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जांच में सामने आया मामला: छात्राओं को मार्शल आर्ट सिखाने मिले 20 करोड़, स्कूलों ने कर डाली खरीदी Digital Education Portal
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जांच में सामने आया मामला: छात्राओं को मार्शल आर्ट सिखाने मिले 20 करोड़, स्कूलों ने कर डाली खरीदी Digital Education Portal

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  • ट्रेनिंग के लिए स्कूल में ट्रेनर की भी नियुक्ति की जाना थी, लेकिन वह भी नहीं की
  • प्रत्येक माध्यमिक शाला को दिए 9 हजार रु.

प्रदेश की माध्यमिक शालाओं में छात्राओं को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग देने में गड़बड़ी सामने आई है। राज्य सरकार ने स्कूलों को छात्राओं को आत्म सुरक्षा के लिए मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग देने के लिए 20 करोड़ रुपए दिए थे, लेकिन स्कूलों मेें इस राशि का उपयोग छात्राओं की ट्रेनिंग के बजाए सामान की खरीदी मेें कर लिया।

रायसेन जिले के गैरतगंज और पनागर में 9-9 हजार रुपए की खरीदी का मामला जब सामने आया तो वहां कलेक्टर उमाशंकर भार्गव ने दोषी अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए राज्य शिक्षा केंद्र आयुक्त एस.धनराजू को पत्र लिखा है। इस मामले की शिकायत प्रभारी मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया से किए जाने के बाद उन्होंने भी विभाग को प्रदेश भर के स्कूलों में जांच कराए जाने के निर्देश दिए हैं।

दरअसल, प्रदेश की माध्यमिक शालाओं में छात्राओं को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दिया जाना था, जिसके पीछे सरकार का मकसद छात्राओं में आत्म विश्वास वृद्धि करना और विपरीत परिस्थितियों में उन्हें आत्मरक्षा में सक्षम बनाना था। इस मामले में स्कूल शिक्षा विभाग ने ट्रेनिंग के संबंध में गाइड लाइन भी जारी की थी जिसमें स्कूलों में छात्राओं को ट्रेनिंग के लिए महिला प्रशिक्षकों की नियुक्ति किया जाना था जो नहीं की गई।

ये थे मापदंड…तीन महीने का था प्रोग्राम

  • मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग के लिए ऐसे विद्यालयों को चयनित किया जाना था, जिनमें छात्राओं की संख्या ज्यादा हो।
  • जिले में कन्या माध्यमिक शालाएं हैं तो उनका चयन अनिवार्य रूप से किया जाए।
  • प्रशिक्षक के रूप में महिला प्रशिक्षितों को चयनित कर उनसे छात्राओं को ट्रेनिंग दिलवाई जाए। महिला प्रशिक्षक न मिलने की स्थिति में पुरुष प्रशिक्षक नियुक्ति किए जाएं। प्रशिक्षकों द्वारा तीन माह के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम संचालित करना था।
  • प्रशिक्षण स्थल का चयन शाला प्रबंधन समितियों के द्वारा किया जाना था।

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