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मध्यप्रदेश की दो बेटियों ने इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) में ऑल इंडिया में पहली और दूसरी रैंक पर कब्जा जमा कर प्रदेश का नाम रोशन किया है। मुरैना की नंदिनी अग्रवाल ने 800 में 614 (76.75%) अंकों के साथ AIR-1 और इंदौर की साक्षी एरन ने 613 (76.63 %) अंकों के साथ AIR-2 रैंक हासिल की है। दोनों ने ये मुकाम हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की है। नंदिनी ने सोशल मीडिया से दूरी बनाई, जबकि साक्षी एरन ने साेशल मीडिया को सिर्फ जानकारी के लिए उपयोग किया। जानते हैं दोनों बेटियों के टाॅप करने के पीछे की कहानी…
नंदिनी ने अपनी मां से ली प्रेरणा
नंदिनी के पिता नरेश चंद्र गुप्ता मुरैना में कर सलाहकार हैं। मां डिंपल गुप्ता हाउस वाइफ हैं। नंदिनी बताती हैं कि उनकी मां कॉमर्स में ग्रैजुएट हैं। उनसे ही प्रेरणा लेकर CA बनने का निश्चय किया, चूंकि घर में कॉमर्स का माहौल है, जिससे काफी मदद मिली। 2017 में उसने CA की प्रवेश परीक्षा दी थी। परीक्षा की तैयारी के लिए पिछले साल सितंबर से पढ़ाई पर ज्यादा जोर दिया। रोजाना करीब 14-15 घंटे पढ़ाई करती थी। सोशल मीडिया से पूरी तरह दूरी बना रखी थी।
नंदिनी अग्रवाल अपने भाई सचिन और मां डिंपल गुप्ता के साथ।
आर्टिकलशिप के दौरान करना पड़ा टाइम मैनेजमेंट
नंदिनी का कहना है कि गुड़गांव की MNC कंपनी PWC और CW भारत में आर्टिकलशिप की। इस दौरान करीब 7-8 घंटे काम करना पड़ता था। वहां से आने के बाद तीन से चार घंटे ही पढ़ाई हो पाती थी। नंदिनी ने ऑनलाइन क्लासेस लीं। पिछले साल सितंबर से पूरा फोकस पढ़ाई पर किया। नतीजा, 19 साल की नंदिनी ने पहले ही प्रयास में ऑल इंडिया रैंक हासिल कर ली।
पिता बोले- चंबल में लड़कियों को पढ़ाने में रुचि नहीं लेते
नंदिनी के पिता नरेश चंद्र अग्रवाल का कहना है कि चंबल संभाग में लड़कियों को लोग अधिक पढ़ाने में रुचि नहीं लेते हैं, लेकिन उन्होंने बेटी को पढ़ाया। उसे CA का फैमिली बैकग्राउंड मिला। इसी वजह से दोनों भाई बहन ने CA की परीक्षा की तैयारी की।
भाई की भी आई 18वीं रैंक
नंदिनी के उसके भाई सचिन ने भी CA फाइनल की परीक्षा दी। उसने ऑल इंडिया में 18वीं रैंक हासिल की है। उसने 10वीं में भी 95% हासिल की। 2017 के बाद बीकॉम इग्नू ज्ञानी इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी दिल्ली से 2019 में पास की।
साक्षी एरन- एस्ट्राेनॉट बनना चाहती थी, बन गई CA
इंदौर की रहने वाली साक्षी बचपन में एस्ट्रोनॉट बनना चाहती थी, लेकिन 10वीं के बाद कॉमर्स विषय लिया, क्योंकि उन्हें बायो पसंद नहीं था। इंजीनियरिंग में स्कोप नजर नहीं आया था, इसलिए उन्होंने कॉमर्स लिया। 12वीं के बाद CA की तैयारी शुरू की। उन्होंने कहा कि अब वे आगामी 2 साल तक कॉर्पोरेट में जॉब करना चाहती हैं। इसके बाद वह MBA की पढ़ाई पर विचार कर रही हैं, हालांकि वह USA के चार्टर्ड फाइनेंशियल एनालिस्ट की भी तैयारी कर रही हैं।
साक्षी ने बताया कि 3 साल की आर्टिकलशिप ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने ढाई साल आनंद सकलेचा एंड कंपनी में ट्रेनिंग ली। इसके बाद एक साल से हिंदुस्तान यूनिलीवर में इंडस्ट्रियल ट्रेनी के रूप में ट्रेनिंग ले रही है। इसके चलते उन्हें पढ़ाई के लिए काफी टाइम मैनेजमेंट करना पड़ा। CA की पढ़ाई के लिए वह रोजाना सुबह साढ़े 5 बजे से 10 बजे तक पढ़ाई करती। इसके बाद दोपहर में ट्रेनिंग कर शाम को घर लौटती। रात 9 बजे से 12 बजे तक दोबारा पढ़ाई करती।
साक्षी की कामयाबी पर माता-पिता ने उसका मुंह मीठा कराया।
लॉकडाउन का मिला फायदा
उन्होंने बताया कि कोरोना काल में लॉकडाउन में उन्हें काफी फायदा हुआ,क्योंकि वर्क फ्रॉम होम के चलते ट्रैवलिंग का टाइम बचा। उस टाइम को मैनेज कर पढ़ाई की, हालांकि उन्होंने दिसंबर 2018 से 2021 जनवरी तक प्राइवेट कोचिंग भी की। कोरोना काल में 8 घंटे पढ़ाई करती थी। उनकी बहन ने भी काफी सपोर्ट किया। उनकी छोटी बहन सौम्या उनकी किताबें और सामान तक सही जगह रखती थी, ताकि उनकी किताबें समय पर उन्हें मिल सके। हालांकि वह सोशल मीडिया से ज्यादा दूर नहीं रही। जितनी जरूरत लगी, सोशल मीडिया का उतना उपयोग किया।
उम्मीद लगाकर नहीं रखी
साक्षी का कहना है कि उन्होंने कभी भी उम्मीद लगाकर नहीं रखी। इसके पहले वे चार्टर्ड अकाउंटेंट्स इंटरमीडिएट में भी ऑल इंडिया टॉपर रह चुकी है। उस वक्त भी उन्होंने उम्मीद नहीं लगाकर रखी थी। इस बार रिजल्ट आने के बाद उन्हें बस यही था कि वह पास हो जाए। साक्षी ने बताया कि उन्होंने सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दिया और यह सफलता हासिल की। रिजल्ट आने के बाद उन्होंने मैरिट लिस्ट चेक की।
पिता को थी पूरी उम्मीद
साक्षी के पिता भूपेंद्र एरन ने बताया कि उन्हें उम्मीद थी कि बेटी मेरिट में आएगी। रिजल्ट आने और बेटी के ऑल इंडिया सेकंड रैंक हासिल करने के बाद मानो उनके चेहरे खुशी से खिल उठे। साक्षी की इस सफलता के बाद घर को सजाया गया। साक्षी के दोस्त भी उनके घर उन्हें बधाई देने पहुंचे।
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