Notice: Undefined index: HTTP_ACCEPT_LANGUAGE in /home/educationportal.org.in/public_html/index.php on line 4

Notice: Undefined index: HTTP_ACCEPT_LANGUAGE in /home/educationportal.org.in/public_html/index.php on line 4
स्वायल टेस्टिंग लैब के लिए किसानों को 3.75 लाख रुपये देगी मोदी सरकार – Digital Education Portal
Farmer's scheme

स्वायल टेस्टिंग लैब के लिए किसानों को 3.75 लाख रुपये देगी मोदी सरकार

स्वायल टेस्टिंग लैब के लिए किसानों को 3.75 लाख रुपये देगी मोदी सरकार

नई दिल्ली.

नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने एक ऐसी योजना बनाई है जिसमें युवा किसान गांवों में स्वायल टेस्टिंग लैब (Soil Testing Lab) बनाकर कमाई कर सकते हैं. लैब स्थापित करने में 5 लाख रुपये का खर्च आता है, जिसका 75 फीसदी यानी 3.75 लाख रुपए सरकार देगी. इसमें से 60 प्रतिशत केंद्र और 40 फीसदी सब्सिडी संबंधित राज्य सरकार से मिलेगी. सरकार जो पैसे देगी उसमें से 2.5 लाख रुपये जांच मशीन, रसायन व प्रयोगशाला चलाने के लिए अन्य जरूरी चीजें खरीदने पर खर्च होंगे. कंप्यूटर, प्रिंटर, स्कैनर, जीपीएस की खरीद पर एक लाख रुपये लगेंगे.

सरकार द्वारा मिट्टी नमूना लेने, परिक्षण करने एवं सॉइल हेल्थ कार्ड उपलब्ध कराने के लिए 300 प्रति नमूना प्रदान किया जा रहा है

स्वायल टेस्टिंग लैब के लिए किसानों को 3.75 लाख रुपये देगी मोदी सरकार

लैब बनाने के इच्छुक युवा, किसान या अन्य संगठन जिले के कृषि उपनिदेशक, संयुक्त निदेशक या उनके कार्यालय में प्रस्ताव दे सकते हैं. agricoop.nic.in वेबसाइट या soilhealth.dac.gov.in पर इसके लिए संपर्क कर सकते हैं. किसान कॉल सेंटर (1800-180-1551) पर भी संपर्क कर अधिक जानकारी ली जा सकती है.

: भावांतर: मुनाफा व्यापारी कमाएंगे, टैक्सपेयर्स के पैसे से घाटा सरकार भरेगी! किसानों को सुविधा, युवाओं को रोजगार

सरकार की कोशिश है कि किसानों को उनके गांव में ही खेती की मिट्टी की जांच करवाने की सुविधा मिले. साथ ही ग्रामीण युवाओं को रोजगार भी मिले. इस स्कीम के तहत ग्रामीण युवा एवं किसान जिनकी उम्र 18 से 40 वर्ष है, ग्राम स्तर पर मिनी स्वायल टेस्टिंग लैब (Soil Test Laboratory) बना सकते हैं. स्वयं सहायता समूह, कृषक सहकारी समितियां एवं कृषक उत्पादक संगठन (FPO) को भी प्रयोगशाला स्थापित करने पर यह मदद मिलेगी.

इस तरह शुरू करें काम

मिट्टी जांच प्रयोगशाला को दो तरीके से शुरू किया जा सकता है. पहले तरीके में प्रयोगशाला एक दुकान किराए पर लेकर खोली जा सकती है. इसके अलावा दूसरी प्रयोगशाला ऐसी होती है जिसे इधर-उधर ले जाया जा सकता है. जिसे MOBILE SOIL TESTING VAN कहते हैं.

Join WhatsApp For Latest Update

पहले तरीके में कारोबारी ऐसी मिट्टी को जांचेगा जो उसकी प्रयोगशाला में किसी के द्वारा भेजी या लायी जाएगी और उसके बाद उसकी रिपोर्ट ई-मेल या प्रिंट आउट लेकर ग्राहक को भेज दी जाएगी. हालांकि पहले की तुलना में दूसरा विकल्प काफी फायदेमंद हो सकता है, इसलिए जहां तक इसमें निवेश का भी सवाल है वह पहले विकल्प की तुलना में अधिक ही है.

: आखिर कब बदलेगी खेती और किसान को तबाह करने वाली कृषि शिक्षा?

काफी प्रयोगशालाओं की है जरूरत

देश में इस समय छोटी-बड़ी 7949 लैब हैं, जो किसानों और खेती के हिसाब से नाकाफी कही जा सकती हैं. सरकार ने 10,845 प्रयोगशालाएं मंजूर की हैं. राष्ट्रीय किसान महासंघ के संस्थापक सदस्य विनोद आनंद कहते हैं कि देश भर में 14.5 करोड़ किसान परिवार हैं. ऐसे में इतनी कम प्रयोगशालाओं से काम नहीं चलेगा. भारत में करीब 6.5 लाख गांव हैं. ऐसे में वर्तमान संख्या को देखा जाए तो 82 गांवों पर एक लैब है. इसलिए इस समय कम से कम 2 लाख प्रयोगशालाओं की जरूरत है. कम प्रयोगशाला होने की वजह है जांच ठीक तरीके से नहीं हो पाती.

राजस्थान 2020 पीटीईटी स्थगित हुई परीक्षा अब नई तारीखों का होगा ऐलान(Opens in a new browser tab)

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Please Close Ad Blocker

हमारी साइट पर विज्ञापन दिखाने की अनुमति दें लगता है कि आप विज्ञापन रोकने वाला सॉफ़्टवेयर इस्तेमाल कर रहे हैं. कृपया इसे बंद करें|