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केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हल्के/बिना लक्षण वाले कोविड-19 के मरीजों के होम आइसोलेशन के संबंध में संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए – Digital Education Portal
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केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हल्के/बिना लक्षण वाले कोविड-19 के मरीजों के होम आइसोलेशन के संबंध में संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए

भारत सरकार देश में कोविड-19 से निपटने और प्रबंधन करने के लिए राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश की सरकारों के साथ समन्वय और सहयोग के साथ काम कर रही है। कोविड-19 से बचाव, रोकथाम और प्रबंधन के लिए कई रणनीतिक और उपयुक्त कदम उठाए गए हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने आज इस विषय पर जारी दिशा-निर्देशों (2 जुलाई 2020) के स्थान पर संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

दिशा-निर्देशों के अनुसार, नैदानिक जांच में चिन्हित हल्के/बिना लक्षण (एसिम्प्टोमेटिक) वाले मरीज़ों को होम आइसोलेशन की सलाह दी गई है।

भारत सरकार देश में कोविड-19 से निपटने और प्रबंधन करने के लिए राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश की सरकारों के साथ समन्वय और सहयोग के साथ काम कर रही है। कोविड-19 से बचाव, रोकथाम और प्रबंधन के लिए कई रणनीतिक और उपयुक्त कदम उठाए गए हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने आज इस विषय पर जारी दिशा-निर्देशों (2 जुलाई 2020) के स्थान पर संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

कोविड-19 के हल्के/बिना लक्षण वाले मामले

बिना लक्षण वाले कोविड के मामलों में लैबोरेटरी मरीज़ के शरीर में कोरोना वायरस की पुष्टि करती है, लेकिन मरीज़ में कोरोना के लक्षण नहीं होते और कमरे की हवा में मरीज़ का ऑक्सीजन स्तर भी 94प्रतिशत से अधिक होता है।नैदानिक जांच के आधार पर प्रमाणित कम लक्षण वाले कोविड के मामलों में मरीज़ को ऊपरी श्वसन तंत्रिका संबंधी लक्षण (अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट सिम्प्टम) (और/अथवा बुखार) होते हैं, मगर उसे सांस लेने में कोई तकलीफ नहीं होती और कमरे की हवा में मरीज़ का ऑक्सीजन स्तर भी 94 प्रतिशतसे अधिक होता है।

होम आइसोलेशन के लिए पात्र मरीज़

  1. इलाज कर रहे चिकित्सा अधिकारी द्वारा मरीज़ को नैदानिक जांच के आधार पर कम लक्षण/बिना लक्षण वाले मरीज़ के तौर पर प्रमाणित किया जाना चाहिए।
  2. ऐसे सभी मामलों में मरीज़ के घर पर सेल्फ-आइसोलेशन और परिवार के लोगों को क्वारंटीन करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए।
  3. मरीज़ की देखभाल करने वाले व्यक्ति को 24×7 आधार पर उपलब्ध रहना चाहिए।होम आइसोलेशन की अवधि के लिए मरीज़ की देखभाल करने वाले व्यक्ति और अस्पताल के बीच टेलीफोन के माध्यम से नियमित आधार पर संपर्क बने रहना एक अनिवार्य शर्त है।
  4. 60 वर्ष से अधिक आयु के बुज़ुर्ग मरीज़ों और उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, कमजोर फेफड़े/यकृत/गुर्दे की बीमारी, सेरेब्रो-वास्क्युलर आदि बीमारी वाले मरीज़ों को चिकित्सा अधिकारी द्वारा इलाजऔर पर्याप्त जांच के बाद ही होम आइसोलेशन की अनुमति दी जाएगी।
  5. कम प्रतिरक्षा क्षमता वाले (एचआईवी, ट्रांसप्लांट कराने वाले, कैंसर पीड़ित आदि) मरीज़ों को होम आइसोलेशन में नहीं भेजा जाता, और ऐसे मरीज़ों को इलाज कर रहे चिकित्सा अधिकारी द्वारा पर्याप्त जांच के बाद ही होम आइसोलेशन की अनुमति दी जाएगी।
  6. मरीज़ की देखभाल कर रहे व्यक्ति और करीबी लोगों को कोविड प्रोटोकॉल और इलाज कर रहे चिकित्सा अधिकारी के परामर्श के अनुसार हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन प्रोफाइलैक्सिसलेनी चाहिए।
  7. इसके अतिरिक्त, परिवार के अन्य सदस्यों के लिए इस लिंक पर उपलब्ध होम-क्वारंटीन संबंधी दिशा-निर्देश https://www.mohfw.gov.in/pdf/Guidelinesforhomequarantine.pdf का भी पालन किया जाना चाहिए।

