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विकसित देशों में भी सम्मान का भाव भरती हिन्दी! INDIAमातृभाषा में आसान होता है ज्ञान को आत्मसात करना
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विकसित देशों में भी सम्मान का भाव भरती हिन्दी! INDIAमातृभाषा में आसान होता है ज्ञान को आत्मसात करना

चिकित्सा शिक्षा सहित अन्य पाठ्यक्रम हिन्दी में प्रारंभ करने के प्रयास फिर से होंगे

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने किया अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय भवन का लोकार्पण
राज्यपाल श्रीमती पटेल लोकार्पण कार्यक्रम में लखनऊ से शामिल हुईं

चिकित्सा शिक्षा सहित अन्य पाठ्यक्रम हिन्दी में प्रारंभ करने के प्रयास फिर से होंगे

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने किया अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय भवन का लोकार्पण
राज्यपाल श्रीमती पटेल लोकार्पण कार्यक्रम में लखनऊ से शामिल हुईं 

भोपाल : सोमवार, सितम्बर 14, 2020, 16:32 IST
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मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय भोपाल के ग्राम मुगालिया कोट, विदिशा रोड में निर्मित नए भवन का वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से लोकार्पण किया। लोकार्पण कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने लखनऊ से वीडियो कान्फ्रेंस द्वारा की। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में विधानसभा अध्यक्ष श्री रामेश्वर शर्मा, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, सांसद श्री विष्णुदत्त शर्मा, सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर उपस्थित हुए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हिन्दी विश्वविद्यालय द्वारा चिकित्सा शिक्षा पाठ्यक्रम हिन्दी में प्रारंभ करने और अभियांत्रिकी की हिन्दी में प्रकाशित पुस्तकों को मान्यता के संबंध में प्रयास किए जाएंगे। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से पूर्व में भी हिन्दी में चिकित्सा शिक्षा पाठ्यक्रम की अनुमति प्राप्त करने के प्रयास किए गए थे। यह प्रयास पुन: करते हुए ग्रामीण क्षेत्र से हिन्दी माध्यम से स्कूली शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी।

लोकार्पण कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सफल अमलीकरण में मध्यप्रदेश अन्य राज्यों का दिशा दर्शन करें, इसके लिए शिक्षा व्यवस्था में बदलाव करना होगा। परिवर्तन के लिए शिक्षकों, सिखाने वालों की सोच में बदलाव जरूरी है। उन्होंने कहा कि हिंदी और विज्ञान के शिक्षकों को अन्य विषयों की शिक्षा के लिए सक्षम बनाना होगा। इसी अनुरूप शिक्षक प्रशिक्षण की व्यवस्था और पाठ्यक्रम तैयार करने होंगे। उन्होंने कहा कि सबकी रुचि के अनुसार सब को शिक्षा देने में प्रथम पांच वर्षों की शिक्षा व्यवस्था बहुत महत्वपूर्ण है। शिक्षा में शिक्षण कैसे होगा, क्या पढ़ाएंगे, प्रकृति कैसी होगी, हमारे भ्रमण कार्यक्रम कैसे होंगे, कुटीर उद्योग कैसे होंगे, ऐसे अनेक विषय कैसे शामिल होंगे, इस पर चिंता और चिंतन कर क्रियान्वयन की योजना बनानी होगी।  श्रीमती पटेल ने नए भवन के लिए बधाई देते हुए कहा कि यह ईट-चूने से बनी इमारत नहीं है, विद्यार्थियों के भावी जिंदगी के निर्माण का केंद्र है। प्रयास किया जाए कि यहां का वातावरण, प्रवृत्ति ऐसी हो, जहां विद्यार्थी को जो चाहिए वह मिले, दुनिया भर की जानकारी, संस्कृति और हमारी परंपरा, जीवन मूल्यों के ज्ञान के साथ विद्यार्थी परिसर से बाहर जाए। श्रीमती पटेल ने कहा कि हिंदी को वैश्विक मान्यता प्रदान करने के लिए चिकित्सा, तकनीक ज्ञान से समृद्ध किया जाए। उसमें अहिंदी भाषी शब्दों का खुलकर इस्तेमाल हो । भारतीय परंपरा में विकसित लोक विद्या को उच्च शिक्षण संस्थाओं की व्यवसायिक शिक्षा में शामिल किया जाए। प्रदेश की सांस्कृतिक समृद्धि और विविधता वाले पर्यटन स्थलों के विषय में अच्छी पाठ्य सामग्री तैयार कराने में विश्वविद्यालय सहयोग करें।

