प्राइवेट स्कूलों की मनमानी से अभिभावक त्रस्त: ट्यूशन फीस में रेगुलेटरी एक्ट के बावजूद कोई सख्ती नहीं, हल नहीं निकला तो माता-पिता बच्चों की कॉपी-किताबें सांसद ऑफिस में जमा कराएंगे
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प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के खिलाफ जागृत पालक संघ के बैनर तले रविवार को शहर के कई अभिभावक सांसद शंकर लालवानी से मिले। उन्होंने मांग रखी कि हजारों बच्चे स्कूलों की मनमानी से पीड़ित हैं। स्कूल प्रबंधन द्वारा अभिभावकों से ट्यूशन फीस के नाम पर वसूली हो रही है। अभिभावक कई बार शासन, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से मिलकर शिकायत कर चुके हैं लेकिन हर बार उनकी शिकायत नजरअंदाज कर दी जाती है। प्रदेश में फीस रेगुलेटरी एक्ट दिसम्बर 2012 में लागू हो चुका है लेकिन नियमों की अवहेलना की जा रही है और लगातार बच्चों को स्कूलों से निकालने की धमकी दी जा रही है। ऐसे में जरूरी है कि स्कूलों पर नियंत्रण किया जाए। अभिभावकों को किसी तरह की आर्थिक मदद की जरूरत नहीं है, लेकिन शासन के नियमों का पालन कराते हुए ट्यूशन फीस का उचित निर्धारण कर कानून का पालन किया जाएं।
संघ के अध्यक्ष एडवोकेट चंचल गुप्ता ने बताया कि लगातार शिकायतों के बावजूद न स्कूलों पर कार्रवाई हो रही है और न ही अभिभावकों को मदद मिल रही है। इसका कारण सिर्फ यही है कि हर बार शिकायतों को अनदेखा किया जा रहा है। हर स्तर पर जनप्रतिनिधियों द्वारा केवल आश्वासन दिया जाता है लेकिन कभी मध्यस्थता कर इस मामले को सुलझाने की कोशिश नहीं की जाती है। सचिव सचिन माहेश्वरी ने बताया कि फीस रेगुलेटरी एक्ट में स्पष्ट है कि हर जिले में एक ऐसी समिति बनाई जाए। इसमें जिला शिक्षा अधिकारी के साथ एक सीए को भी शामिल किया जाए और स्कूलों को बीते 3सालों की बैलेंस शीट प्रस्तुत करने को कहा जाए ताकि ट्यूशन फीस और अन्य मदों का निर्धारण कर फीस तय की जाएं।
टीसी नहीं देने से सरकारी स्कूलों में भी एडमिशन नहीं
अभी स्थिति यह है कि अब तक नहीं कोई कमेटी बनी है और न ही किसी भी स्कूल द्वारा बैलेंस शीट पेश की गई है। इससे स्पष्ट है कि स्कूलों की मंशा सिर्फ वसूली करने की है इसके अलावा कुछ नहीं। यह वसूली अभिभावकों के लिए तनाव साबित हो रही है। वे बिना शिक्षा के फीस देने को मजबूर हैं। बच्चों को इन स्कूलों से निकालकर सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलवाने की कोशिश भी नाकाम साबित हो रही है क्योंकि मौजूदा समय तक की फीस जमा नहीं करने पर स्कूलों द्वारा टीसी भी नहीं दी जा रही है। संघ ने सांसद से निवेदन किया गया कि वे की समस्याओं पर ध्यान देकर निराकरण करें।
पालस संघ की ये हैं मांगें
– बिना वैक्सीनेशन और पूरी सुरक्षा के स्कूल नहीं खोले जाएं।
– ट्यूशन फीस के नाम से पूरी फीस ली जा रही है, इसका निराकरण कर उचित ट्यूशन फीस तय करवाई जाएं।
– स्कूल फीस के कारण बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई बंद कर दी गई है जिसे तत्काल शुरू करवाया जाए।
– फीस के कारण टीसी नहीं दी जा रही है जिससे बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह रुक गई है। फीस भरने में असमर्थ अभिभावकों को तत्काल टीसी दिलवाई जाएं जिससे वे अपने बच्चों को किसी सरकारी स्कूल में एडमिशन दिलवा सकें।
– फीस के कारण बच्चों के रिजल्ट व प्रमोशन रोके गए हैं वो जारी करवाए जाएं।
– स्कूल में लेट फीस मांगी जा रही है उसे बंद करवाया जाएं।
– जिला प्रशासन और अभिभावकों की एक मीटिंग करवाई जाए जिसमें निजी स्कूलों द्वारा की जा रही मनमानी की सप्रमाण जानकारी प्रशासन को दी जा सके।
– एक कमेटी बनाकर पुरानी लंबित शिकायतों और वर्तमान शिकायतों के निराकरण की व्यवस्था की जाएं।
…तो बच्चों की पढ़ाई छुड़वाने को मजबूर हो जाएंगे माता-पिता
मामले में सांसद ने 3-4 दिन में सभी समस्याओं का हल निकालने का आश्वासन दिया है। संघ के प्रतिनिधियों ने कहा है कि अगर चार दिन में हल नहीं निकलता है तो अभिभावक अपने बच्चों की कॉपी, किताबे, स्टेशनरी आदि सांसद के ऑफिस में जमा करवाकर बच्चों की पढ़ाई छुड़वाने को मजबूर हो जाएंगे।
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