मरीज के लिए निर्देश

  1. मरीज़ स्वयं को परिवार के अन्य सदस्यों से अलग कर ले, एक निर्धारित कमरे में ही रहे और घर के अन्य सदस्यों विशेष रूप से बुज़ुर्ग और उच्च रक्तचाप, ह्रदय रोग, गुर्दे की बीमारी जैसे रोगों से ग्रस्त सदस्यों से उचित दूरीबनाकर रखे।
  2. मरीज़ को अच्छे हवादार क्रॉस वेंटिलेशन वाले कमरे में रहना चाहिए और कमरे की खिड़कियों को हमेशा खुला रखना चाहिए ताकि कमरे में स्वच्छ हवा आ सके।
  3. मरीज़ को हमेशा तीन परतों वाला चिकित्सा मास्क का उपयोग करना चाहिए। मास्क को प्रत्येक 8 घंटे के बाद, या गीला अथवा गंदा होने की स्थिति में 8 घंटे से पहले ही नष्ट कर देना चाहिए। मरीज़ की देखभाल करने वाले व्यक्ति के कमरे में प्रवेश करते समय, मरीज़ और देखभाल करने वाले व्यक्ति इन दोनों को ही एन95 मास्क का उपयोग करना चाहिए।
  4. मास्क को 1% सोडियम हाइपोक्लोराइट की सहायता से कीटाणुरहित करने के बाद ही नष्ट करना चाहिए।
  5. शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा बनाए रखने के लिए मरीज़ को आराम करना चाहिए और तरल पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए।
  6. श्वास संबंधी नियमों का हर समय पालन करें।
  7. साबुन और पानी से कम से कम 40 सेकेंड तक थोड़ी-थोड़ी देर बाद हाथ धोएं अथवा हाथों को एल्कोहल युक्त सैनिटाइज़र से साफ करें।
  8. घर के किसी भी सदस्य के साथ अपने वैयक्तिक सामानों को साझा न करें।
  9. कमरे में सामान्यतः छुए जाने वाले सामान/स्थान (टेबल, दरवाज़े का हत्था, हैंडल्स आदि) को 1% हाइपोक्लोराइट सॉल्यूशन के साथ अच्छे से साफ करें।
  10. पल्स ऑक्सीमीटर की मदद से ब्लड ऑक्सीजन के स्तर की नियमित तौर पर स्वयं निगरानी अवश्य करें।
  11. मरीज़ दैनिक स्तर पर शरीर के तापमान की जांच के साथ अपने स्वास्थ्य की स्वयं-निगरानी करेगा और नीचे दिए गए लक्षणों में से किसी में स्थिति बिगड़ती हुई नज़र आती है तो तुरंत इसकी सूचना देगा।

निगरानी चार्ट

लक्षणों का दिन और समय (प्रत्येक 4 घंटे बाद)तापमानह्रदय गति (पल्स ऑक्सीमीटर से)एसपीओ2 % (पल्स ऑक्सीमीटर से)स्थितिः(बेहतर/पहले जैसी/खराब)सांसः(बेहतर/पहले जैसी/खराब)
      
      

देखभाल करने वाले व्यक्ति के लिए निर्दे

मास्क

  • देखभाल करने वाले व्यक्ति को ट्रिपल-लेयर मास्क पहनना चाहिए। बीमार व्यक्ति के साथ एक ही कमरे में होने की स्थिति में एन95 मास्क पहनना चाहिए।
  • मास्क का इस्तेमाल करने के दौरान मास्क के सामने वाले हिस्से को नहीं छूना चाहिए।
  • यदि मास्क गीला या गंदा हो गया है, तो इसे तुरंत बदल लेना चाहिए।
  • इस्तेमाल के बाद मास्क को नष्ट कर दें और मास्क को नष्ट करने के बाद हाथों को अच्छे से साफ करें।
  • स्वयं अपने चेहरे, नाक और मुंह को छूने से बचना चाहिए।

हाथों की स्वच्छता

  • मरीज़ के संपर्क में आने अथवा उसके आस-पास से गुज़रने के बाद हाथों को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए।
  • खाना बनाने से पहले और बाद में, खाना खाने से पहले, शौचालय का उपयोग करने के बाद और जब भी हाथ गंदे नज़र आएं, ऐसी स्थिति में हाथों को अच्छी तरह से साफ करना अनिवार्य है।
  • हाथों को कम से कम 40 सेकेंड तक अच्छे से धोने के लिए साबुन और पानी का उपयोग करें।
  • साबुन और पानी से हाथों को धोने के बाद, हाथों को सुखाने के लिए डिस्पोज़ेबल पेपर का उपयोग कर सकते हैं। डिस्पोज़ेबल पेपर उपलब्ध न होने की स्थिति में, कपड़े के तौलिये का उपयोग करें और गीला होने पर इस तौलिये को तुरंत बदल दें।
  • दस्ताने पहनने से पहले और उतारने के बाद, हाथों को अच्छी तरह से साफ करें।

