भोपाल। विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान तीसरे दिन सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा चल रही है।
अविश्वास प्रस्ताव पर सत्तापक्ष की ओर से शुरुआत करते हुए गृह मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा ने कमल नाथ के नेतृत्व में डेढ़ साल रही कांग्रेस सरकार पर जमकर हमले किए। उन्होंने कहा कि आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी हुई थी सरकार वल्लभ भवन को दलाली का अड्डा बना दिया गया था। 165 दिन में साडे 400 आइएएस, आइपीएस और 15 हजार से अधिक कर्मचारियों के स्थानांतरण किए थे। आयकर विभाग के छापे में अश्विनी शर्मा सहित अन्य से 281 करोड़ रुपये बरामद हुए थे। संवेदनहीन सरकार थी। भोपाल में जब बच्चे बड़े तालाब में डूब गए थे तब मुख्यमंत्री मंत्रालय में बैठे थे। एक भी व्यक्ति संवेदना तक जताने के लिए नहीं पहुंचा। कर्ज माफी को लेकर बात करते हैं, लेकिन किसी भी किसान का दो लाख रुपये का कर्ज माफ नहीं हुआ। यदि किसी एक भी किसान की दो लाख रुपये की ऋण माफी होना बता देंगे तो मैं इस्तीफा दे दूंगा। जबकि हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक लाख करोड़ रुपये से अधिक किसी न किसी योजना के तहत किसानों के खाते में पहुंचाए हैं।
कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर नरोत्तम ने कहा कि एक समय था जब प्रदेश में डकैत नक्सली और सिमी के आतंकियों का बोलबाला था लेकिन मुख्यमंत्री के नेतृत्व में हमने न सिर्फ प्रदेश को डकैत मुक्त बनाया है बल्कि सिमी के नेटवर्क को भी ध्वस्त कर दिया है। नक्सलियों को अब उनके घर में घुसकर मार रहे हैं। अपराधियों के हौसले इस कदर बुलंद थे कि सतना में दिनदहाड़े बच्चों का अपरहण हो गया था। कांग्रेस उत्तेजना फैलाने का काम करती है। राजा पटेरिया ने जिस तरह की भाषा का उपयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए किया है उसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। कांग्रेस के ही नेता देश के अंदर सेना के बारे में पिटाई जैसे शब्द का प्रयोग करते हैं जो असहनीय है। इसकी कड़े शब्दों में निंदा होनी ही चाहिए। ठंड हो गर्मी, हमारी सेना के जवान सेना पर तैनात रहते हैं इसलिए ही हम यहां पर सुख चैन से रह पाते हैं।
नरोत्तम ने अवैध उत्खनन को लेकर कहा कि जब कांग्रेस की सरकार थी, तब मंत्री पद पर रहते हुए डा. गोविंद सिंह ने ही जनता से माफी मांगी थी कि हम अवैध उत्खनन नहीं रोक पा रहे हैं। आपके ही एक मंत्री ने यह आरोप लगाया था कि पर्दे के पीछे से सरकार कोई और चला रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान वाकई में इतिहास पुरुष हैं। उन्हें गोल्ड मेडल मिलना ही चाहिए। कांग्रेस सत्ता विरोधी लहर की बात करती है लेकिन अगले 20 साल तक हमारी ही सरकार रहेगी। पहले भी हमें ही वोट अधिक मिले थे, लेकिन सीटें ज्यादा जरूर आपकी आई थी, पर बहुमत नहीं था। तिनका- तिनका जोड़कर सरकार बनाई थी। कमल नाथ छिंदवाड़ा और डा. गोविंद सिंह भिंड तक ही सीमित रहते हैं। कोरोना के समय कमल नाथ ने कोई तैयारी नहीं की। वे तो आइफा अवार्ड की तैयारी और जैकलिन फर्नांडीस के साथ फोटो खिंचवाने में व्यस्त थे। ईश्वर की कृपा थी कि शिवराज आ गए। रात-रातभर जागकर व्यवस्थाएं बनाई डॉक्टर से लेकर ऑक्सीजन टैंकर लेकर आने वाले ड्राइवरों तक से बात की। जिस चिरायु अस्पताल को लेकर आरोप लगाया जा रहा है, उसके डा. अजय गोयनका का सम्मान पिछले दिनों ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में कमल नाथ ने किया है। हमारे नेता पूरे प्रदेश में जाते हैं।