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नई श‍िक्षा नीति: सरकारी-निजी स्कूलों में होंगे एक जैसे नियम, फीस पर लगेगी लगाम

नई श‍िक्षा नीति को बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी. इसके तहत अब राज्य स्कूल मानक प्राधिकरण में सभी सरकारी और निजी स्कूल शामिल होंगे. इससे अब निजी स्कूलों और सरकारी स्कूलों के नियम एक जैसे होंगे. इसके अलावा फीस पर भी अंकुश लग सकेगा.

नई शिक्षा नीति श‍िक्षा जगत में नये बदलावों की मंशा के साथ आई है. इस श‍िक्षा नीति में तकनीक से लेकर कौशल तक सब शामिल किया गया है. साथ ही सभी स्कूलों में समान श‍िक्षा और समान नियम भी शामिल होंगे. इसके लिए राज्य स्कूल मानक प्राधिकरण बनेगा जिसमें सभी सरकारी और निजी स्कूल शामिल होंगे. ऐसा पहली बार होगा जब सरकारी और निजी स्कूलों में एक जैसे नियम लागू होंगे. जब एक जैसे नियम लागू होंगे तो निजी स्कूलों की हर साल बढ़ती फीस पर अंकुश भी लग सकेगा.

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बता दें कि भारत में 34 साल बाद पहली बार नई शिक्षा नीति को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है. इसमें सरकार ने हायर एजुकेशन और स्कूली शिक्षा को लेकर कई अहम बदलाव किए हैं. सरकार अब न्यू नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क तैयार करेगी. इसमें ईसीई, स्कूल, टीचर्स और एडल्ट एजुकेशन को जोड़ा जाएगा. बोर्ड एग्जाम को भाग में बांटा जाएगा. अब दो बोर्ड परीक्षाओं के तनाव को कम करने के लिए बोर्ड तीन बार भी परीक्षा करा सकता है.

इसके अलावा अब बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में लाइफ स्किल्स को जोड़ा जाएगा. जैसे कि आपने अगर स्कूल में कुछ रोजगारपरक सीखा है तो इसे आपके रिपोर्ट कार्ड में जगह मिलेगी. जिससे बच्चों में लाइफ स्किल्स का भी विकास हो सकेगा. अभी तक रिपोर्ट कार्ड में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था.

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सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक हर बच्चे के लिए शिक्षा सुनिश्चित की जाए. इसके लिए एनरोलमेंट को 100 फीसदी तक लाने का लक्ष्य है. इसके अलावा स्कूली शिक्षा के निकलने के बाद हर बच्चे के पास लाइफ स्किल भी होगी. जिससे वो जिस क्षेत्र में काम शुरू करना चाहे, तो वो आसानी से कर सकता है.

प्राथमिक स्तर पर शिक्षा में बहुभाषिकता को प्राथमिकता के साथ शामिल करने और ऐसे भाषा के शिक्षकों की उपलब्धता को महत्व दिया दिया गया है जो बच्चों के घर की भाषा समझते हों. यह समस्या राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न राज्यों में दिखाई देती है. इसलिए पहली से पांचवीं तक जहां तक संभव हो मातृभाषा का इस्तेमाल शिक्षण के माध्यम के रूप में किया जाए. जहां घर और स्कूल की भाषा अलग-अलग है, वहां दो भाषाओं के इस्तेमाल का सुझाव दिया गया है.

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