सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार 26/08/2020 को कहा, सेवानिवृत्त कर्मचारी की गरिमा कायम रखने के लिए पेंशन बहुत जरूरी है। यह इच्छा के आधार पर दी गई कोई राशि नहीं है बल्कि सामाजिक कल्याण का कदम है और संकट की घड़ी में जरूरी मदद है। इसलिए इसे देने से मना नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट जस्टिस एसके कौल, जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने केरल सरकार से सेवानिवृत्त एक पूर्व कर्मचारी को राहत देते हुए राज्य सरकार को उसे अस्थायी कर्मचारी के तौर पर देखते हुए उसके 32 वर्ष के कार्यकाल के आधार पर पेंशन लाभ देने का आदेश दिया।
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पीठ ने कहा, पेंशन मदद के लिए दी जाने वाली राशि है। इसे इच्छानुसार तय नहीं कर सकते। कर्मचारी सेवानिवृत्त होने के बाद पेंशन की मदद से ही गरिमापूर्ण जीवन जीता है। इसे देने से इनकार नहीं किया जा सकता।
याचिकाकर्ता 13 साल से अपनी पेंशन के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहा था। वह अलग अलग सरकारी विभागों में 32 वर्ष सेवा दे चुका है। पीठ ने केरल सरकार को अगले आठ हफ्तों के अंदर याचिकाकर्ता को पेंशन का 13 साल का एरियर ब्याज समेत देने का आदेश दिया।
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