अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरेशनल इंडिया ने भारत में अपना कामकाज रोक दिया है. एमनेस्टी का आरोप है कि 10 सितंबर 2020 को भारत सरकार ने संस्था के सभी अकाउंट को फ्रीज कर दिया अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरेशनल इंडिया ने भारत में अपना कामकाज रोक दिया है. एमनेस्टी का आरोप है कि 10 सितंबर 2020 को भारत सरकार ने संस्था के सभी अकाउंट को फ्रीज कर दिया.
इसके बाद उसे अपने अधिकतर स्टाफ को निकालना पड़ा. संस्था ने भारत सरकार पर निराधार और प्रेरित कार्रवाई करने का आरोप लगाया है.एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी निदेशक अविनाश कुमार ने कहा कि पिछले दो सालों से संस्था के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है
और बैंक खातों की फ्रीज करना आकस्मिक नहीं है. प्रवर्तन निदेशालय सहित सरकारी एजेंसियों द्वारा निरंतर उत्पीड़न किया जा रहा है. हाल में हमने दिल्ली हिंसा और जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर अपनी आवाज उठाई, जिसके बाद सरकार ने कार्रवाई की.
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने कहा कि हम सभी भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का पालन कर रहे हैं. भारत में मानव अधिकारों के काम के लिए संस्था घरेलू स्तर पर धन जुटाने के एक अलग मॉडल के माध्यम से संचालित होती है. पिछले आठ सालों में चार मिलियन से अधिक भारतीयों ने एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के काम का समर्थन किया है और करीब 100,000 भारतीयों ने वित्तीय योगदान दिया है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने कहा कि इन योगदानों का विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 के साथ कोई संबंध नहीं हो सकता है. भारत सरकार इसे मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बता रही है, जो इस बात का प्रमाण है कि मानव अधिकार कार्यकर्ता और संस्थाओं के प्रति कितनी दुर्भावना है.
कार्यकारी निदेशक अविनाश कुमार ने कहा कि एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया और अन्य मुखर मानवाधिकार संगठनों, कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार रक्षकों पर हमला दमनकारी नीति को दिखाता है. प्रवर्तन निदेशालय और भारत सरकार द्वारा जानबूझकर भय की स्थिति बनाने की कोशिश की जा रही है, ताकि आवाज को दबाया जा सके
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