मरीज़/मरीज़ के आस-पास के माहौल के संपर्क में आने की स्थिति में

  • मरीज़ के शरीर के तरल पदार्थ, विशेषरूप से मौखिक या श्वसन स्राव के सीधे संपर्क में आने से बचें। मरीज़ की देखभाल करते समय डिस्पोज़ेबल दस्तानों का उपयोग करें।
  • मरीज़ के आस-पास के वातावरण में मौजूद संभावित रूप से दूषित वस्तुओं के संपर्क में आने से बचें (उदाहरण के लिए,सिगरेट, खाने के बर्तन,  खाद्य पदार्थ, पेय पदार्थ, इस्तेमाल किए गए तौलिये या बेड की चादर को साझा करने से बचें)।
  • मरीज़ को उसके कमरे में ही भोजन उपलब्ध कराया जाना चाहिए। मरीज़ ने जिन बर्तनों का उपयोग किया है, उन्हें हाथों में दस्ताने पहनकर साबुन/डिटर्जेंट से अच्छी तरह साफ किया जाना चाहिए। मरीज़ के खाने के बर्तनों को फिर से उपयोग में लिया जा सकता है।
  • हाथों से दस्ताने उतारने अथवा इस्तेमाल किए गए सामान को रखने के बाद हाथों को अच्छे से साफ करें। मरीज़ के द्वारा इस्तेमाल किए गए कपड़ों अथवा चादर और आस-पास की सतहों को साफ करने के दौरान ट्रिपल-लेयर मेडिकल मास्क और डिस्पोज़ेबल दस्तानों का उपयोग करें।
  • दस्ताने पहनने से पहले और उतारने के बाद, हाथों को अच्छी तरह से साफ करें।

बायोमेडिकल अपशिष्ट निपटान

  • संक्रमण के प्रसार को आगे बढ़ने से रोकने के लिए घर के अंदर प्रभावी अपशिष्ट निपटान सुनिश्चित किया जाएगा। अपशिष्ट (मास्क, डिस्पोज़ेबल उत्पाद, खाद्य पदार्थों के पैकेट आदि) का निपटान सीपीसीबी के दिशा-निर्देशों के अनुसार किया जाना चाहिए (इस लिंक पर उपलब्धः http://cpcbenvis.nic.in/pdf/1595918059_mediaphoto2009.pdf)।

हल्के/ बिना लक्षण वाले कोविड मरीज़ों के लिए होम आइसोलेशन में इलाज

  1. मरीज़ को इलाज कर रहे डॉक्टर के साथ नियमित रूप से संपर्क में रहना चाहिए और तबीयत बिगड़ने की स्थिति में तुरंत सूचना देनी चाहिए।
  2. इलाज कर रहे डॉक्टर से परामर्श के बाद अन्य बीमारियों (कोविड के अतिरिक्त शरीर में पहले से जो भी बीमारी हो, जिसकी दवा पहले से ले रहे हैं।) की दवा को नियमित रूप से लेते रहें।
  3. मरीज़ को बुखार, नाक बहने और खांसी की स्थिति में पर्याप्त लक्षण वाले मरीज़ (सिम्प्टोमैटिक) के समान प्रबन्धन एवं प्रोटोकॉल का पालन करना होगा।
  4. मरीज़ दिन में दो बार गर्म पाने के गरारे और भाप ले सकता है।
  5. दिन में चार बार पैरासिटामोल 650 एमजीकी टैबलेट लेने के बाद भी यदि बुखार नियंत्रण में नहीं आता है, तो तुरंत इलाज कर रहे डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर आपको नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लैमेचरी ड्रग जैसी कुछ अन्य दवाओं को लेने का परामर्श दे सकता है। (उदाहरण के तौर परः टैबलेट नैप्रोक्सिन 250 एमजी, दिन में दो बार)।
  6. टैबलेटआइवरमेक्टिन (200 एमसीजी/प्रति किग्रा, दिन में एक बार, खाली पेट) – तीन से पांच दिन के लिए।
  7. बीमारी की शुरुआत के पांच दिन बाद भी लक्षण (बुखार और/ अथवा खांसी) बने रहने की स्थिति में इन्हेलेशनल ब्यूडेसोनाइड (स्पेसर के साथ इन्हेलर के माध्यम से 800 एमसीजी, दिन में दो बार– पांच से सात दिन के लिए दें) दिया जाएगा।
  8. रेमडेसिविर अथवा इस तरह की किसी अन्य थैरेपी को लगाने का निर्णय किसी पेशेवर चिकित्सक द्वारा ही लिया जाएगा, और ऐसे किसी भी इंजेक्शन को केवल अस्पताल परिसर में ही लगाया जाएगा। रेमडेसिविर इंजेक्शन को खरीदने अथवा घर पर ही इसे लगवाने का प्रयास न करें।
  9. हल्के लक्षण होने की स्थिति में ओरल स्टेरॉयड नहीं दिया जाएगा। सात दिन से ज़्यादा समय तक लक्षण (बुखार, बिगड़ती खांसी) बने की स्थिति में ओरल स्टेरॉयड की कम मात्रा के साथ इलाज के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
  10. ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट अथवा सांस लेने में तकलीफ होने की स्थिति में मरीज़ को अस्पताल में भर्ती करना चाहिए और इलाज कर रहे डॉक्टर/निगरानी टीम से तुरंत परामर्श लेना चाहिए।

