
घुमंतुओं के कला शिल्प पर केंद्रित होगा लोकरंग 2022 कार्यक्रम।
भोपाल । मध्य प्रदेश सरकार ने इस बार राज्य की विमुक्त तथा घुमंतु जनजातियों पर आधारित लोकरंग -2022 आयोजित करने का निर्णय लिया है। उत्सव में नृत्य नाटक, प्रदर्शनी और व्यंजन मेला खानाबदोश जनजातियों की जीवन शैली, भोजन, कला, संस्कृति और पौराणिक कथाओं पर केंद्रित होगा। इसके साथ ही खानाबदोश जनजातियों पर ध्यान केंद्रित करने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है। उल्लेखनीय है कि गणतंत्र दिवस पर संस्कृति विभाग द्वारा राजधानी में लोकरंग का और प्रदेश के सभी जिलों में भारत पर्व का आयोजन किया जाता है, जिसमें सभी जिलों में कलाकार एक साथ सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देते हैं।
पांच दिवसीय भव्य वार्षिक उत्सव लोकरंग हर वर्ष गणतंत्र दिवस से शुरू होकर शहीद दिवस तक चलता है। रवींद्र भवन आगामी लोकरंग का आयोजन स्थल होगा। आदिवासी लोक कला एवं बोली विकास अकादमी के अधिकारी अशोक मिश्रा ने बताया कि खानाबदोश जनजातियों को समर्पित यह देश का पहला त्योहार होगा। राज्य में लगभग 26 खानाबदोश जनजातियां हैं। उनमें से लोकरंग में पांच पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, जिसमें कालबेलिया, बेड़िया, पारधी और कुचबंदिया और बेदिया शामिल हैं। उनका कहना है कि आगामी लोकरंगों में बाकी खानाबदोश जनजातियों को शामिल करेंगे। मप्र में खानाबदोश जनजातियों की आबादी लगभग आठ लाख है। मिश्रा का कहना है कि प्रलेखन के अभाव में लोग खानाबदोश जनजातियों की परंपराओं, कला और संस्कृति के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं। हम पिछले 7-8 महीनों से उनके बारे में जानकारी संकलित करने का काम कर रहे हैं। घुमंतू जनजातियों की उपेक्षा की गई है। और हम उनके बारे में जो कुछ भी जानते हैं वह नकारात्मक है। हम उनके सकारात्मक पक्ष को पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। हम उनके सौंदर्यशास्त्र और उनकी कला को देखने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें पत्थर का काम भी शामिल है।
समवेत नृत्य नाटिका में होगा कालबेलिया नृत्य: लोकरंग के उद्घाटन दिवस पर मंचित समवेत नृत्य नाटिका कालबेलिया समुदाय की कला के साथ अन्य खानाबदोश जनजातियों के जीवनचक्र, संस्कृति और वेशभूषा पर आधारित होगी। 45-50 मिनट के कार्यक्रम की पटकथा तैयार की जा रही है। उत्सव में प्रदर्शनी भी खानाबदोश जनजातियों पर आधारित होगी। उत्सव में आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और अन्य राज्यों के खानाबदोश जनजातियों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जा रहा है। मिश्रा ने बताया कि फूड स्टाल में लोक और आदिवासी भोजन के अलावा यह भी सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि खानाबदोश जनजातियों के व्यंजन उत्सव का हिस्सा बनें।
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