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Madhya Pradesh News: जनभागीदारी अतिथि विद्वानों ने कार्यदिवस का वेतन बढ़ाने की मांग की Digital Education Portal
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Madhya Pradesh News: जनभागीदारी अतिथि विद्वानों ने कार्यदिवस का वेतन बढ़ाने की मांग की Digital Education Portal

स्ववित्तीय जनभागीदारी अतिथि विद्वानों की मांगों के समर्थन में पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने लिखा उच्च शिक्षा मंत्री को पत्र।

Madhya pradesh news: जनभागीदारी अतिथि विद्वानों ने कार्यदिवस का वेतन बढ़ाने की मांग की

भोपाल, प्रदेश के सरकारी कालेजों में जनभागीदारी मद के तहत अतिथि विद्वानों को वेतन देने में प्राचार्य। इससे अब अतिथि विद्वान परेशान हो रहे हैं। उन्हें प्रत्येक दिन के हिसाब से वेतन दिया जाता है। अब ऐसे में कालेजों में पढ़ाने वाले अतिथि विद्वानों को हर माह 15 से 17 हजार रुपये वेतन मिल रहा है। इसे लेकर प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में संचालित स्ववित्तीय पाठ्यक्रम एवं परंपरागत पाठ्यक्रम में जनभागीदारी मद से नियुक्त स्ववित्तीय जनभागीदारी अतिथि विद्वानों ने अपनी मांगों को लेकर प्रदेश सरकार के प्रमुख मंत्रियों के साथ-साथ पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ को भी अपनी मांगों से अवगत करवाने के लिए शनिवार को आवेदन दिया।
जनभागीदारी के अतिथि विद्वान अपनी मांगों को लेकर कालेज प्राचार्यों को भी कई बार आवेदन दे चुके हैं। प्रदेश में करीब सात हजार अतिथि विद्वान पदस्थ हैं, जो कालेजों के प्रोफेसरों या अतिथि विद्वानों से अधिक कार्य करते हैं। अतिथि विद्वानों की मांगों को जायज मानते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उच्च शिक्षा मंत्री डा. मोहन यादव को पत्र लिखा है।
बता दें, कि प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत स्ववित्तीय जनभागीदारी अतिथि विद्वान एवं रिक्त पदों पर कार्य कर रहे अतिथि विद्वानों के कार्यकाल एवं वेतनमान में बहुत भिन्नता है। अतिथि विद्वानों का कहना है कि एक समान योग्यता रखने के बाबजूद रिक्त पद पर कार्य करने वाले अतिथि विद्वान को 1500 प्रति कार्य दिवस एवं न्यूनतम 35 हजार रुपये प्रति माह वेतन के साथ 12 माह का कार्यकाल रहता है, जबकि स्ववित्तीय जनभागीदारी अतिथि विद्वानों को किसी महाविद्यालय में 10 हजार रुपये तो किसी महाविद्यालय में 15 हजार रुपये तो कही 20 हजार रुपये तो कुछ को 25 हजार रुपये वेतनमान मिलता है। साथ ही कार्यकाल भी सात माह, आठ माह और 11 माह रहता है। प्रदेश के जनभागीदारी स्ववितीय अतिथि विद्वानों की प्रमुख मांग है कि एक समान योग्यता रखने के बावजूद इस तरह से अतिथि विद्वानों में भेद न करते हुए रिक्त पदों पर कार्यरत अतिथि विद्वानों के समान हमारा वेतनमान तय कर समान कार्य के लिए समान वेतन की व्यवस्था की जाए एवं स्ववित्तीय पाठ्यक्रमों को परंपरागत पाठ्यक्रम में शामिल कर पद सृजित किए जाए। स्ववित्तीय जनभागीदारी अतिथि विद्वान कल्याण संघ मप्र की उपाध्यक्ष योगिता सोनी ने कहा कि हमें भी अतिथि विद्वानों की तरह वेतन दिया जाए। इसके अलावा सभी को समान वेतनमान होना चाहिए।
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