अनुकंपा नियुक्ति की चूक बनी गले की फांस: चपरासी को बना दिया प्रयोगशाला शिक्षक, चूक पर बदला आदेश तो दोनों ने कोर्ट से ले ली अंतरिम राहत Digital Education Portal
अनुकंपा नियुक्ति देने में चूक पड़ गई भारी।
जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी की लापरवाही के कारण स्कूल शिक्षा विभाग को 96 हजार रूपए की चपत लग गई। दरअसल जिला शिक्षा अधिकारी ने अनुकंपा नियुक्ति के दो प्रकरणों में चूक करते हुए चपरासी के स्थान पर दो आश्रितों को प्रयोगशाला शिक्षक बना दिया। इसकी वजह से दोनों आश्रित पिछले 7 माह से चपरासी की बजाय प्रयोगशाला शिक्षक का वेतन उठा रहे हैं। जिला शिक्षा अधिकारी ने आदेश संशोधित किया तो दोनों आश्रितों ने कोर्ट से अंतरिम राहत ले ली। ये प्रकरण शिक्षा विभाग की गले की फांस बनता जा रहा है।
चेरीताल निवासी मधु श्रीवास्तव और ठक्कर ग्राम निवासी मोहम्मद उसजिद अशरफी को 9 फरवरी 2021 को शिक्षा विभाग में लैब टीचर के पद पर अनुकंपा नियुक्ति दी गई थी। 20 जुलाई, 2021 को उन्हें लैब टीचर से भृत्य के पद पर रिवर्ट करने का आदेश जारी कर दिया गया। आदेश में कहा गया कि शासन की गाइड लाइन के अनुसार दिवंगत शिक्षकों के आश्रितों को लैब टीचर और दिवंगत लिपिक या अन्य कर्मचारी के आश्रितों को लिपिक या भृत्य पद पर अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने का प्रावधान है।
अनुकंपा नियुक्ति करने वाले लिपिक की गड़बड़ी
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अनुकंपा नियुक्ति में गड़बड़ी करने वाले बाबुओं पर पूर्व में भी गंभीर आरोप लग चुके हैं। तब वे संभागीय संयुक्त लोक शिक्षण कार्यालय में शराब कांड में फंसे थे। इस कांड में कार्यालय के कर्मचारी सहित अधिकारियों पर कार्रवाई हुई थी। इसी कांड में फंसे एक बाबू को उपकृत करते हुए डीईओ ऑफिस में अनुकंपा नियुक्ति का कार्य सौंपा गया था।
फिर से चपरासी बनाने का आदेश जारी कर दिया
अनुकंपा नियुक्ति में चूक सामने आने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी ने दोनों अनुकंपा आश्रितों के नियुक्ति आदेश को बदलकर उन्हें चपरासी बना दिया। इस संबंध के आदेश भी जारी कर दिए गए। इसके पीछे डीईओ (जिला शिक्षा अधिकारी) ने कारण बताया कि गलतियां सबसे होती है, भूलवश ऐसा हो गया इसलिए आदेश संशोधित किए गए हैं।
आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे अनुकंपा आश्रित
प्रयोग शाला शिक्षक से चपरासी बनाए जाने संबंधी जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश को दोनों आश्रितों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी है। हाईकोर्ट की जस्टिस नंदिता दुबे, जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की कोर्ट ने अलग-अलग याचिकाकर्ताओं को सुना और दोनों को प्रयोगशाला शिक्षक से चपरासी के पद पर रिवर्ट करने के आदेश पर रोक लगा दी। विभाग की मुश्किल ये है कि अतिरिक्त भुगतान की भरपाई किससे होगी।
गड़बड़ी को ऐसे समझें-
- 9 फरवरी को दोनों अनुकंपा आश्रितों को नियुक्ति आदेश दिया गया।
- प्रयोगशाला शिक्षक का वेतन शासन द्वारा निर्धारित 17 हजार 710 है। शिक्षक को 7 माह में 1 लाख 23 हजार 970 रूपए भुगतान किया गया।
- वहीं प्यून का वेतन 10 हजार 850 है। 7 माह में एक आवेदक को 75 हजार 950 मिले हैं।
- दोनों अनुकंपा आश्रितों को 96 हजार 40 रूपए ज्यादा मिल चुके हैं।
हमारे द्वारा प्रकाशित समस्त प्रकार के रोजगार एवं अन्य खबरें संबंधित विभाग की वेबसाइट से प्राप्त की जाती है। कृपया किसी प्रकार के रोजगार या खबर की सत्यता की जांच के लिए संबंधित विभाग की वेबसाइट विजिट करें | अपना मोबाइल नंबर या अन्य कोई व्यक्तिगत जानकारी किसी को भी शेयर न करे ! किसी भी रोजगार के लिए व्यक्तिगत जानकारी नहीं मांगी जाती हैं ! डिजिटल एजुकेशन पोर्टल किसी भी खबर या रोजगार के लिए जवाबदेह नहीं होगा .
Team Digital Education Portal
शैक्षणिक समाचारों एवं सरकारी नौकरी की ताजा अपडेट प्राप्त करने के लिए फॉलो करें |
||
---|---|---|
Follow Us on Telegram @digitaleducationportal @govtnaukary |
Follow Us on Facebook @digitaleducationportal @10th12thPassGovenmentJobIndia |
Follow Us on Whatsapp @DigiEduPortal @govtjobalert |
Discover more from Digital Education Portal
Subscribe to get the latest posts to your email.