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ये है देश का सोना बेटा: पिता ट्रक ड्राइवर, कोविड में मां को खो दिया, खुद ट्रेन में लगी आग से बाल-बाल बचा; अब वर्ल्ड आर्चरी यूथ चैंपियनशिप में गोल्ड जीता Digital Education Portal

अमित ने पोलैंड में देश का नाम रोशन किया। - dainik bhaskar

अमित ने पोलैंड में देश का नाम रोशन किया।

सोना आग में ही तप कर निखरता है। ऐसा ही कुछ जबलपुर की तीरंदाजी अकादमी के आर्चरी प्लेयर अमित के साथ हुआ। मथुरा के रहने वाले अमित के पिता ट्रक ड्राइवर हैं। अमित ने कोविड में मां को खो दिया। देहरादून जाते समय ट्रेन में लगी आग से किसी तरह खुद को बचा लिया। पिता और कोच के हौसले व अपनी लगन से उसने 15 अगस्त को पोलैंड में विश्व तीरंदाजी यूथ चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। यहां भारतीय तीरंदाजों ने 8 गोल्ड सहित 15 मेडल जीते हैं।

पोलैंड के व्रोक्लो सिटी में 11वीं के छात्र अमित कुमार ने यूथ विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप में अपने प्रदर्शन से देश को गौरवांवित किया। अमित को निखारने में कोच रिछपाल ने जहां अहम योगदान है।

जीत के बाद अमित और उनकी टीम के साथी।

जीत के बाद अमित और उनकी टीम के साथी।

दिल्ली में कोच रिछपाल के साथ पोलैंड से लौटे अमित कुमार ने कहा, मैं मां के निधन से पूरी तरह टूट गया था। मेरे कोच और पिता ने हौसला बढ़ाया। हालात से उठ खड़े होने का जज्बा पैदा किया। उनकी प्रेरणा ही है, जो मैं विश्व चैंपियनशिप में अच्छा कर पाया। रविवार को फ्रांस को 5-1 से हराने वाले भारतीय टीम के तीन सदस्यों में अमित ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भारतीय तीरंदाजी टीम में शामिल अमित कुमार ने 80 में 72 और सर्विसेस के विशाल चंगमय व विक्की कुशाल ने 73-73 अंक हासिल किए।

मथुरा के रहने वाले हैं अमित

17 वर्षीय अमित मूलत: मथुरा के रहने वाले हैं। अमित ने बताया कि मेरे चाचा जबलपुर में रहते थे। मैं उनके पास आया तो मुझे अकादमी के बारे में पता चला। उन्होंने मेरा पूरा समर्थन किया। मुझे पहले ही चांस में अकादमी में चुन लिया गया। तब से मैं एमपी का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं। अमित ने कहा कि मैंने कई राष्ट्रीय चैंपियनशिप में एमपी का प्रतिनिधित्व किया है। अब तक 12 पदक जीते हैं।

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मेरी पहला अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता थी, तभी लगा झटका

अमित ने कहा, मैं घर पर था, जब कोविड की दूसरी लहर के दौरान लॉकडाउन लगाया गया था। मेरे जीवन का सबसे बड़ा सदमा मई में लगा, जब मैंने मां को खो दिया। मैं अंदर से खोखला महसूस कर रहा था। इसके आगे पोलैंड की चैंपियनशिप थी, जो मेरी पहली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता थी। इससे पहले इसी साल मार्च में एमपी की जूनियर आर्चरी टीम देहरादून में राष्ट्रीय चैंपियनशिप खेलने गई थी। तब ट्रेन की बोगी में आग लगने से अमित सहित खिलाड़ी तो बाल-बाल बच गए थे। इनके धनुष-तीर जल गए थे। आनन-फानन में इनके धनुष और तीर की व्यवस्था की गई थी। इसके बावजूद अमित की टीम ने सिल्वर मेडल जीता था।

कोच रिछपाल सिंह के साथ अमित।

कोच रिछपाल सिंह के साथ अमित।

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पिता और कोच ने बढ़ाया हौसला

अमित के कोच रिछपाल सिंह ने बताया कि अमित की मां के जाने के बाद वह काफी नर्वस था। इसके बावजूद अमित ने पूरा ध्यान खेल पर केंद्रित रखा और रिजल्ट सबके सामने हैं। सीनियर वर्ग में भी अमित तीरंदाजी में एक बड़ा नाम होगा। अमित का सपना ओलिंपिक में पदक जीतना है। अमित ने अभी से इसकी तैयारी शुरू कर दी है।

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