विवादों का नीट: 700 से ज्यादा बार अब तक सुप्रीम व हाई कोर्ट पहुंचा नीट, एनटीए और क्लैट भी विवादित; नुकसान ,कभी सेशन लेट तो कभी मेरिट में गड़बड़ी Digital Education Portal
शिक्षण संस्थानों के पास नहीं है डिस्प्यूट रेज्योल्यूशन मैकेनिज्म, न्यायालय जाने के लिए छात्र मजबूर।
- कोविड-19 में भी लगभग हर परीक्षा पहुंच गई कोर्ट
12 सितंबर को नीट यूजी है। इसकी फॉर्म फिलिंग प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। यह मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम हर साल विवादों में रहता है और 2013 में अपनी शुरुआत से लेकर अब तक यह इस कदर विवादों में आया है कि 700 से ज्यादा बार सुप्रीम व हाई कोर्ट पहुंचा है। नीट के अलावा भी परीक्षाएं व शिक्षा से जुड़े मामले कोर्ट गए हैं, लेकिन इनमें सर्वाधिक केस मेडिकल प्रवेश परीक्षा के ही हैं।
दूसरी ओर कोविड में तो लगभग सभी परीक्षाओं के मामले कोर्ट गए हैं। उदाहरण के तौर पर इस साल जब परीक्षाओं की शुरुआत हुई तो सीबीएसई, सीए, क्लैट समेत कई एग्जाम सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। इसी तरह 2020 में सीबीएसई कंपार्टमेंट एग्जाम रद्द करवाने, नीट, जेईई स्थगित करने समेत क्लैट, सीए, सिविल सर्विसेस परीक्षा, यूजीसी आदि से जुड़े मामले सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।
लीगल रिसर्च कंपनी मनुपात्रा इंफाॅर्मेशन सोल्यूशंस प्रा. लि. की रिसर्च के अनुसार पिछले तीन सालों में शिक्षा व परीक्षाओं से जुड़े कोर्ट केसेस की संख्या में बढ़ाेतरी हुई है। 2020 के कुल केसेस से ज्यादा तो 2021 के पहले 6 महीनों में ही फाइल हो गए हैं। परीक्षा एजेंसियों के पास पर्याप्त अनुभव होने के बावजूद मामलों का कोर्ट पहुंचना चिंताजनक है।
नीट के 80 मामले 2013 में
नीट के अलावा क्लैट अब तक 28 बार और एनटीए से जुड़े मामले 54 बार कोर्ट में पहुंचे हैं। 2013 में अकेले नीट के 80 मामले कोर्ट गए। विशेषज्ञों की राय में अगर कोर्ट से ही समाधान आना है तो शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका पर भी सवाल खड़े होते हैं। लिटिगेशन को अनदेखा नहीं किया जा सकता लेकिन ऐसे प्रावधान होने चाहिए जिससे कम मामले कोर्ट जाएं।
मुख्य मामले जो कोर्ट पहुंचे, नतीजतन सेशन व मार्क्स पर असर, छात्रों का तनाव से भी सामना
- क्लैट 2018 के बाद 6 हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं लगीं। आरोप था कि ऑनलाइन परीक्षा के दौरान तकनीकी खामियां आईं थी। फैसले में तकनीकी खामी का सामना करने वाले छात्रों को अतिरिक्त अंक देने को कहा गया। इससे मेरिट पर असर पड़ा।
- 2015 में एआईपीएमटी का पेपर लीक होने से मामला कोर्ट चला गया। ऐसे में एआईपीएमटी रद्द हुआ और 25 जुलाई को दोबारा परीक्षा हुई। सेशन देरी से शुरू हुआ, छात्र तनाव में रहे।
- 2020 में कई यूनिवर्सिटीज के फाइनल ईयर एग्जाम्स का मामला कोर्ट पहुंचा। सितंबर तक परीक्षाएं हुई, अक्टूबर में रिजल्ट आया। सेशन नवंबर-दिसंबर तक शुरू हुआ। सेशन छह महीने लेट हो गया।
विवादों के लिए हो हाई लेवल कमेटी
सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट ममता शर्मा के अनुसार, संस्थानों के हेल्पलाइन नंबर व ईमेल पर समाधान नहीं मिलते। परीक्षाओं में समय की बहुत कीमत होती है। जब संस्थान नहीं सुनते तो छात्र कोर्ट जाने के लिए बाध्य होते हैं। संस्थानों को एक टाइम बाउंड प्रक्रिया व डिस्प्यूट रेज्योल्यूशन मैकेनिज्म बनाना चाहिए। इंस्टीट्यूट्स के पास विवादों के लिए समर्पित ग्रीवेन्स कमेटी होनी चाहिए। जहां समस्याओं का समाधान समय रहते हो पाए।
- हर साल परीक्षाओं में बदलाव होना ठीक नहीं, इससे परीक्षा तंत्र की खामियां पता चलती हैं। अगर हर बार उन्हें सुधारने के लिए शीर्ष न्यायालय का दरवाजा ही खटखटाया जा रहा है तो यह चिंताजनक है। संस्थानों को अपने स्तर पर सुधार लाने चाहिए। – अभिषेक चौधरी, एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट
हमारे द्वारा प्रकाशित समस्त प्रकार के रोजगार एवं अन्य खबरें संबंधित विभाग की वेबसाइट से प्राप्त की जाती है। कृपया किसी प्रकार के रोजगार या खबर की सत्यता की जांच के लिए संबंधित विभाग की वेबसाइट विजिट करें | अपना मोबाइल नंबर या अन्य कोई व्यक्तिगत जानकारी किसी को भी शेयर न करे ! किसी भी रोजगार के लिए व्यक्तिगत जानकारी नहीं मांगी जाती हैं ! डिजिटल एजुकेशन पोर्टल किसी भी खबर या रोजगार के लिए जवाबदेह नहीं होगा .
Team Digital Education Portal
शैक्षणिक समाचारों एवं सरकारी नौकरी की ताजा अपडेट प्राप्त करने के लिए फॉलो करें |
||
---|---|---|
Follow Us on Telegram @digitaleducationportal @govtnaukary |
Follow Us on Facebook @digitaleducationportal @10th12thPassGovenmentJobIndia |
Follow Us on Whatsapp @DigiEduPortal @govtjobalert |
Discover more from Digital Education Portal
Subscribe to get the latest posts to your email.