किस्मत चमकाने वाले पन्ना के हीरे की कहानी: 22 साल में 60 लाख का हीरा ढूंढ़ने वाले ने बाइक खरीदी, गोशाला-हनुमान मंदिर बनवाया; 1 माह में 26 लाख का हीरा ढूंढ़ बन गए थोक कारोबारी, जमीन भी ली
मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे, मोती..। मध्यप्रदेश के पन्ना पर यह बात बिल्कुल सटीक है। 61 साल में करोड़ों रुपए के हजारों हीरे इस धरती ने दिए। सबसे अच्छी क्वालिटी का हीरा 1961 में रसूल मोहम्मद शख्स के नाम के व्यक्ति को मिला। वह 44.55 कैरेट का था, जो तब 96 हजार रुपए में बिका था। आखिरी बड़ा हीरा पिछले साल किसान लखनलाल यादव को मिला, जो 60 लाख रुपए में नीलाम हुआ। अब तक 70 लोगों को अच्छी क्वालिटी के हीरे मिले हैं, जिसके बाद झोपड़ों में रहने वालों की किस्मत पलट गई। हाल ही की स्थिति देखें तो 2000 से 2021 के बीच 13 हजार 547 हीरे मिले। इनका वजन 9161.45 कैरेट है। नीलामी में 16 करोड़ 54 लाख 41 हजार 329 रुपए मिले। बाजार के हिसाब से यह दाम लगभग आधा है।
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पिछले साल 60 लाख का हीरा ढूंढ़ चुके लखन लाल कहते हैं कि मैं तो सिर्फ किसानी करता था। बीच में हीरे ढूंढ़ता था। तकरीबन 22 साल की मेहनत के बाद यह हीरा मिला था। इससे गोशाला बनवाई है। अपना एक अलग से मकान बना लिया है, मोटर साइकिल खरीद ली। उन्होंने बताया, 60 में से 53 लाख रुपए काटकर मिले, तो उससे अधूरा कुआं पूरा किया। अपने नाम से लखन हनुमान मंदिर बनवाया।
एक महीने की मेहनत में मिला 13 कैरेट का हीरा, छोटे व्यापारी से थोक कारोबारी बन गए, जमीन में भी इंवेस्ट
राहुल किशन अग्रवाल हीरा मिलने के बाद थोक कारोबारी बन गए हैं।
कटरा बाजार के व्यापारी राहुल किशन अग्रवाल (28) गल्ले का पुश्तैनी धंधा कर रहे थे। उन्हें यकीन नहीं था कि महज एक महीने में ही उन्हें हीरा मिल जाएगा और किस्मत पलट जाएगी। आज वे थोक कारोबारी हैं, जमीन खरीद ली है। उन्होंने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया, पन्ना हीरा कार्यालय से 20 फरवरी 2019 को जनकपुर के पास रानीपुर में निजी खदान का पट्टा मिला। इसे लेने के बाद वे भूल गए। फिर नवंबर 2019 की शुरुआत में खदान में लेबर बढ़ाए। 20 से 30 हजार रुपए खर्च हो गए। एक माह में ही 7 दिसंबर 2019 को 13.21 कैरेट का जैम क्वालिटी वाला हीरा मिला। 26 लाख 15 हजार 58 रुपए की नीलामी हुई। राॅयल्टी और टीडीएस काटकर 22 लाख रुपए मिल गए।
पढ़िए… हीरा कैसे निकलता है, हीरे की खदान की पूरी कहानी और बाजार तक पहुंचने की प्रोसेस।
इस तरह की खदान पट्टे पर मिलती है।
हीरे कितनी तरह के होते हैं
हीरे तीन प्रकार के होते हैं। पहला- उज्ज्वल/जेम, दूसरा- मैलो और तीसरा- मटठो। सबसे ज्यादा भाव जेम क्वालिटी के हीरे को मिलता है। यह बिल्कुल सफेद होता है। सूरत के सराफा बाजार में 8 लाख रुपए औसत एक कैरेट हीरे की कीमत होती है, जो शुद्ध मात्रा में होता है। पन्ना जिले की नीलामी में 4 लाख रुपए औसत बोली लगाई जाती है। यह पूरी तरह शुद्ध नहीं होता। मेलो यानी ब्राउन और मट्ठो यानी काला होता है।
सरकारी जमीन का पट्टा पाने की प्रक्रिया
पन्ना में सरकारी जमीन का पट्टा पाने के लिए आवदेन फॉर्म भरना होता है। हीरा कार्यालय के लिपिक सुनील कुमार जाटव ने बताया, आवेदन फॉर्म के साथ तीन फोटो, आधार कार्ड की कॉपी और 200 रुपए का बैंक चालान पन्ना की SBI शाखा में जमा करना होता है। चालान की एक कॉपी कार्यालय में भी जमा कराना पड़ती है। इसके बाद 20 दिन के अंदर पट्टा मिल जाता है।
