प्रो मैरी ताहिर ने उन विषयों और मुद्दों के बारे में संक्षिप्त में बताया, जिन पर रिफ्रेशर कोर्स के विभिन्न सत्रों में चर्चा होगी। कुलपति प्रो नजमा अख्तर ने अपने उद्घाटन संबोधन में कहा कि पर्यावरण विज्ञान और शिक्षा के पहले रिफ्रेशर कोर्स की प्रकृति मल्टीडिसिप्लिनरी है और समाज द्वारा सामना की जा रहीं समकालीन चुनौतियों से निपटने के लिए एक व्यवहार्य विकल्प, इंटरडिसिप्लिनरी नजरिया ही हो सकता है।

उन्होंने कहा कि आज कोरोना से उपजे हालात, एक तरफ जैविक विज्ञान और भौतिक विज्ञान के बीच इंटरडिसिप्लिनरी नजरिए के महत्व को बताते हैं तो दूसरी तरफ सामाजिक विज्ञान की अहमियत को भी रेखांकित करते हैं।

इसके अलावा, भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, पारिस्थितिकी, भूगोल, भूविज्ञान, अर्थशास्त्र, कानून और पर्यावरण विज्ञान जैसे मल्टीडिसिप्लिनरी नजरिए का भी अपना बहुत महत्व है। पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में किसी बड़ी आपदा के आने पर, इन सबके शोधकर्ताओं को मिल कर किसी बड़े मसले का हल ढूंढना होता है और कारगर प्रौद्योगिकी विकसित करनी होती है।

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