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NAS SERVEY 2021 हर साल 22 लाख बच्चों का होता है सर्वे: 2 साल से स्कूल ही नहीं लगे फिर भी नेशनल अचीवमेंट सर्वे की प्रक्रिया हुई शुरू Digital Education Portal

विशेषज्ञ बोले ऐसे कैसे हो सकेगा स्टूडेंट्स का असेसमेंट - dainik bhaskar

विशेषज्ञ बोले ऐसे कैसे हो सकेगा स्टूडेंट्स का असेसमेंट

स्कूली विद्यार्थियों के नेशनल अचीवमेंट सर्वे की प्रोसेस शुरू हो चुकी है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के हालिया पत्र का हवाला देते हुए राज्य शिक्षा केंद्र ने सभी कलेक्टरों को इस बारे में निर्देश जारी कर दिए हैं। एनसीईआरटी की गाइडलाइन एवं टूल्स के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा तीसरी, पांचवीं, आठवीं और दसवीं कक्षा के स्टूडेंट्स का असेसमेंट किया जाता है।

शैक्षणिक मामलों के जानकार इस मामले में सरकार के इस फैसले से इत्तेफाक नहीं रखते। यह विशेषज्ञ कहते हैं कि पिछले 2 साल से स्कूल नहीं लगे हैं इसलिए इस रैंडम सर्वे को इस साल नहीं बल्कि अगले साल करना चाहिए। गौरतलब है देशभर में 1 लाख 10 हजार से ज्यादा स्कूलों के 22 लाख से ज्यादा बच्चों का यह सर्वे किया जाता है। यह सर्वे नवंबर में किया जाना है।

समझे कैसे और क्यों किया जाता है यह सर्वे-शैक्षणिक मामलों के जानकार डॉ आशीष चटर्जी के मुताबिक केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा एनसीईआरटी के तय मापदंडों एवं प्रमाणिक प्रक्रिया के तहत फील्ड इन्वेस्टिगेटर को एनसीईआरटी द्वारा चुने गए सैंपल स्कूलों में भेजा जाता है। इस सर्वे के नतीजे सर्वमान्य होते हैं। नतीजों को एनएएस स्कोर कहा जाता है। इनके आधार पर क्वालिटी एजुकेशन की समीक्षा की जाती है।

कलेक्टरों से यह तैयारी करने के लिए कहा

  • जिला स्तरीय बैठक बुलाकर एक्शन प्लान बनाएं
  • हिंदी, गणित, पर्यावरण , सामाजिक विज्ञान विषय के प्रैक्टिस क्वेश्चन बैंक तैयार किए जाएं
  • मॉक टेस्ट कराए जाएं

वर्ष 2017 में हुआ था सर्वे, परफॉर्मेंस 50 % ही रहा था

नेशनल अचीवमेंट सर्वे 2017 में किया गया था। इसमें मध्य प्रदेश की स्थिति ठीक नहीं थी। औसत परफॉर्मेंस 50 फ़ीसदी ही रहा था। पांचवी और आठवीं कक्षा के बच्चों के गणित और विज्ञान में एसेसमेंट 50 फीसदी तक भी नहीं पहुंचा था।

भोपाल में 5वी में 55 और 8वीं में 43 फ़ीसदी रहा था

2017 के सर्वे में भोपाल जिले में गणित और विज्ञान विषय में पांचवी कक्षा में 55 और आठवीं कक्षा में 43 फ़ीसदी स्कोर हो सका था।

इसलिए अभी नहीं कराया जाना चाहिए

शैक्षणिक मामलों के जानकार रमाकांत पांडे कहते हैं कि कोविड-19 से बने हालात के कारण पिछले 2 साल से लगातार स्कूल नहीं लगे। प्राइमरी और मिडिल स्कूल अभी भी नहीं लग रहे हैं। प्रदेश के अर्ध शहरी और कस्बाई इलाकों के बच्चे संसाधनों के अभाव में ऑनलाइन क्लासेस भी अटेंड नहीं कर सके। असेसमेंट के आधार पर रिजल्ट घोषित किए गए हैं। इससे क्वालिटी एजुकेशन प्रभावित हुई है। इस सर्वे को अगले साल ही कराना बेहतर होगा।

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12 नवंबर को टेस्ट होना है

निर्देश मिल चुके हैं। 12 नवंबर को टेस्ट होना है। सर्वे में 3 महीने से ज्यादा का समय हैं। मॉक टेस्ट लेकर तैयारी कराई जाएगी। क्वेश्चन पेपर भी तैयार करवाकर सॉल्व कराए जाएंगे।
राजेश बाथम, डीपीसी भोपाल

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