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हर साल खाली रह जाती हैं ढाई लाख सीटें: 12वीं के 7.50 लाख छात्र होंगे पास, Digital Education Portal

कोरोना की वजह से इस साल 12वीं (हायर सेकंडरी) के छात्रों को जनरल प्रमोशन मिलेगा।

  • एक लाख छात्र बढ़े तब भी पूरी नहीं भर पाएंगी सीटें

कोरोना की वजह से इस साल 12वीं (हायर सेकंडरी) के छात्रों को जनरल प्रमोशन मिलेगा। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि इस बार शत-प्रतिशत परीक्षा परिणाम आएगा और कोई भी छात्र फेल नहीं हाेगा। सभी छात्रों के पास हो जाने से इस बार कॉलेजों में दाखिला लेने वालों की संख्या में एक लाख छात्रों की बढ़ोतरी का आंकलन है। हायर सेकंडरी का पिछले साल का परीक्षा परिणम 68.81% था। लगभग 31% छात्र फेल हुए थे। इस बार परीक्षा में साढ़े सात लाख छात्र शामिल हुए हैं। इनमें से कोई भी फेल नहीं होगा।

उच्च शिक्षा विभाग की स्नातक प्रथम वर्ष में 7 लाख सीटें हैं। पिछले साल इन सीटों पर 4 लाख 36 हजार दाखिले हुए थे। ढाई लाख से ज्यादा सीटें खाली रह गई थीं। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सभी सीटें कभी फुल नहीं होतीं। इसकी मुख्य वजह है कि बहुत से छात्र टेक्निकल, मेडिकल कोर्स व अन्य राज्य के कॉलेज में दाखिला लेते हैं। कई ऐसे भी होते हैं, जो आगे की पढ़ाई नहीं करते। इनमें 62 फीसदी तक दाखिले हो पाते हैं। गौरतलब है कि यूजी-पीजी की कुल सीटें 10 लाख हैं। प्रदेश के ज्यादातर छात्र सरकारी कॉलेजों में एडमिशन लेते हैं। राज्य में 518 सरकारी कॉलेज हैं और 800 निजी कॉलेज हैं। खास बात यह है कि हर साल दाखिला लेने वाले कुल छात्रों मे 73% सरकारी कॉलेजों में एडमिशन लेते हैं, जबकि शेष 27% निजी कॉलेजों में। इधर, हर साल इंजीनियरिंग कॉलेजों में भी करीब 55 हजार छात्र एडमिशन लेते हैं। इनमें भी लगभग 90 हजार सीटें हैं। इंजीनियरिंग की पूरी सीटें भी नहीं भर पा रही हैं।

पिछले साल के मुकाबले सारी सीटें भरना मुश्किल

विभाग के अधिकारियों के मुताबिक यह आंकलन है कि इस बार छात्रों की संख्या में एक लाख तक का इजाफा हो सकता है। बावजूद इसके पिछले सालों के अनुभव के मुताबिक सारी सीटें फिर भी नहीं भर पाएंगे। अगर जरूरत पड़ेगी तो सीटों में इजाफा किया जा सकता है।

सीटें बढ़ाई जा सकती हैं

इस बार 12वीं में पास होने वाले सभी साढ़े सात लाख छात्र भी अगर दाखिला लेंगे तो सीटों की संख्या में इजाफा किया जा सकता है। अधिकारियों ने बताया कि इस संबंध में चर्चा भी हुई है। लेकिन, दोनों राउंड की काउंसलिंग के बाद ही इसकी स्थिति स्पष्ट होगी।

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भोपाल, इंदौर में सीटों को लेकर हो सकती है समस्या

विभाग के अधिकारियों ने बताया कि भोपाल, इंदौर जैसे बड़े शहरों में सीटों को लेकर समस्या हो सकती है। भोपाल के उच्च शिक्षा से जुड़े सरकारी और प्राइवेट कॉलेजों में हर साल करीब 48 हजार छात्र स्नातक प्रथम वर्ष में एडमिशन लेते हैं। इसकी मुख्य वजह यह है कि छोटे शहरों और कस्बाई स्थानों के छात्र भी यहां आकर पढ़ना चाहते हैं। इसके अलावा छोटे शहरों में आसानी से दाखिले होंगे। यहां की सीटें ही खाली रह जाती हैं।

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