लू लगने से मृत्यु क्यों होती है ?हम सभी धूप में घूमते हैं फिर कुछ लोगों की ही धूप में जाने के कारण अचानक मृत्यु क्यों हो जाती है ?
भले ही आपको यह बात अजीब या बढ़ा-चढ़ाकर कही जाने वाली लगे, लेकिन यह बात पूरी तरह से सच है। गर्मी के दिनों में चलने वाली गर्म हवाएं, जो लू कहलाती हैं, आपके लिए बेहद खतरनाक हो सकती हैं। ये आपके शरीर के तापमान को अत्यधिक बढ़ा देती हैं, जो आपके लिए घातक हो सकता है। कैसे…जानिए यहां –
दरअसल हमारे शरीर का संतुलित तापमान 37 डिग्री सेल्सियस तक होता है, जिसमें शरीर के सभी अंग ठीक तरीके से कार्य करते हैं। शरीर से पसीने को बाहर निकालने के बाद भी शरीर तापमान का यह स्तर बनाए रखता है। लेकिन खास तौर से गर्मी के दिनों में शरीर का तापमान इससे अधिक होने पर कुछ लोगों को सेहत समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यही कारण है कि लू से बचने के लिए धूप में बाहर न निकलने और ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की सलाह दी जाती है, ताकि शरीर का तापमान न बढ़े।
👉 हमारे शरीर का तापमान हमेशा 37° डिग्री सेल्सियस होता है, इस तापमान पर ही हमारे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम कर पाते है ।
👉 पसीने के रूप में पानी बाहर निकालकर शरीर 37° सेल्सियस टेम्प्रेचर मेंटेन रखता है, लगातार पसीना निकलते वक्त भी पानी पीते रहना अत्यंत जरुरी और आवश्यक है ।
👉 पानी शरीर में इसके अलावा भी बहुत कार्य करता है, जिससे शरीर में पानी की कमी होने पर शरीर पसीने के रूप में पानी बाहर निकालना टालता है । (बंद कर देता है )
👉 जब बाहर का टेम्प्रेचर 45° डिग्री 🌞के पार हो जाता है और शरीर की कूलिंग व्यवस्था ठप्प हो जाती है, तब शरीर का तापमान 37° डिग्री से ऊपर पहुँचने लगता है ।
👉 शरीर का तापमान जब 42° सेल्सियस 🌠तक पहुँच जाता है तब रक्त गरम होने लगता है और रक्त में उपस्थित प्रोटीन पकने लगता
है ।
👉 स्नायु कड़क होने लगते हैं इस दौरान सांस लेने के लिए जरुरी स्नायु भी काम करना बंद कर देते हैं ।
👉 शरीर का पानी 💧 कम हो जाने से रक्त गाढ़ा होने लगता है, ब्लडप्रेशर low हो जाता है, महत्वपूर्ण अंग (विशेषतः ब्रेन) तक ब्लड सप्लाई रुक जाती है ।
👉 व्यक्ति कोमा 🛌में चला जाता है और उसके शरीर के एक-एक अंग कुछ ही क्षणों में काम करना बंद कर देते हैं, और उसकी मृत्यु हो जाती है ।
👉गर्मी के दिनों में ऐसे अनर्थ टालने के लिए लगातार थोड़ा-2 पानी पीते रहना चाहिए और हमारे शरीर का तापमान 37° मेन्टेन किस तरह रह पायेगा इस ओर ध्यान देना चाहिए ।
Equinox phenomenon:
इक्विनॉक्स प्रभाव आने वाले दिनों में भारत को प्रभावित करेगा ।
कृपया 12 से 3 बजे के बीच घर, कमरे या ऑफिस के अंदर रहने का प्रयास करें ।
तापमान 40 डिग्री के आस पास विचलन की अवस्था मे रहेगा ।
यह परिवर्तन शरीर मे निर्जलीकरण और सूर्यातप की स्थिति उत्पन्न कर देगा ।
(ये प्रभाव भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर सूर्य चमकने के कारण पैदा होता है) ।
कृपया स्वयं को और अपने जानने वालों को पानी की कमी से ग्रसित न होने दें ।
किसी भी अवस्था में कम से कम 3 लीटर पानी जरूर पियें । किडनी की बीमारी वाले प्रति दिन कम से कम 6 से 8 लीटर पानी जरूर लें ।
जहां तक सम्भव हो ब्लड प्रेशर पर नजर रखें । किसी को भी हीट स्ट्रोक हो सकता है ।
🍉🍇🥒फल और सब्जियों को भोजन मे ज्यादा स्थान दें ।
🔥हीट वेव कोई मजाक नही है ।
🤽ठंडे पानी से नहाएं । इन दिनों मांस का प्रयोग छोड़ दें या कम से कम करें ।
एक बिना प्रयोग की हुई मोमबत्ती 🕯️को कमरे से बाहर या खुले मे रखें, यदि मोमबत्ती पिघल जाती है तो ये गंभीर स्थिति है ।
शयन कक्ष🏠 और अन्य कमरों मे 2 आधे पानी से भरे ऊपर से खुले पात्रों को रख कर कमरे की नमी बरकरार रखी जा सकती है ।
अपने होठों और आँखों को नम रखने का प्रयत्न करें ।
लू लगने के लक्षण
-शरीर एकदम गर्म और लाल हो जाता है.
-स्किन एकदम ड्राई हो जाती है.
-पसीना एकदम बंद हो जाता है.
-हाथ-पैरों में ऐंठन होने लगती है.
-चक्कर आने लगते हैं.
-दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है.
-सांस तेज़ चलने लगती है.
-बहुत ज़्यादा देर तक गर्मी में रहने से या ज़्यादा गर्मी में रहने से हीटस्ट्रोक पड़ता है जिसे हम लू लगना कहते हैं.
लू से कैसे बचें?
-गर्मी में बहुत सावधानी रखने की ज़रूरत है.
-ग्लोबल वॉर्मिंग बहुत बढ़ती जा रही है.
-मई के महीने में उत्तर भारत में तेज़ गर्मी पड़ेगी.
-इस गर्मी से बचने के लिए सबसे ज़रूरी है कि अच्छी मात्रा में पानी पिएं.
-लिक्विड ज़्यादा लें.
-फ्रूट जूस पिएं.
-खीरा, तरबूज़, अनार खाएं.
-शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए.