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कृषि बिल को लेकर देश के तमाम बड़े अंग्रेज़ी और हिंदी अख़बारों में एक बड़ा विज्ञापन देखने को मिला. केंद्र सरकार की ओर से जारी विज्ञापन में कृषि बिल से जुड़े ‘झूठ’ और ‘सच’ के बारे में बात की गई है.
विज्ञापन में बताया गया है कि कैसे नए कृषि बिल में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और अनाज मंडियों की व्यवस्था को ख़त्म नहीं किया जा रहा है, बल्कि किसानों को सरकार विकल्प दे कर, आज़ाद करने जा रही है.
![कृषि बिल पर क्या 'डैमेज कंट्रोल' में जुट गई है मोदी सरकार? 5 केंद्र सरकार का नए कृषि बिल पर विज्ञापन](https://i0.wp.com/ichef.bbci.co.uk/news/640/cpsprodpb/E5FB/production/_114557885_c07ecc08-91a9-40a9-b39a-478fd4b4fe13.jpg?w=1220&ssl=1)
एक ऐसी ही कोशिश केंद्र सरकार की तरफ़ से सोमवार को देर शाम हुई. सरकार ने छह फसलों की एमएसपी बढ़ाने की घोषणा की.
पिछले 12 सालों से अब तक रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा सितंबर के बाद होती आई है. लेकिन इस बार किसानों के विरोध प्रदर्शन और विपक्ष के आक्रामक रवैए को देखते हुए केंद्र ने संसद सत्र के बीच में ही इसकी घोषणा कर दी.
इसके अलावा केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने यूपीए और एनडीए दोनों के कार्यकाल में एमएसपी वाले फसलों के दामों में कितनी बढ़ोतरी की है, इसका भी लेखा जोखा ट्विटर के माध्यम से जनता तक पहुँचाने की कोशिश की.
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