आरटीई प्रवेश: जन्म तारीख, समग्र आईडी गलत थी, इसलिए सत्यापन में ही बाहर हो गए 10 फीसदी गरीब बच्चे, 20 फीसदी ने आवेदन ही नहीं किए
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आरटीई प्रवेश
- इस साल 372 स्कूलों में देना था 4392 गरीब बच्चों को प्रवेश, दस्तावेज पूरे होने पर 2776 का ही हो सका सत्यापन
दस्तावेजों में जन्म तारीख, समग्र आईडी, आधार नंबर गलत होने से 10% गरीब बच्चे प्रवेश लेने से पहले ही अपात्र हो गए, जबकि 20% अभिभावकों ने प्रवेश के लिए आवेदन ही नहीं किए। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत सत्र 2020-21 के लिए इस साल जिले के 349 निजी स्कूलों में कमजोर वर्ग एवं वंचित समूह के बच्चों के नि:शुल्क प्रवेश के लिए 4392 सीटें जिला शिक्षा केंद्र द्वारा लॉक की गई थीं।
शनिवार 9 जुलाई को प्रवेश के लिए आवेदन की अंतिम तारीख थी जिसमें केवल 2776 अभिभावकों ने ही आवेदन आए। इनमें भी 2145 का सत्यापन कार्य हुआ। यानी जितनी सीटें लॉक हुई थी उनमें से 64% आवेदन और 50% का ही सत्यापन हुआ। ऐसी स्थिति में स्कूल शिक्षा विभाग ने सत्यापन का एक और दिन बढ़ा दिया और तारीख 12 जुलाई कर दी।
साल दर साल स्कूलों की संख्या और सीटें बढ़ीं, लेकिन प्रवेश कम होते गए
![आरटीई प्रवेश: जन्म तारीख, समग्र आईडी गलत थी, इसलिए सत्यापन में ही बाहर हो गए 10 फीसदी गरीब बच्चे, 20 फीसदी ने आवेदन ही नहीं किए 6 एक नजर सीट व प्रवेश की संख्या पर](https://i0.wp.com/images.bhaskarassets.com/thumb/600x450/web2images/521/2021/07/12/orig_untitled-1_1626049531.jpg?w=1220&ssl=1)
एक नजर सीट व प्रवेश की संख्या पर
इन कमियों के चलते हो गए अपात्र
जिला शिक्षा केंद्र के अनुसार ऑनलाइन आवेदन के बाद अभिभावकों को अपने बच्चे के दस्तावेजों का सत्यापन अधिकारियों के पास पहुंचकर कराना था। जो पालक पहली बार आए थे उनके दस्तावेजों में कमी देखी गई। उनके आधार कार्ड, समग्र आईडी नहीं थे।
कुछ के नाम में गलती थी, जन्म प्रमाण पत्र में तिथि गलत होने से कुछ अपात्र हो गए। जिन्हें सुधार कर लाने को कहा, वे अभिभावक वापस ही नहीं आए। हरसूद ब्लाक में यह स्थिति देखने को मिली। दस्तावेज अधूरे व नहीं होने पर कई पालकों को लौटाया गया।
डेढ़ से दो हजार सीटें खाली रह जाएंगी
- पिछले पांच सालों में लॉक की गई सीटें व स्कूलों की संख्या बढ़ी है, लेकिन आवेदन व प्रवेश लगातार कम हुए हैं। इस साल भी लॉक सीटों की अपेक्षा डेढ़ से दो हजार सीटें खाली रह जाएंगी। कोविड-19 भी एक कारण है जिसके कारण कई अभिभावकों ने प्रवेश के लिए अावेदन ही नहीं किए। -पीएस सोलंकी, समन्वयक, जिला शिक्षा केंद्र
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