नई दिल्ली- देशभर में कोरोना वायरस के कारण स्कूल काफी़ समय से बंद है जिसकी वजह से एजुकेशन सेक्टर प्रभावित हुआ है। एेसे में बहुत से राज्योें में ऑनलाइन क्लासेस लगाकर स्टडी करवाई जा रही है। लेकिन दिल्ली के बच्चों के पास मोबाइल या लैपटॉप न होने के कारण महीनों से उनकी पढ़ाई रुकी पड़ी है।
इस समस्या को देखते हुए आज दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि प्राइवेट स्कूल ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के बच्चों को मोबाइल या लैपटॉप उसी फॉर्मेट का खरीद कर देंगे जिसमें बाकी की छात्रों की पढ़ाई ऑनलाइन माध्यम से कराई जा रही है।अदालत ने कहा कि ऐसी सुविधाओं की कमी बच्चों को मूलभूत शिक्षा प्राप्त करने से रोकती है।
न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति संजीव नरुला की पीठ ने कहा कि गैर वित्तपोषित निजी स्कूल, शिक्षा के अधिकार कानून-2009 के तहत उपकरण और इंटरनेट पैकेज खरीदने पर आई तर्कसंगत लागत की प्रतिपूर्ति राज्य से प्राप्त करने के योग्य हैं, भले ही राज्य यह सुविधा उसके छात्रों को मुहैया नहीं कराती है।”
पीठ ने गरीब और वंचित विद्यार्थियों की पहचान करने और उपकरणों की आपूर्ति करने की सुचारु प्रक्रिया के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित करने का निर्देश दिया। समिति में केंद्र के शिक्षा सचिव या उनके प्रतिनिधि, दिल्ली सरकार के शिक्षा सचिव या प्रतिनिधि और निजी स्कूलों का प्रतिनिधि शामिल होगा।
अदालत ने यह भी कहा कि समिति गरीब और वंचित विद्यार्थियों को दिए जाने वाले उपकरण और इंटरनेट पैकेज के मानक की पहचान करने के लिए मानक परिचालन प्रकिया (एचओपी) भी बनाएगी। पीठ ने कहा कि इससे सभी गरीब और वंचित विद्यार्थियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरण और इंटरनेट पैकेज में एकरूपता सुनिश्चित हो सकेगी। यह फैसला अदालत ने गैर सरकारी संगठन ‘जस्टिस फॉर ऑल’ की जनहित याचिका पर सुनाया।
संगठन ने अधिवक्ता खगेश झा के जरिये दाखिल याचिका में केंद्र और दिल्ली सरकार को गरीब बच्चों को मोबाइल फोन, लैपटॉप या टैबलेट मुहैया कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया था ताकि वे भी कोविड-19 लॉकडॉउन की वजह से चल रही ऑनलाइन कक्षाओं का लाभ ले सके।
Discover more from Digital Education Portal
Subscribe to get the latest posts to your email.