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर अत्याचार किए जाने के आरोप पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि जब आप की सरकार थी, तब मेरे 18 लोगों को जेल में भेज दिया था। मेरे मित्र की होटल पर बुलडोजर चला दिया था। संजय पाठक के रिसोर्ट पर बुलडोजर चला दिया था। शराब की होम डिलीवरी सेवा शुरू कर दी थी। महिलाओं के लिए अलग शराब दुकान खोलने की व्यवस्था तक बना दी थी। जबकि, हमारे मुख्यमंत्री ने एक भी नई शराब की दुकान नहीं खोली। आलोचना का स्तर इतना गिर गया है कि महाकाल लोक को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। ऐसा ही आरोप सिंहस्थ को लेकर भी लगाया गया था लेकिन जहां धर्मात्मा राज्य करते हैं वहां परमात्मा भी मदद करते हैं।
10 साल से लोकसभा में विपक्ष का नेता नहीं बना पा रहे हैं। 2023 में मध्य प्रदेश में प्रतिपक्ष का नेता बनाने लायक लोग भी यहां नहीं होंगे, यह मैं आपको वचन देता हूं। डा. मिश्रा के जवाब के दौरान कई बार हंगामा भी हुआ। कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने अपने समुदाय को लेकर टिप्पणी की, जिस पर सत्ता पक्ष के साथ-साथ विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने भी आपत्ति की। उन्होंने कहा कि जब यहां किसी वर्ग विशेष को लेकर कोई बात नहीं हो रही है तो फिर इस तरह से बात करके वातावरण क्यों बिगाड़ा जा रहा है, यह ठीक नहीं है।
सुशासन के नाम पर जनप्रतिनिधियों को परेशान किया जा रहा : डा. गोविंद सिंह
इससे पहले विपक्ष की ओर से नेता प्रतिपक्ष डा. गोविंद सिंह ने अविश्वास प्रस्ताव पर बहस की शुरुआत की और शिवराज सरकार पर हमला बोला। उन्होंने सरकार पर सुशासन के नाम पर जनप्रतिनिधियों का अपमान करने का आरोप लगाया और कहा कि कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। यहां कलेक्टर राज चल रहा है। कोरोना के समय अस्पतालों में लोगों को इलाज नहीं मिला। भोपाल के चिरायु अस्पताल में लोग तड़प तड़प पर मर गए लेकिन सरकार उस पर मेहरबान बनी रही। भले ही अस्पताल को भूमि कांग्रेस के समय में दी गई थी लेकिन अब अव्यवस्था का आलम है कोई सुनने वाला नहीं है। यदि कुछ गलत हुआ था तो कार्रवाई होनी चाहिए। बेरोजगारी चरम पर है किसी को रोजगार नहीं मिल रहा है। स्वरोजगार के नाम पर जितनी भी योजनाएं प्रारंभ की गई थीं, वे सब कागज पर हैं1 किसी को कोई काम नहीं मिल रहा है। पंजीकृत बेरोजगारों संख्या मध्यप्रदेश में 3200000 है। केंद्र सरकार के आंकड़ों के हिसाब से यह संख्या सवा करोड़ के आसपास है। भिंड में ओला पीड़ितों के नाम पर भ्रष्टाचार हुआ है। अधिकारियों ने मिलीभगत करके 400000000 रुपये खा लिए और कार्रवाई के नाम पर सिर्फ एक दो पटवारी को निलंबित कर दिया। आयुष्मान योजना में भी घोटाला हुआ अस्पताल में डॉक्टर नहीं है और मरीज भर्ती हो रहे हैं। लाखों रुपए के बिल बन गए। वीडियो जिनके प्रसारित हुए, उन पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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