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नई एजुकेशन पॉलिसी: सवा लाख छात्रों ने गलत विषय चुने, समय पर सुधार नहीं होता तो एडमिशन होते निरस्त Digital Education Portal

सॉफ्टवेयर में फॉर्म रिजेक्ट की व्यवस्था रहती तो नहीं होती गड़बड़ी। - dainik bhaskar

सॉफ्टवेयर में फॉर्म रिजेक्ट की व्यवस्था रहती तो नहीं होती गड़बड़ी।

देशभर में सबसे पहले एमपी में लागू हुई नई एजुकेशन पॉलिसी को समझने में इंदौर के 17 हजार सहित प्रदेशभर के सवा लाख से ज्यादा छात्र चूक गए। नतीजा यह हुआ कि इन छात्रों ने जिस विषय (इलेक्टिव सब्जेक्ट) के चयन का अधिकार नहीं, वे भी चुन लिए। कियोस्क सेंटर पर ऑनलाइन फॉर्म भरने के दौरान यह गड़बड़ी हुई। इसमें 12वीं के बाद फर्स्ट ईयर में एडमिशन लेने वाले छात्रों के साथ उच्च शिक्षा विभाग की गलती है।

विभाग को सॉफ्टवेयर में ही ऐसी व्यवस्था करना थी कि जब कोई छात्र गलत विषय चुने तो फॉर्म रिजेक्ट हो जाए। इस गड़बड़ी को सुधारने के लिए विभाग के अधिकारियों के साथ कॉलेज के प्राचार्यों और स्टाफ को एक महीने मशक्कत करना पड़ी। एक-एक छात्र को फोन लगाए, मैसेज भेजे और गलत विषय हटाकर नए जोड़े गए। उनसे नया विषय लेकर सुधार किया। यदि यह प्रक्रिया समय पर नहीं होती तो एडमिशन निरस्त हो जाते।

नई पॉलिसी में कोर्स चुनने में इस तरह हुई चूक

नई पॉलिसी में 12वीं पास छात्रों को कॉलेज में तीनों संकाय में प्रवेश के साथ कुछ अहम बातों का ध्यान रखना था। बीएससी यानी साइंस संकाय के छात्रों को काॅमर्स और आर्ट्स दोनों में से इलेक्टिव विषय चुनने का अधिकार था, जबकि बीकॉम के छात्रों को कॉमर्स और आर्ट्स संकाय में से ही एक विषय चुनने का अधिकार था। वहीं बीए के छात्र को सिर्फ आर्ट्स का ही एक इलेक्टिव विषय चुनना था, लेकिन 80 हजार से ज्यादा बीए के छात्रों ने कॉमर्स या साइंस में से भी एक विषय चुन लिया। इसी प्रकार बीकॉम के हजारों छात्रों ने भी बीएससी का भी एक विषय चुन लिया।

यूजी का कोर्स अब ऐसा हो गया, कुल चार साल

नई एजुकेशन पॉलिसी में यूजी कोर्स चार साल का कर दिया गया है। एक साल में पढ़ाई छोड़ने पर सर्टिफिकेट, दूसरे वर्ष में डिप्लोमा और तीसरे वर्ष में डिग्री मिलेगी। तीसरे साल में जिस छात्र का सीजीपीए (7.5) रहेगा उसे ही चौथे वर्ष में प्रवेश मिलेगा। चार साल पढ़ाई पूरी करने वाले छात्रों को ऑनर्स की डिग्री मिलेगी।

ऐसे हुए एडमिशन

यूजी में एडमिशन लेने वाले छात्रों को अपने मूल विषय और फाउंडेशन कोर्स के साथ एक वैकल्पिक (जैनरिक) व एक वोकेशनल कोर्स भी चुनना था। पहले एक छात्र को 3 विषयों (फाउंडेशन अलग) के कुल 9 पेपर देना होते थे। अब उन्हें 6 विषयों के 11 पेपर देना होंगे। एग्जाम मई के दूसरे सप्ताह में प्रस्तावित है।

एजुकेशन पॉलिसी का पहला साल, इसलिए बच्चों से हुई गड़बड़

नई एजुकेशन पॉलिसी को देख रहे प्रोफेसरों की ट्रेनिंग के हेड रहे प्रो. एमडी सोमानी का कहना है चूंकि यह पहला साल है, इसलिए छात्रों से समझने में चूक हुई। हालांकि भोपाल के अफसरों ने लगातार अलग-अलग बिंदुओं पर काम किया और प्राचार्यों से करवाया। उसी का नतीजा है कि सुधार हो गया। डीएवीवी के परीक्षा नियंत्रक प्रो. अशेष तिवारी ने बताया कि यूनिवर्सिटी के एमपी ऑनलाइन सेंटर से भी मदद की गई।

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