निजी जमीन में पट्टे की प्रक्रिया
निजी जमीन में हीरा खदान चलाने के लिए जमीन मालिक से सहमति और समझौता पत्र, बिक्रीनामा, किरायानामा जरूरी है। 3 फोटो, आधार कार्ड की कॉपी, 200 रुपए का चालान जमा कराने के बाद पट्टा जारी कर दिया जाता है। निजी खदान कहीं भी संचालित तो हो सकती है, लेकिन इलाके का हीरा खनन क्षेत्र के नक्शे में होना जरूरी है।
पट्टी की खदान पर खुदाई करनी पड़ती है।
ऐसे निकलता है हीरा
फॉर्म वगैरह की प्रक्रिया पूरी करने के बाद हीरा कार्यालय 8 बाई 8 मीटर का पट्टा जारी करता है। इसके बाद ठेकेदार खुद या लेबर लगाकर हीरे को खोज सकता है। हीरा पट्टी खदान में तैनात सिद्धी लाल सिपाही ने बताया, मिट्टी को छांटकर बाहर फेंक दिया जाता है। पथरीली मिट्टी को पानी में धोते हैं। इसके बाद सुखाकर इसकी छनाई की जाती है। उसी में से हीरे निकलते हैं जो कि किस्मत और मेहनत का खेल है।
12% राजस्व काटकर बाकी पैसा ठेकेदार का
हीरा मिलने पर इसे हीरा कार्यालय में जमा कराना होता है। वहां से बाकायदा नीलामी की प्रक्रिया होती है, जिसमें देश के बड़े कारोबारी भाग लेते हैं। वे दाम लगाते हैं। जो दाम तय होता है, उसमें से 12% राशि राजस्व सरकार काट लेती है। शेष रकम हीरा ढूंढ़ने वाले को दे दिए जाते हैं। काटी जाने वाली राशि में 11% रॉयल्टी और 1% TDS होता है। नीलामी की प्रक्रिया हर तीन महीने में एक बार व साल में चार बार कराई जाती है। अखबारों में बाकायदा एड जारी होता है।
पन्ना के हीरा कार्यालय में हीरा इसी तराजू पर तौला और उसकी जांच की जाती है।
सरकारी सिर्फ एक खदान
वर्तमान में सिर्फ एक सरकारी खदान पटी में चल रही है। यहां करीब 100 लोगों को पट्टा जारी है। पटी खदान 2 हेक्टेयर क्षेत्रफल वाली है। यहां करीब 7 एकड़ में ठेकेदार खुद या फिर मजदूर लगाकर हीरों के चाल की खुदाई कराते हैं। पट्टा एक साल के लिए मिलता है, जो 31 दिसंबर को स्वत: खत्म हो जाता है।
निजी खदानों की तादाद ज्यादा
पन्ना में वैसे तो कई निजी जमीनों में खदानें चल रही हैं, लेकिन जिन निजी खदानों का अच्छा रिजल्ट आया है। उनमें सरकोहा, दहलान चौकी, किटहा, जनकपुर, हजारा मुडढ़ा, भरका, बगीचा, रमखिरिया शामिल हैं। यहां करीब 200 से ज्यादा छोटी और बड़ी खदानें चल रही हैं।
NMDC से मिल रहा सालाना 5 करोड़ का राजस्व
पन्ना जिले में NMDC की दो खदानें हैं। पहली खदान जहां से हीरा निकलता है, 113.322 हेक्टेयर में फैली है। यहां मशीनों से हीरे की खनाई और धुलाई होती है। दूसरी खदान 162.631 हेक्टेयर की है, जो बंद पड़ी है। NMDC के करीब ढाई हजार कर्मचारी दोनों खदानों में कार्य कर रहे है। 5 करोड़ का सालाना राजस्व पन्ना हीरा कार्यालय में NMDC की ओर से जमा होता है।
हीरा कार्यालय में वर्षों पुरानी तिजोरी भी रखी है। इस पर ताला लगा रहता है।
20 साल में इतने हीरे मिले
हीरे की क्वालिटी | संख्या | वजन | कीमत |
सबसे अच्छा सफेद | 5582 | 3814.18 कैरेट | 14,91,75,437 रुपए |
ब्राउन | 4150 | 2631.57 कैरेट | 10,8,66,490 रुपए |
काला | 3815 | 3715.7 कैरेट | 1,08,66,490 रुपए |
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