यूपी में एक सरकारी स्कूल ऐसा भी जहां लगाना पड़ा नो ऐडमिशन का नोटिस
एक तरफ कई सरकारी विद्यालय ऐसे हैं, जहां लोग अपने बच्चों को पढ़ाना नहीं चाहते हैं, वहीं वाराणसी के पिंडरा ब्लॉक के सैरा गोपालपुर प्राथमिक विद्यालय में लोग अपने बच्चों के दाखिले के लिए लाइन लगाए हुए हैं। जगह के हिसाब से नामांकन होने के बाद मजबूरन विद्यालय में ‘नो एडमिशन’ का बोर्ड लगाना पड़ा है।
विद्यालय के प्रधानाचार्य और सहायक अध्यापकों की कोशिश से यह विद्यालय कान्वेंट स्कूलों को मात दे रहा है।
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यूपी में एक सरकारी स्कूल ऐसा भी जहां लगाना पड़ा नो ऐडमिशन का नोटिस
शिक्षा की बेहतर गुणवत्ता की वजह से इसकी जिले में अलग पहचान बन चुकी है। यहां हिंदी माध्यम के साथ-साथ बच्चों को इंग्लिश मीडियम में भी पढ़ाया जाता है।
विद्यालय के बच्चे फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं। इन खासियत की वजह से 2018-19 में राज्य स्तर पर 100 उत्कृष्ट परिषदीय विद्यालयों की सूची में इस स्कूल को भी शामिल किया गया था। स्कूल में बच्चों के लिए स्मार्ट क्लास, डेस्क बेंच, बिजली, इंवर्टर, कंप्यूटर, प्रोजेक्टर, लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं है। बच्चों के खेलने के लिए मैदान भी है। यहां साप्ताहिक टेस्ट और अन्य गतिविधियां भी होती हैं।
कभी स्कूल प्रांगण पर था गांव वालों का कब्जा
कभी इस विद्यालय का भवन जर्जर था। स्कूल परिसर में गांव के लोग ट्रैक्टर खड़ा करने के अलावा पशुओं को बांधते थे। 2016 में प्रधानाध्यापक मनोज कुमार सिंह आए तो विद्यालय में 130 बच्चों का नामांकन था। प्रधानाध्यापक व सहायक अध्यापक की मदद से आज विद्यालय की स्थिति बदल चुकी है। वर्तमान में यहां 311 बच्चे नामांकित हैं।
शिक्षकों ने बदली तस्वीर
प्रधानाध्यापक मनोज के अनुसार, अन्य शिक्षकों के साथ मिलकर गांव वालों को भरोसा दिलाया कि हम विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को कॉन्वेंट तरह ही शिक्षा देंगे। गांव में स्कूल चलो अभियान रैली के साथ पोस्टर, पंपलेट, बैनर व कैलेंडर बनवाकर वितरित किए गए।
स्कूल की दीवारों को रंगवा कर आकर्षक पेंटिंग करवाई गई, ताकि बच्चे स्कूल की ओर आकर्षित हों। वर्तमान में विद्यालय में एक प्रधानाध्यापक व सात सहायक अध्यापक और तीन शिक्षामित्र हैं।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह ने बताया कि प्रधानाध्यापक और सहायक अध्यापकों के सहयोग से विद्यालय की सूरत बदल गई। वर्तमान में कक्षा के सापेक्ष नामांकन पूरे हो चुके हैं। इसकी वजह से यहां एडमिशन बंद करने पड़े। हमारी कोशिश यही है कि जिले के हर विद्यालय को इसी तरह स्मार्ट बनाया जाए।
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