हाई कोर्ट का आदेश नहीं मानने पर सहायक आयुक्त पर लगा ₹10000 का जुर्माना : मामला शिक्षक ट्रांसफर अभ्यावेदन का समय सीमा में निराकरण नहीं करने का
हाई कोर्ट ने सहायक आयुक्त पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया, यह राशि खुद की जेब से जमा करनी हाेगी
जबलपुर। हाई कोर्ट ने एक मामले में सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग, सिवनी के सहायक आयुक्त पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने तल्ख टिप्पणी में कहा कि अधिकारी ने पूर्व में जारी निर्देश को नजरअंदाज करते हुए एक नया आदेश जारी कर दिया, जिसकी वजह से याचिकाकर्ता को फिर से अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा। कोर्ट ने साफ किया कि जुर्माने की उक्त राशि जनता के खजाने से समायोजित नहीं की जाएगी यानी अधिकारी को अपनी जेब से जुर्माना राशि भरनी होगी।
याचिकाकर्ता रामकिशोर भारद्वाज की ओर से अधिवक्ता शक्ति कुमार सोनी ने अवगत कराया कि अधिकारी ने 27 अगस्त, 2021 को शासकीय स्कूल खमरिया से शासकीय स्कूल बरेला, सिवनी स्थानांतरित कर दिया था। पूर्व में भारद्वाज ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
हाई कोर्ट ने 15 सितंबर 2021 को सहायक आयुक्त को याचिकाकर्ता का अभ्यावेदन निराकृत करने के निर्देश दिए थे। इस पर उक्त अधिकारी ने दोबारा मौखिक तबादला आदेश जारी कर याचिकाकर्ता को लटगांव स्कूल ज्वाइन करने कहा।याचिकाकर्ता ने दोबारा याचिका दाखिल की।
मामले पर सुनवाई के दौरान शासकीय अधिवक्ता न तो ट्रांसफर आर्डर और न ही अभ्यावेदन निराकृत करने का आर्डर पेश कर सके। कोर्ट ने कहा कि अधिकारी ने अभ्यावेदन में दिए बिंदुओं पर विचार किए बिना ही एक नया आदेश जारी कर दिया। यह मामला एक उदाहरण है कि सरकार और शासकीय अधिकारी कोर्ट के दिशा-निर्देशों पर विचार किए बिना ही आदेश पारित कर देते हैं।हाई कोर्ट ने अधिकारी को निर्देश दिए कि याचिकाकर्ता द्वारा पेश किए गए अभ्यावेदन पर पुन: विचार कर 30 दिन के भीतर उसका निराकरण करें।
अभ्यावेदन के निराकरण तक याचिकाकर्ता पूर्ववत शासकीय स्कूल खमरिया, छपारा ब्लाक में ही कार्यरत रहेगा।
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