सार
यूजीसी ने जारी किए नए दिशा-निर्देश, खाली बची सीटें भी 30 नंवबर तक भरें
जहां दाखिला परीक्षा, वहां दस्तावेज 31 दिसंबर तक स्वीकार कर सकते हैं दस्तावेज
विस्तार
स्नातक के पहले साल के विद्यार्थियों के लिए 2020-21 का सत्र एक नवंबर से शुरू होगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से जारी नए दिशा-निर्देशों में शैक्षणिक संस्थाओं को मेरिट या एंट्रेंस आधारित दाखिला प्रक्रिया अक्तूबर तक पूरा करने को कहा गया है। हालांकि, इसके बावजूद अगर क्वालिफाइंग परीक्षाओं के परिणामों में देरी होती है तो विश्वविद्यालय 18 नवंबर से नए सत्र की शुरुआत कर सकते हैं।
स्नातक और परास्नातक छात्रों के लिए नए सत्र 2020-21 के लिए यूजीसी के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, बची सीटें भी 30 नवंबर तक भरी जाएंगी। वहीं, दूसरी ओर, जिन संस्थाओं में एंट्रेंस टेस्ट के जरिये ही दाखिले होते हैं, उन्हें जल्द से जल्द स्नातक और परास्नातक के प्रथम वर्ष की पढ़ाई शुरू करने को कहा गया है।
वे क्वालिफाइंग परीक्षाओं से संबंधित जरूरी दस्तावेजों को 31 दिसंबर तक स्वीकार कर सकते हैं। सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को यूजीसी के नए दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य बताया गया है।
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पहले सेमेस्टर/प्रथम वर्ष की परीक्षाएं 8 से 26 मार्च तक
यूजीसी ने सुझाव दिया है कि संस्थान पहले सेमेस्टर या प्रथम वर्ष की परीक्षाएं 8 मार्च से 26 मार्च के बीच करा सकते हैं। साथ ही यूजीसी ने यह भी कहा है कि 2020-21 और 2021-22 के शैक्षणिक सत्र में संस्थान छह दिन कक्षाएं चलाएं और पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए छुट्टियों में कटौती कर सकते हैं।
30 नवंबर तक दाखिला रद्द कराने पर छात्रों को लौटाना होगा पूरा पैसा
यूजीसी ने कहा है कि 30 नवंबर तक दाखिला रद्द कराने वाले छात्रों को छात्रों को पूरा पैसा लौटाना होगा। इसके बाद 31 दिसंबर तक दाखिला रद्द होने या फिर नाम वापस लेने पर संस्थान अधिकतम एक हजार रुपये प्रक्रिया शुल्क के तौर पर ले सकते हैं।
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