कंपनियों और संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए श्रम मंत्रालय के अधीन आने वाला कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) पीएफ (PF) और पेंशन स्कीम चलाता है। पीएफ के लिए कर्मचारी हर महीने अपने वेतन में से कुछ हिस्सा जमा करते हैं और उतना ही कंपनी भी जमा करती है। कंपनी जो हिस्सा पीएफ में जमा करती है उसका कुछ हिस्सा इम्प्लॉई पेंशन स्कीम (EPS) में भी जाता है। इसके जरिए ही कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिलती है। ईपीएस से न सिर्फ कर्मचारी को बल्कि उसके परिवार को भी इसका फायदा होता है। कोरोनाकाल में अगर किसी कारणवश ईपीएफ मेंबर की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार यानी पत्नी या पति और बच्चों को भी पेंशन का फायदा मिलता है।
इसे फैमिली पेंशन भी कहा जाता है।
कब मिलती है पेंशन
पेंशन का फायदा उठाने के लिए कर्मचारी को 10 साल लगातार नौकरी करना जरूरी है। इस पेंशन स्कीम में सिर्फ कंपनी का ही योगदान होता है। यह पीएफ में कंपनी द्वारा किए जाने वाले 12 फीसदी योगदान का 8.33 फीसदी होता है। पेंशन में सरकार भी योगदान देती है, जो बेसिक सैलरी के 1.16 फीसदी से ज्याादा नहीं होता। ईपीएफ सदस्य रिटायरमेंट के अलावा पूरी तरह से डिसेबल हो जाने पर भी पेंशन का हकदार होता है। ईपीएफ ने फैमिली पेंशन के लिए 10 साल की सर्विस की होना जरूरी है। कर्मचारी तभी पेंशन का हकदार होता है जब वह 10 साल नौकरी कर ले। इसे फैमिली पेंशन की तरह माना जाता है।
किसे मिलती है फैमिली पेंशन..
1 ईपीएस स्कीम के सदस्य की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी या पति को पेंशन मिलती है।
2 अगर कर्मचारी के बच्चे हैं तो उसके 2 बच्चों को भी 25 साल की उम्र तक पेंशन मिलती है।
3 अगर कर्मचारी शादीशुदा नहीं है तो उसके नॉमिनी को पेंशन मिलती है।
4 अगर कोई नॉमिनी नहीं है। कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसके माता-पिता पेंशन के हकदार होते हैं।
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