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Reservation in Pomotion: पदोन्नति में आरक्षण मामले में मध्य प्रदेश में 10 दिन में दूसरी बैठक में भी नहीं निकला नतीजा Digital Education Portal

Reservation in Pomotion: सपाक्स ने कहा-सुप्रीम कोर्ट की अपील पर अंतिम निर्णय तक कोई नियम लागू न करें

Reservation in pomotion: पदोन्नति में आरक्षण मामले में मध्‍य प्रदेश में 10 दिन में दूसरी बैठक में भी नहीं निकला नतीजा

Reservation in Pomotion: भोपाल। पदोन्नति में आरक्षण मामले में दोनों पक्षों (अनारक्षित एवं आरक्षित) के अधिकारियों-कर्मचारियों को एक राय करने की दूसरी कोशिश भी असफल रही। 10 दिन में दूसरी बार गुरुवार को मंत्रालय में बैठक बुलाई गई थी। करीब एक घंटे चली बैठक में सपाक्स (सामान्य, पिछड़ा, अल्पसंख्यक अधिकारी-कर्मचारी संस्था) ने साफ कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट की अपील पर अंतिम निर्णय आने तक नए नियम लागू नहीं किए जाएं।

संस्था के पदाधिकारियों ने कहा कि क्रीमीलेयर और प्रतिनिधित्व पर फैसला किए बगैर कोई भी नियम लागू करना ठीक नहीं होगा। बैठक में सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव विनोद कुमार, जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव एसएन मिश्रा, सपाक्स के अध्यक्ष केएस तोमर, अजाक्स (अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिकारी-कर्मचारी संघ) के अध्यक्ष एवं अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया एवं दोनों संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित थे।

अजाक्स के पदाधिकारियों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है। अब सरकार को अधिवक्ता मनोज गोरकेला द्वारा बनाए गए पदोन्नति नियम 2021 लागू कर देना चाहिए। इस बात से सपाक्स के पदाधिकारी सहमत नहीं थे। उनका कहना था कि जो नियम बनाए गए हैं, उनमें कई विसंगतियां हैं और वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक भी नहीं है। इसलिए जब तक मामले में अंतिम निर्णय नहीं आ जाता है, तब तक कोई भी नियम लागू करना ठीक नहीं होगा। अजाक्स के पदाधिकारी आबादी के मान से प्रतिनिधित्व मांग रहे हैं और क्रीमीलेयर की अवधारणा पर भी सहमत नहीं हैं। जबकि सपाक्स इसके खिलाफ है। संस्था के पदाधिकारी कहते हैं कि ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) की तरह आबादी का आधा प्रतिनिधित्व ही होना चाहिए और क्रीमीलेयर की अवधारणा के बगैर नियम बनाना गलत है।

सपाक्स ने समिति का लिखित आपत्ति और सुझाव देते हुए कहा है कि 24 फरवरी से पदोन्नति में आरक्षण मामले की राज्यवार सुनवाई शुरू हो रही है। जल्द ही फैसला भी आ जाएगा। इसलिए जल्दबाजी में नियम लागू नहीं किए जाएं। नियमों में विसंगति होगी, तो मामला फिर कोर्ट में जाएगा। सपाक्स ने कहा कि सरकारी सेवा में वर्तमान में आरक्षित वर्ग का प्रतिनिधित्व 50 प्रतिशत से अधिक है। फिर भी सरकार सिर्फ बैकलाग के पद भर रही है। इससे भेदभाव की स्थिति बनेगी। ऐसी स्थिति में सभी सरकारी कर्मचारियों को पांच स्तरीय समयमान वेतनमान दिया जाए। कुछ सरकारी सेवाओं में यह प्रविधान पहले से है।

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