MP bord– 12वीं का रिजल्ट 100% रहा: 52% फर्स्ट डिवीजन; 90% लाने वाले 10% से भी कम, कॉलेज एडमिशन में दूसरे राज्यों से पिछड़ जाएंगे मप्र के बच्चे Digital Education Portal
मप्र बोर्ड की 12वीं कक्षा का रिजल्ट गुरुवार को घोषित कर दिया गया।
- 40 फीसदी सेकंड और 7% स्टूडेंट्स थर्ड डिवीजन में पास
मप्र बोर्ड की 12वीं कक्षा का रिजल्ट गुरुवार को घोषित कर दिया गया। कहने को रिजल्ट 100 फीसदी रहा, लेकिन 52% स्टूडेंट्स ही फर्स्ट डिवीजन में पास हो सके। 40% का सेकंड डिवीजन और 7% स्टूडेंट्स थर्ड डिवीजन आया। पिछले साल के मुकाबले फर्स्ट डिवीजन लाने वालों का ग्राफ 9 फीसदी भले ही बढ़ गया हो, लेकिन इस मामले में मप्र अन्य कई राज्यों से पिछड़ जाएगा।
फर्स्ट डिवीजन में पिछड़ने की वजह बताते हुए शैक्षणिक मामलों के जानकार कहते हैं कि जो बच्चे इस साल 12वीं में थे, उन्होंने 2019 में 10वीं पास की थी। 2019 में 10वीं में सिर्फ 38.2 विद्यार्थी ही फर्स्ट डिवीजन ला सके थे। इस साल 12वीं में कॉमर्स और ह्यूमैनिटीज के स्टूडेंट्स के नंबर 10वीं के सोशल साइंस विषय के नंबरों के आधार पर तय किए गए। 10वीं में सोशल साइंस में ज्यादातर विद्यार्थियों को कम नंबर मिले थे। यही कारण है 12वीं में फर्स्ट डिवीजन के बच्चाें का प्रतिशत कम है।
जो संतुष्ट नहीं, उन्हें दोबारा मौका
बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि जो 10वीं 12वीं के जो विद्यार्थी रिजल्ट से संतुष्ट नहीं होंगे, वे सितंबर में होने वाली परीक्षा में दोबारा शामिल हो सकेंगे। इसके लिए 1 से 10 अगस्त तक आवेदन दे सकेंगे। यदि यह दूसरी परीक्षा में फेल हुए तो फेल और गैर हाजिर रहे तो एब्सेंट माने जाएंगे।
कट ऑफ का कॉम्पिटिशन बढ़ेगा
मप्र में 90% से ऊपर नंबर लाने 6 से 10% के आसपास है। पिछले साल भी यह आंकड़ा 9.5% था। सीबीएसई सहित कई राज्यों का रिजल्ट इससे ऊपर रहा और 90% नंबर से ऊपर वालों की तादाद 20 से 25% भी हुई तो बड़े संस्थानों में दाखिला लेने के लिए कट ऑफ का कॉम्पिटिशन बढ़ जाएगा। – डॉ. वंदना मिश्र, रिटायर्ड प्रिंसिपल
तीन वजह… जिसके कारण नंबर कम आए
- 1. तय किए गए फार्मूले के मुताबिक 10वीं के नंबरों के आधार पर तैयार किया गया रिजल्ट।
- 2. 2019 में ये स्टूडेंट्स 10वीं में थे, तब सिर्फ 38.2 फीसदी विद्यार्थी ही प्रथम श्रेणी लाए थे।
- 3.10वीं में जिनके मैथ्स और इंग्लिश में कम नंबर आते हैं वे 11वीं-12वीं में अपने को अपग्रेड करते हैं। परीक्षा नहीं हुई तो नंबर भी नहीं बढ़ सके।
अड़चन… 11वीं की सालाना और 12वीं की छमाही या प्री बोर्ड को फाॅर्मूले में शामिल किया
ज्यादातर निजी स्कूलों के पास पिछले साल की 11वीं का रिजल्ट नहीं था। लॉकडाउन के कारण ज्यादातर स्कूलों में इस बार 12वीं की छह माही या प्री बोर्ड परीक्षा नहीं हो सकी थी। प्राइवेट स्कूलों में यह कहकर हाथ खड़े कर दिए थे कि पिछले साल 11वीं की रिजल्ट तैयार नहीं हुई थी।
नंबर…गेम यह है 90 फीसदी से ज्यादा का गणित
भोपाल के सबसे टॉप सरकारी स्कूलों में शुमार एक्सीलेंस स्कूल में 12वीं के सभी 619 स्टूडेंट्स फर्स्ट डिवीजन लाए हैं। इनमें कॉमर्स और ह्यूमैनिटीज स्ट्रीम के 41 यानी 6.62% विद्यार्थी ही 90% से ज्यादा नंबर ला सके। एमपी बोर्ड के अन्य स्कूलों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
दिल्ली के कई अच्छे कॉलेजों में 97 से 100% था कटऑफ
- डीयू के श्रीराम कॉलेज फॉर वुमन में बीए ऑनर्स के राजनीति विज्ञान अर्थशास्त्र और मनोविज्ञान में कटऑफ 100% रहा था।
- डीयू के ही रामानुजन कॉलेज में यूजी में इकोनॉमिक्स में 97% पॉलिटिकल साइंस में 97% हिंदी में 83% कटऑफ गया है।
- दिल्ली यूनिवर्सिटी में ही 2 अगस्त से यूजी में 65000 सीटों के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू होंगे।
- भोपाल के एक्सीलेंस कॉलेज में जियोग्राफी को छोड़कर ज्यादातर स्ट्रीम में कट ऑफ 78 से लेकर 92 फीसदी तक पहुंचा था
- भोपाल के ही रीजनल इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन में बीए बीएड के लिए कट ऑफ 75 रहा था।
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