चिकित्सकीय सहायता कब ली जाये

मरीज़/देखभाल करने वाला व्यक्ति मरीज के स्वास्थ्य पर निगरानी रखेगा। गंभीर लक्षण दिखने पर तत्काल मेडिकल अटेंशन (चिकित्सा सहायता) की ज़रूरत होगी। इन लक्षणों में शामिल हैं –

  1. सांस लेने में तकलीफ।
  2. ऑक्सीजन के लेवल में गिरावट (कमरे की हवा में एपीओ2 का 94 प्रतिशत से नीचे जाना)।
  3. छाती में दर्द/ दबाव का लगातार बने रहना।
  4. शारीरिक रूप से उठने में अक्षमता अथवा मानसिक भ्रम की स्थिति।
  5. होम आइसोलेशन को समाप्त कब करें

होम आइसोलेशन का पालन कर रहे मरीज़ कोविड लक्षणों (बिना लक्षण वाले मरीज़ कोविड की पुष्टि होने की तिथि के बाद) की शुरुआत के बाद कम से कम 10 दिन बीत जाने के बाद और पिछले तीन दिन के दौरान बुखार न आने की स्थिति में होम आइसोलेशन को समाप्त कर सकता है। होम आइसोलेशन की अवधि समाप्त होने के बाद दोबारा जांच कराने की कोई आवश्यकता नहीं है।

राज्य/ ज़िला प्राधिकरणों की भूमिका

  1. राज्य/ज़िला प्राधिकरणों को होम आइसोलेशन के अंतर्गत आने वाले सभी मामलों की निगरानी करनी चाहिए।
  2. फील्ड स्टाफ/निगरानी टीम को वैयक्तिक रूप से मरीज़ के घर जाकर अथवा दैनिक आधार पर मरीज़ों के स्वास्थ्य का फॉलो-अप लेने के लिए स्थापित समर्पित कॉल सेंटर के माध्यम से होम आइसोलेशन वाले मरीज़ों के स्वास्थ्य की वर्तमान स्थिति की निगरानी करनी चाहिए।
  3. होम आइसोलेशन के प्रत्येक मामले की क्लीनिकल स्थिति (शरीर का तापमान, पल्स रेट और ऑक्सीजन लेवल) को फील्ड स्टाफ/कॉल सेंटर द्वारा रिकॉर्ड किया जाना चाहिए। इन सभी पैमानों को मापने के बारे में फील्ड स्टाफ मरीज़ का मार्गदर्शन करेगा और ज़रूरी निर्देश देगा (मरीज़ और उनकी देखभाल करने वाले व्यक्ति को)। दैनिक स्तर पर नियमित निगरानी की इस व्यवस्था का होम आइसोलेशन के मामले में सख्ती से पालन किया जाएगा।
  4. होम आइसोलेशन वाले मरीज़ों के विवरण को कोविड-19 पोर्टल और सुविधा एप पर अपडेट भी किया जाना चाहिए (उपयोगकर्ता के रूप में डीएसओ की मदद से)। राज्य/ज़िले के वरिष्ठ अधिकारियों को अपडेट किए जा रहे रिकॉर्ड की निगरानी करनी चाहिए।
  5. होम आइसोलेशन नियमों के उल्लंघन अथवा उपचार की ज़रूरत पड़ने के मामले में मरीज़ को स्थानांतरित करने के लिए एक पर्याप्त तंत्र स्थापित कर उसे लागू किया जाएगा। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए पर्याप्त संख्या में समर्पित एम्बुलेंस की व्यवस्था की जाएगी। लोगों को इसके बारे में जागरूक करने के लिए व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाएगा।
  6. फील्ड स्टाफ कोविड प्रोटोकॉल के तहत परिवार के सभी सदस्यों और मरीज़ के संपर्क में आने वाले करीबी लोगों की निगरानी करेगा और उनकी जांच कराएगा।

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