पढ़ाई में कमजोर बच्चों को पढ़ाएंगे होशियार बच्चे तकनीकी दिक्कतें आनलाइन शिक्षा की गति बाधित कर रहीं। मोबाइल या इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं होने की समस्या से जूझ रहे औसत व कमजोर बच्चों के लिए शिक्षा की बागडोर अब उन्हीं की कक्षा में पढ़ रहे उन विद्यार्थियों को थमाई जाएगी, जो मोहल्ले में सबसे होनहार हैं। ऐसे बच्चे पहले शिक्षक से पढ़ेंगे, समझेंगे और फिर कक्षा के बाद अपने घर के आसपास रहने वाले दूसरे सहपाठियों को एक अर्ध शिक्षक (सेमी टीचर) के रूप में पढ़ाएंगे। ऑफलाइन शिक्षा के लिए कोरबा डीईओ का यह नवाचार पहली से आठवीं तक अजमाने की तैयारी चल रही।
शासकीय प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में पहली से आठवीं तक की कक्षाओं में शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर करने जिला शिक्षा अधिकारी सतीश कुमार पांडेय का यह नवाचार लागू करने की तैयारी की जा रही।
पिछले शिक्षा सत्र भी स्कूलों में अनेक क्लब गठित किए गए, जिनके माध्यम से शिक्षा, खेल, संस्कृति, पर्यावरण व अन्य गतिविधियों में बच्चों का आंकलन कर ग्रेडिंग दी गई। इनमें सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले बच्चों को ए-ग्रेड, मध्यम या औसत पर बी-ग्रेड व शिक्षकों के आंकलन में कमजोर प्रदर्शन वाले बच्चों को सी-ग्रेड में रखा गया।
सबसे उत्कृष्ट रहे ए-ग्रेड प्राप्त बच्चों को अब उन्हीं के मोहल्ले के सहपाठी बच्चों को पढ़ाने व शैक्षणिक गतिविधियों में प्रोत्साहित कर बेहतर स्थिति में लाने की जवाबदारी दी जाएगी। इसके लिए हर मोहल्ले में एक ही कक्षा के बच्चों का समूह बनाया जाएगा। इन समूहों में चार या पांच बच्चे भी हो सकेंगे या अधिक हों तो दस से 15 बच्चों का भी समूह बन सकेगा। इन समूहों में शामिल बच्चों की शिक्षा को बेहतर पायदान पर ले जाने कक्षा के शिक्षक उन होनहार बच्चों की मदद लेंगे,
जिन्हें पिछले साल के प्रदर्शन के आधार पर ए-ग्रेड दिया गया है। इस तरह एक शैक्षणिक श्रृंखला भी विकसित की जाएगी, जिसकी पहली कड़ी में समूह का नेतृत्व करने वाले ए-ग्रेड बच्चे होंगे। उनके ऊपर उनके कक्षाचार्य, उसके बाद प्रधान पाठक, संकुल प्रभारी, सहायक विकासखंड शिक्षा अधिकारी व उनके ऊपर विकासखंड शिक्षा अधिकारी निगरानी करेंगे। ए-ग्रेड प्राप्त करने वालों का चिन्हांकन किया जा रहा है, जिन्हें ग्रुप लीडर का दायित्व दिया जाएगा।
-इसलिए पड़ी इस नवाचार की आवश्यकता
शासन की पढ़ई तुंहर द्वार से लेकर वीडियो कक्षा, व्हाट्सएप तक आनलाइन शिक्षा प्रणाली में कई तकनीकी दिक्कतें हैं, जो बच्चों के लिए नियमित शिक्षा की व्यवस्था को बाधित करती रही हैं। ऐसे परिवार के बच्चों की कमी नहीं, जिनमें किसी के पास एंड्रायड फोन नहीं। जिनके पास मोबाइल फोन है, तो उनके क्षेत्र में इंटरनेट के लिए नेटवर्क की समस्या परेशानी खड़ी कर रही है।
कई पालक ऐसे भी हैं, जिन्होंने बच्चों की फिक्र में किसी तरह मशक्कत कर एंड्रायड मोबाइल फोन तो खरीद लिया है और उनके क्षेत्र में नेटवर्क भी है, पर आर्थिक दशा के चलते कई पालक बार-बार रीचार्ज का खर्च नहीं उठा पाते। जिला शिक्षा विभाग का यह नवाचार ऐसे बच्चों के लिए राहत की व्यवस्था करेगा।
-पालक की सहमति, शिक्षक की सक्रियता जरूरी
समूह कक्षा शुरू करने पालक की सहमति व नवाचार सफल बनाने शिक्षकों की सक्रियता अनिवार्य होगी। इस बीच उन समूहों को भी चिन्हित किया जाएगा, जिनमें नवाचार के अच्छे या विपरीत परिणाम दिख रहे। परिणाम की समीक्षा की जाएगी। अच्छे परिणाम वाले समूह के शिक्षक व नेतृत्व कर रहे ए-ग्रेड बच्चे के प्रयासों का प्रयोग कर दूसरे समूह भी सीख ले सकें व उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकें। विपरीत परिणाम वाले समूह की समस्याओं को समझा जाएगा। उदाहरण के लिए अगर किसी समूह से संबंधित मोहल्ले में नशा, शोरगुल, विवाद या अन्य समस्या हो, तो शिक्षा अधिकारी उस गांव व मोहल्ले में जाकर पालकों को समझाएंगे, ताकि उनकी वजह से पढ़ाई बाधित न हो।
-श्रृंखला से बड़ी कक्षा को जोड़ने पर विचार
इस नवाचार को हाई व हायर सेकेंडरी में नवमीं से लेकर 12वीं तक की कक्षाओं के लिए भी प्रयोग करने पर विचार किया जा रहा। विशेषकर दसवीं व 12वीं की बोर्ड कक्षाओं के लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल की ओर से असाइनमेंट प्रेषित करने को लेकर मार्गदर्शिका जारी की गई है। इसमें सितंबर तक का असाइनमेंट बोर्ड को भेजने कहा गया है, जो दसवीं व 12वीं के विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य है।
यूनिट टेस्ट के माध्यम इस असाइनमेंट से चूक जाने वाले विद्यार्थियों की उपस्थिति शून्य मानी जाएगी। असाइनमेंट प्रस्तुत नहीं कर पाने वाले बच्चों को अनुपस्थित माना जाएगा, जिसे लेकर शिक्षक चिंतित हैं, इसलिए इस श्रृंखला में बड़ी कक्षा को जोड़ने की बात कही जा रही। वर्जनः
एक सेमी टीचर की भूमिका निभाएंगे
वर्तमान परिस्थितियों के चलते हमारे शिक्षक अपनी कक्षा के सभी बच्चों से संपर्क नहीं कर पा रहे। उनकी कक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर ए-ग्रेड में जगह बनाने वाले होनहार बच्चे सेमी टीचर्स के रूप में अपेक्षाकृत कमजोर विद्यार्थियों की सहायता करेंगे। इस तरह सेमी टीचर के रूप में कार्य करने वाले यह होशियार विद्यार्थी शिक्षक व कमजोर बच्चों के बीच एक कड़ी की तरह काम करेंगे
वह अपने समूह का नेतृत्व कर कमजोर बच्चे के पास जाएंगे, उनकी समस्या को समझेंगे और उसे अपने शिक्षक तक पहुंचाएंगे। इस श्रृंखला के माध्यम से सभी बच्चों व उनके शिक्षकों के बीच लिंक बनेगा, ताकि शिक्षा की राह में प्रत्येक विद्यार्थी गति पकड़ सके।
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