मातृभाषा में आसान होता है ज्ञान को आत्मसात करना

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार चिकित्सा और अभियांत्रिकी सहित अन्य तकनीकी विषयों की शिक्षा भी हिंदी में उपलब्ध करवाने का प्रयास करेगी। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि विद्यार्थी मातृभाषा में ग्रहण की गई ज्ञान को गहराई से आत्मसात कर पाते हैं। मध्यप्रदेश में हिंदी विश्वविद्यालय प्रारंभ करने का कार्य कोई कर्मकांड नहीं था। यह हिंदी की प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए वैश्विक स्तर पर पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल जी द्वारा किए गए प्रयासों की श्रृंखला में एक नया कदम था। मध्य प्रदेश सरकार ने हिंदी विश्वविद्यालय प्रारंभ करने का निर्णय सुविचारित सोच के साथ लिया था जो शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के प्रतिभावान और क्षमतावान हिंदी माध्यम में शिक्षित, दीक्षित विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के स्तर पर हिंदी में पढ़ाई का अवसर उपलब्ध करवाने वाला कदम था।

विकसित देशों में भी सम्मान का भाव भरती है हिन्दी

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हिंदी का ज्ञान किसी हीनता का परिचायक नहीं। हिंदी सम्मान की भाषा है। हम अंग्रेजी के गुलाम कतई नहीं हो सकते। ब्रिटेन और अमेरिका जैसे विकसित राष्ट्रों में भी कोई व्यक्ति हिंदी में बात कर सम्मानित महसूस करता है और उसे सुनने वाले भी सम्मान के भाव से देखते हैं। यह धारणा गलत है कि अंग्रेजी के बिना प्रगति नहीं हो सकती। आज ऐसी मानसिकता बना दी गई है कि अंग्रेजी में बोलना प्रतिष्ठा की बात समझी जाती है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि हिन्दी भारत माता के माथे की बिंदी है। निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल। हिन्दी दुनिया की तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ में श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने हिन्दी का उपयोग किया। अटल जी की हिन्दी मंत्रमुग्ध कर देती है। उनके भाषण हो अथवा काव्य पाठ, दोनों ही अद्भुत हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी हिंदी की प्रतिष्ठा को दुनिया में स्थापित करने का कार्य किया है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आज हिंदी विश्वविद्यालय में अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थी प्रवेश ले रहे हैं। इसलिए हम यह कह सकते हैं कि हिंदी विश्वविद्यालय अपनी स्थापना के उद्देश्य में सफल है। विद्यार्थियों में प्रतिभा की कमी नहीं होती। अंग्रेजी की वजह से भाषा का बोझ उनके लिए ज्ञान अर्जित करने में बाधक है।

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हिन्दी को विकृति से बचाना हम सबका दायित्व

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने हिन्दी के विकृत हो रहे स्वरूप का उल्लेख करते हुए कुलपति श्री रामदेव भारद्वाज से अपेक्षा की कि वे हिन्दी को विकृत होने से बचाने के संबंध में शोध कार्य प्रारंभ करवाएं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हिन्दी में पाठकों की संख्या भी बढ़ रही है। हिन्दी की पत्रिकाएं और अखबार देश-विदेश में रूचि के साथ पढ़े जाते हैं। हिंदी का प्रयोग निरंतर बढ़ रहा है। यह भी जरूरी है कि हम सभी मिलकर  हिंदी की स्वीकार्यता बढ़ाएं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हिन्दी की प्रतिष्ठा को अधिक से अधिक बढ़ाने का दायित्व हिंदी विश्वविद्यालय का है और मुझे विश्वास है कि इसे निभाते हुए विश्वविद्यालय निरंतर प्रगति पथ पर आगे बढ़ेगा।

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