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MP Education News: कोरोना काल में बदला रुझान, निजी के बजाय सरकारी स्कूलों में अधिक बच्‍चों ने लिया प्रवेश

शैक्षणिक सत्र 2021-22 में निजी स्कूलों में पिछले साल के मुकाबले चार लाख कम दाखिले हुए

भोपाल। कोरोना काल में पिछले दो साल से सरकारी व निजी स्कूलों में बच्चों की संख्या कम हुई है। इसका कारण यह है कि कुछ लोगों की नौकरी चली गई तो कुछ लोगों के वेतन कम हो गए। इस कारण कई अभिभावकों ने अपने बच्चों को निजी स्‍कूल से निकालकर सरकारी स्कूलों में करा दिया है। साथ ही रोजगार के लिए दूसरे शहर जाने के कारण भी दो साल में 13 लाख बच्चों का दाखिला कम हुआ है। इस साल पहली से आठवीं तक की कक्षाओं में पिछले सत्र के मुकाबले निजी स्कूलों में चार लाख कम प्रवेश हुए हैं, जबकि सरकारी स्कूलों में अधिक प्रवेश हुए हैं। इस सत्र में निजी स्कूलों में पहली से आठवीं तक की कक्षा में 35 लाख और पिछले सत्र में 39 लाख प्रवेश हुए थे। वहीं सरकारी स्‍कूलों में इस सत्र में 65 लाख प्रवेश हुए हैं, जबकि पिछले सत्र में 63 लाख विद्यार्थियों ने दाखिला लिया था।

नौवीं से बारहवीं में सरकारी स्कूलों में 25 लाख तो पिछले सत्र में 23 लाख प्रवेश हुए थे। साथ ही निजी स्कूलों में इस सत्र में 11 लाख बच्चों ने दाखिला लिया है, जबकि पिछले सत्र में 12 लाख ने दाखिला लिया था। यानी उच्च कक्षाओं में एक लाख विद्यार्थियों की संख्या कम हुई है। बता दें कि इस सत्र में निजी व सरकारी स्कूलों में एक करोड़ 38 लाख बच्चों ने एडमिशन कराया है तो पिछले सत्र में एक करोड़ 37 लाख विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया था। इसके अलावा बड़े शहरों में भी सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी है। शिक्षाविदों का मानना है कि अभी भी निजी स्कूलों में आनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है। फीस के कारण भी बच्चों की संख्या में कमी आई है। वहीं सरकारी स्कूलों में पहली से बारहवीं तक की आफलाइन कक्षाएं शुरू कर दी गई हैं।

निजी स्कूलों में प्रवेश कम हुए

इस बार निजी स्कूलों में प्रवेश कम हुए हैं। पहली से आठवीं तक 35 लाख प्रवेश हुए हैं। पिछले साल 39 लाख बच्चों ने पहली से आठवीं में दाखिला लिया था। कोरोना काल के दौरान भी निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों से पूरी फीस वसूली जा रही है। यही कारण है कि इस साल करीब चार लाख बच्चे कम हुए हैं। अभिभावकों का रुझान सरकारी स्कूलों की ओर बढ़ा है।

सत्र 2020-21

कुल एडमिशन (पहली से बारहवीं) – 1 करोड़ 37 लाख

सरकारी स्कूल (पहली से आठवीं) -63 लाख

निजी स्कूल (पहली से आठवीं) – 39 लाख

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सरकारी स्कूल (नौवीं से बारहवीं ) -23 लाख

निजी स्कूल (नौवीं से बारहवीं ) – 12 लाख

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सत्र 2021-22

कुल एडमिशन (पहली से बारहवीं ) – एक करोड़ 38 लाख

सरकारी स्कूल (पहली से आठवीं)-65 लाख

निजी स्कूल (पहली से आठवीं) – 35 लाख

सरकारी स्कूल (नौवीं से बारहवीं)-25 लाख

निजी स्कूल (नौवीं से बारहवीं) – 11 लाख

सत्र 2019-20

कुल एडमिशन (पहली से बारहवीं ): एक करोड़ 43 लाख

सरकारी स्कूल (पहली से आठवीं )-64 लाख

निजी स्कूल (पहली से आठवीं) – 41 लाख

सरकारी स्कूल (नौवीं से बारहवीं)- 23 लाख

निजी स्कूल (नौवीं से बारहवीं)- 14 लाख

सरकारी स्कूलों में बढ़ती सुविधाएं और प्रशिक्षित शिक्षक होने के कारण और कोरोना काल में भी आनलाइन सुचारू रूप से शिक्षण व्यवस्था जारी रखने के कारण सरकारी स्कूलों में नामांकन में बढ़ोतरी देखी जा रही है।

अभय वर्मा, आयुक्त, लोक शिक्षण संचालनालय

कोरोना काल में लोगों के रोजगार खत्म हो गए। इस कारण अभिभावकों के सामने निजी स्कूलों को फीस देने की समस्या बढ़ी है। साथ ही अब भी निजी स्कूलों में आनलाइन कक्षाओं के माध्यम से पढ़ाई कराई जा रही है। इस कारण सरकारी स्कूलों में अभिभावकों का रुझान बढ़ा है।

सुनीता सक्सेना, शिक्षाविद


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