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शिक्षक दिवस 2020 जानिए दुनिया के शिक्षकों की सैलरी
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शिक्षक दिवस 2020 जानिए दुनिया के शिक्षकों की सैलरी

शिक्षक दिवस 2020 शिक्षकों की सैलरी : नई दिल्ली: इंग्लिश की एक मशहूर कहावत है ‘Teaching is one profession that creates all other professions’ यानी शिक्षा अकेला ऐसा पेशा है जो बाकी सभी पेशों को जन्म देता है. लेकिन शिक्षक दिवस (Teacher’s Day) के मौके पर सवाल ये है कि आज के युग में कोई शिक्षक क्यों नहीं बनना चाहता?
आप भी स्कूल या कॉलेज से पढ़कर निकले होंगे लेकिन इसके बाद आपने शायद शिक्षक बनने के बारे में कभी नहीं सोचा होगा. इसकी वजह ये है कि शिक्षक बनने में कोई ग्लैमर और पैसा नहीं है. सवाल ये है कि ऐसा क्यों है?

शिक्षक दिवस 2020 इस बात को आप इन आंकड़ों के जरिए समझ सकते हैं – शिक्षकों की सैलरी

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सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में सरकारी शिक्षकों के करीब 2 लाख 13 हजार पद खाली हैं. हालात ये हैं कि एक क्लास में 28 बच्चों पर 1 टीचर होना चाहिए लेकिन कई सरकारी स्कूलों में एक-एक क्लास में 100 से ज्यादा बच्चे हैं.

देश की 69 प्रतिशत आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है इसीलिए ग्रामीण इलाकों में शिक्षा पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है.

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देश में 13% शिक्षक कॉन्ट्रैक्ट पर हैं. ये ऐसे शिक्षक हैं, जिन्हें बहुत कम पैसा मिलता है और इनमें से बहुत से शिक्षक योग्य भी नहीं हैं. Teachers’ Eligibility Test को सिर्फ 17% लोग ही Clear कर पाते हैं. इसीलिए ज्यादातर राज्य सरकारों ने इस Test को ही खत्म कर दिया है. यानी इस दौर में शिक्षकों की काबिलियत भी सवालों के घेरे में है.

भारत शिक्षा पर GDP का 4.6 प्रतिशत खर्च करता है. हालांकि पिछले कुछ वर्षों के मुकाबले इसमें थोड़ा सुधार हुआ है लेकिन अब भी ये कई देशों के मुकाबले में बहुत कम है. Iceland, Norway और Zimbabwe जैसे देश शिक्षा पर GDP का साढ़े सात प्रतिशत से ज्यादा खर्च करते हैं यानी शिक्षा में सुधार को देश की सबसे बड़ी मुहिम बनाया जाना चाहिए .

भारत में कोई व्यक्ति शिक्षक क्यों नहीं बनना चाहता है? अब इस सवाल का जवाब आपको बताते हैं. जवाब है कि हमारे देश में शिक्षकों को अच्छा वेतन नहीं मिलता है. सरकारी प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों को 30 हजार से लेकर 40 हजार रुपये प्रति महीने तक की सैलरी मिलती है.

जबकि देश में Secondary और Higher Secondary स्कूल के शिक्षकों को 60 से 70 हजार रुपये वेतन मिलता है. इसके अलावा अस्थाई और Ad-Hoc शिक्षकों को औसतन सिर्फ 10 से 20 हजार रुपये तक की सैलरी मिलती है.

अब जरा जान लीजिए कि विदेशों में शिक्षकों को कितना वेतन मिलता है. सिंगापुर के स्कूलों में एक शिक्षक को औसतन 3 लाख रुपये प्रति महीना मिलते हैं. जबकि दक्षिण कोरिया, अमेरिका और जर्मनी में स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों को औसतन ढाई लाख रुपये प्रति महीने की सैलरी मिलती है. यूनाइटेड किंगडम में टीचर्स की सैलरी का औसत 2 लाख रुपये प्रति महीना है.

हमारे देश के शिक्षकों पर उम्मीदों का जबरदस्त बोझ है और उन्हें दुनियाभर के पैमानों पर अच्छा वेतन भी नहीं मिलता है. इस बात ने गुरु शिष्य परंपरा को बहुत नुकसान पहुंचाया है.

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