पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने गुरुवार को फैसला सुनाया कि पंजाब में सिर्फ वे स्कूल ट्यूशन फीस मांग सकते हैं जिन्होनें लॉकडाउन की अवधि के दौरान छात्रों को ऑनलाइन क्लासेज़ दी हैं। न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और हरिंदर सिंह सिद्धू की खंडपीठ ने यह भी कहा कि स्थायी या अनुबंध के आधार पर नियुक्त शिक्षक और कर्मचारी भी अपने नियमित वेतन के हकदार हैं जो उन्हें 23 मार्च को लॉकडाउन लागू होने से पहले मिल रहे थे।
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि ट्यूशन शुल्क केवल तभी लिया जाएगा जब छात्रों को लगातार ऑनलाइन कक्षाओं की पेशकश की जा रही हो। अदालत ने स्कूलों से कोई परिवहन शुल्क नहीं लेने के लिए भी कहा क्योंकि लॉकडाउन की अवधि के दौरान छात्रों को यह सुविधा नहीं दी जा रही थी।
अदालत ने स्कूल के प्रबंधन को दो महीने के भीतर चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा सत्यापित पिछले सात महीने की अपनी बैलेंस शीट दाखिल करने का निर्देश भी दिया।
डिवीजन बेंच ने इस मुद्दे पर इस साल 30 जून के एकल-न्यायाधीश बेंच के आदेश को आंशिक रूप से संशोधित करते हुए अपना यह आदेश दिया है। चीफ जस्टिस रविशंकर झा और जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने 20 जुलाई को छात्रों को यह कहते हुए अंतरिम राहत दी थी कि फीस न चुकाने पर उनके नाम पंजाब के प्राइवेट स्कूलों के रोल से हटाए नहीं जा सकते।
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