30 जून के बाद दाखिले से छूटे बच्चों को प्रवेश दिलाने के लिए फिर से सर्वे कराया जाएगा। प्रवेश प्रक्रिया को 31 जुलाई तक बढ़ायाहै।
MP School News: प्रदेश के प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों से 14 लाख बच्चे गायब हैं, इतनी बड़ी संख्या में विद्यार्थी स्कूल छोड़ते गए और स्कूल शिक्षा विभाग न तो उन्हें रोक सका, न ही कारणों का पता लगा सका। बस हर साल गृह संपर्क अभियान चलाकर खानापूर्ति की जाती रही। अब शाला त्यागी बच्चों के गृह संपर्क अभियान के तहत इनसे गृह संपर्क अभियान शुरू किया गया तो पता चला कि साढ़े तीन लाख बच्चों के परिवार दूसरी जगह पलायन कर गए हैं, लेकिन उन्होंने बच्चों को कहीं प्रवेश नहीं दिलाया। इसी तरह एक लाख 50 हजार बच्चे तो 18 वर्ष से अधिक उम्र के हो गए हैं, जबकि 16 हजार की मृत्यु हो गई है। वहीं, कुछ बच्चों का नाम पोर्टल पर दर्ज है तो स्कूलों में नहीं होने से भी विसंगति पैदा हुई है। यह भी सामने आया है कि आठवीं के बाद स्कूल छोड़ने वाले की संख्या अधिक है। जिनमें छात्राएं अधिक हैं। अब विभाग बड़े स्तर पर अभियान चलाकर प्रवेश कराने का दावा कर रहा है।
स्कूल शिक्षा विभाग का कहना है कि साढ़े नौ लाख बच्चों का सर्वे कर लिया गया है। इनमें एक लाख से अधिक बच्चों को स्कूलों में प्रवेश दिलाने के लिए चिन्हित कर लिया गया है। इस रिपोर्ट के आने के बाद से विभाग 14 लाख बच्चों को वापस स्कूल में प्रवेश दिलाने की कवायद में जुट गया है। सर्वे के मुताबिक प्रदेश के 3.35 लाख बच्चे अपने परिवार के साथ कहीं और शिफ्ट हो गए हैं, जबकि 15 हजार 185 बच्चों की मौत हो चुकी हैं। बता दें, कि सरकारी स्कूलों में 30 जून तक स्कूलों में बच्चों के प्रवेश की प्रक्रिया चली। 30 जून के बाद दाखिले से छूटे बच्चों को प्रवेश दिलाने के लिए फिर से सर्वे कराया जाएगा। प्रवेश प्रक्रिया को बढ़ाकर 31 जुलाई तक कर दिया गया है। इसके अलावा 1 लाख 55 हजार 35 बच्चे बालिग यानी 18 साल से अधिक उम्र के हो चुके हैं। सर्वे में 11,377 परिवार नहीं मिले। 2 लाख 4 हजार 870 बच्चे पहले से शाला में प्रवेशित होना बताए गए, लेकिन इतने बच्चे स्कूल नहीं आते हैं। बस उनका नाम दर्ज है।
ये हैं स्कूल छोड़ने की बड़ी वजह
– ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ाई के बजाय रोजी-रोटी जुटाने में लगे हैं।
– ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल घर से दूर होने के कारण छात्राएं स्कूल नहीं जा पाती हैं।
– सरकारी स्कूलों में आठवीं तक के बच्चों को पास किया जाता है, जिससे नौवीं में पहुंचते ही वे अपेक्षाकृत जटिल कोर्स पढ़ नहीं पाते हैं, इसलिए स्कूल छोड़ देते हैं।
– प्रवासी श्रमिकों के बच्चे अपने परिवार के साथ एक शहर से दूसरे शहर में पलायन कर जाते हैं।
– परिवार के साथ बच्चे काम पर चले जाते हैं।
प्रदेश का आंकड़ा :-
प्रदेश के प्राथमिक स्कूल : 83,890
माध्यमिक स्कूल : 30,341
हाईस्कूल : 4,740
हायर सेकंडरी स्कूल : 3815
शिक्षकों की संख्या : 3.50 लाख
बच्चों की संख्या : एक करोड़ 10 लाख
शाला त्यागी के लिए शाला प्रवेश गृह संपर्क अभियान वर्ष 2021-22 की प्रगति रिपोर्ट
कुल शालात्यागी बच्चे : 13,78,520
कुल सर्वेक्षित : 9,39,728
स्कूल में प्रवेश के लिए चिन्हित बच्चे : 1,01,007
बच्चे जिनका परिवार पलायन कर चुका है : 3,35,399
गृह संपर्क के समय गैर मौजूद परिवार : 1,10,377
बच्चों की समग्र आइडी नकली है : 17,855
इतने बच्चे जिनकी मृत्यु हो गई है : 15,185
ऐसे बच्चे जो पहले से स्कूल में प्रवेशित हैं : 2,04,870
ऐसे बच्चे जो 18 वर्ष से अधिक पाए गए : 1,55,035
परिवार में असाक्षर सदस्यों की संख्या : 2,99,577
प्रवासी श्रमिकों के बच्चे : 1,04,610
– भोपाल में शाला प्रवेश गृह संपर्क अभियान वर्ष 2021-22 की प्रगति रिपोर्ट
कुल शाला त्यागी बच्चे : 52,950
स्कूल में प्रवेश के लिए चिन्हित बच्चे : 1752
बच्चे जिनका परिवार पलायन कर चुका है : 2720
18 वर्ष से अधिक पाए गए बच्चे : 1232
इतने बच्चे जिनकी मृत्यु हो चुकी है : 131
गृह संपर्क के समय गैर मौजूद परिवार : 1213
ऐसे बच्चे जो पहले से स्कूल में प्रवेशित हैं : 1723
स्कूल में प्रवेश के लिए चिन्हित बच्चे जिनका प्रवेश नहीं हुआ : 189
पलायन कर चुके परिवारों का नया पता : 265
पोर्टल पर दर्ज, लेकिन स्कूलों में नाम नहीं है : 2840
-वर्तमान में स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया जारी है। शाला त्यागी बच्चों में से 82 प्रतिशत बच्चों की मैपिंग हो गई है। इसके बाद सर्वे कराएंगे कि कितने बच्चे अगली कक्षा में नहीं पहुंच पाए हैं। उन्हें इस अभियान से जोड़ेंगे और प्रवेश दिलाएंगे।
– धनराजू एस, संचालक, राज्य शिक्षा केंद्र
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