पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर 7 दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा आधा झंडा झुकाया गया
नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का सोमवार को 84 साल की उम्र में निधन हो गया है। राष्ट्रीय शोक की घोषणा वो बीते कई दिनों से बीमार थे और अस्पताल में भर्ती थे। बीते दिनों प्रणब मुखर्जी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे, उनकी सर्जरी भी हुई थी।
प्रणब मुखर्जी के निधन के बाद केंद्र सरकार ने सात दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है।
मुखर्जी ने सैन्य अस्पताल में अंतिम सांस ली। उन्हें 10 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और आज सुबह जारी एक स्वास्थ्य बुलेटिन में कहा गया था कि वह गहरे कोमा में हैं और उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया है।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित इन नेताओं ने राष्ट्रीय शोक की घोषणा
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन , बेटे अभिजीत ने दी जानकारी(Opens in a new browser tab)
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संवेदना जाहिर की है।
राष्ट्रपति ने दुख जताते हुए लिखा, ‘देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, ‘पूर्व राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी के स्वर्गवास के बारे में सुनकर हृदय को आघात पहुंचा। उनका देहावसान एक युग की समाप्ति है। श्री प्रणब मुखर्जी के परिवार, मित्र-जनों और सभी देशवासियों के प्रति मैं गहन शोक-संवेदना व्यक्त करता हूं। सार्वजनिक जीवन में विराट कद हासिल करने वाले प्रणब दा ने भारत माता की सेवा एक संत की तरह की। देश के एक विलक्षण सपूत के चले जाने से समूचा राष्ट्र शोकाकुल है।’
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उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने सोमवार को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर यह कहते हुए शोक प्रकट किया कि देश ने एक राजनेता खो दिया। मुखर्जी का यहां एक सैन्य अस्पताल में सोमवार को निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे। उन्हें 10 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और आज सुबह जारी एक स्वास्थ्य बुलेटिन में कहा गया था कि वह गहरे कोमा में हैं और उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया है।
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उपराष्ट्रपति सचिवालय ने नायडू का हवाला देते हुए ने ट्वीट किया, ” उनके (मुखर्जी के) निधन से देश ने एक बुजुर्ग राजनेता को खो दिया है। वह सामान्य पृष्ठभूमि से ऊपर उठकर अपने कठिन परिश्रम, अनुशासन और समर्पण से देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचे थे। ” उपराष्ट्रपति ने कहा कि मुखर्जी अपनी लंबे और उत्कृष्ट जनसेवा के दौरान जिस किसी पद पर रहे वहां उन्होंने मर्यादा और अनुशासन बनाया। उन्होंने कहा, ” शोक संतप्त परिवार के सदस्यों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है। ओम शांति।”
जब दो बार हाथ से निकला प्रधानमंत्री बनने का मौका
भारतीय राजनीति की नब्ज पर गहरी पकड़ रखने वाले प्रणव मुखर्जी को एक ऐसी शख्सियत के तौर पर याद किया जाएगा, जो देश का प्रधानमंत्री हो सकता था, लेकिन अंतत: उनका राजनीतिक सफर राष्ट्रपति भवन तक पहुंच कर संपन्न हुआ। ‘गुदड़ी के लाल’ धरती पुत्र प्रणव मुखर्जी के राजनीतिक जीवन में एक समय ऐसा भी आया था जब कांग्रेस पार्टी में राजनीतिक सीढ़ियां चढ़ते हुए वह इस शीर्ष पद के बहुत करीब पहुंच चुके थे लेकिन उनकी किस्मत में देश के प्रथम नागरिक के तौर पर उनका नाम लिखा जाना लिखा था।
दशकों तक जो कांग्रेस के संकटमोचक रहे और जिन्हें देश के सर्वाधिक सम्मानित राजनेताओं में शुमार किया जाता है, वैसे भारत के 13वें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का सोमवार को यहां एक अस्पताल में निधन हो गया। पांच दशकों तक सार्वजनिक जीवन में रहे मुखर्जी पिछले कुछ दिनों से बीमार थे। सोमवार शाम उन्होंने राजधानी दिल्ली स्थित सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे 84 वर्ष के थे। आखिरी क्षणों तक उनका जनता से जुड़ाव बना रहा। ”सिटीजन मुखर्जी” ने 10 अगस्त को ट्विटर का इस्तेमाल करते हुए दुनिया को यह सूचना दी कि वे कोविड-19 से संक्रमित हो गए हैं। यह उनकी आखिरी पोस्ट थी और जनता से मुखातिब उनके आखिरी शब्द भी।
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